मैं चुदी सिनेमा हाल में-2 (Main Chudi Cinema Hall Mein-2)

पिछला भाग पढ़े:- मैं चुदी सिनेमा हाल में

यह मेरी सेक्स कहानी का अगला भाग है। तो कहानी शुरू होती है-

पिछली चुदाई के बाद मेरे अंदर की बची शर्म दूर हो गई थी। जैसा कि आप जानते है मैं पॉर्न अडिक्ट हूं। रात को 7 बजे मैं बेड पे लेटी पॉर्न विडिओ देख रही थी, और मैं गरम होकर चूत में उंगली कर रही थी,‌ और बूब्स भी मसल रही थी।

कुछ ही देर में मैं इतनी गरम हो गई, कि सामने कोई भी मर्द हो अपनी टांगे उसके सामने खोल दूं, और उसका लंड अपनी चूत में खुद पेल दूं। फिर मुझे सिनेमा वाली रात याद आ गई। दोस्तों बता दूं, वो सिनेमा सिर्फ गंदी हरकतों और सेक्स फिल्मों के लिए जाना जाता हैं। जहा कम भीड़ होती है।

मैंने आज फिर वही जाने का इरादा किया, और 9 बजे चली गई। उस रात मैंने आसमानी नीले रंग की साड़ी और ब्लॉऊज ही पहना, पैंटी और ब्रा नहीं पहनी। फिर काऊंटर से टिकट ली। उस टाइम सनी लिओनी की फिल्म लगी थी। काऊंटर टिकट वाला मुझे घूरे जा रहा था, और पास बैठे एक आदमी से बोला, “रंडी है साली, चुदने आई पक्का।”

फिर मैं कॉर्नर की सीट पर बैठ गई। ज्यादा भीड़ नहीं थी, और मैं सोच रही थी कि कोई दमदार तगड़ा लंड मिल जाए। करीब 15 मिनट बाद एक हट्टा-कट्टा लौंडा, 23 के आस-पास उम्र रही होगी, मेरे बगल में बैठ गया।

मैं पहले से ही गरम थी, और ऊपर से ब्लॉऊज के दो बटन खोल के अपने बूब्स दबा रही थी। उसने मुझे देख लिया। फिर धीरे से मेरे कान में बोला, “मैं कुछ मदद कर दूं?” मैं तो खुद होश में नहीं थी, चुदने ही तो आई थी। मेरे कुछ ना कहने पर अब वो मेरे बूब्स पर हाथ रख देता है, और मसलने लगता है।

फिर बोला, “तू तो मस्त पटाखा है, ऊपर से खूबसूरत बदन है तेरा।” फिर उसने पूरा बटन खोल दिया, और मेरे बड़े बूब्स उसके सामने थे। मैं बोली, “साले देख क्या रहा है? चल खा जा इन्हें, इनका दूध पी जा।” उसने पीना शुरू कर दिया। फिर मैं उसकी पैंट खोल कर उसका लंड निकाल ली, और हाथों से सहलाने लगी। मस्त लौड़ा था 9 इंच का, और काफी मोटा।

फिर मैं नीचे बैठ गई, और उसका लंड मुंह में लेने लगी। पर सुपाड़ा मोटा होने ने वजह से मुंह में नहीं आ रहा था। किसी तरह मैं उसे चूस रही थी। वो बोला, “लगता है मादरचोद, बहन की लौड़ी पहले से गरम होकर बैठी है। तभी तो बिना देर किए लंड पकड़ ली।”

मैं चूसने में बिज़ी थी, मुझे पता ही नहीं चला कि कब दो लोग मेरे पीछे वाली सीट से देख रहे थे। तभी एक बोला, “अरे जानेमन, हमें भी तो चखा दो अपने रसीले बूब्स और चूत।” मैं थोड़ा घबरा गई। फिर वो दोनों मेरे पास आ गए और बोले, “हमसे भी चुद लो।”

मैं बोली, “ठीक हैं।” फिर वो दोनों सीट पर बैठ कर मेरे बूब्स दबाने लगे। दोनों ने अपने लंड निकाल लिए। उन दोनों के लंड का साइज़ 7 इंच और 9 इंच था। एक बोला, “रंडी तेरा नाम क्या है?”

मैं: स्वेता नाम हैं।

फिर उनमें से एक बोला: मेरा नाम राज है, उम्र 40। और इसका मोनू, और उम्र 25।

जिसका मैं चूस रही थी, वो बोला: और मेरा संजय।

फिर राज मेरी साड़ी ऊपर करके मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा। मुझे तो करंट लग गया और चुदास और बढ़ गई। फिर उन दोनों का भी लंड चूस ली बारी-बारी।

“क्या मस्त चूसती है रंडी। लगता है बहुत बड़ी रंडी बुरचोदी है, इसकी गांड और बूब्स ही देख कर पता चलता है”, मोनू बोला।

मैं: अब बहुत हो गया। अब मुझे चोद दो। मेरा भोंसड़ा फाड़ दो। चोद इस रंडी को अहह।

फिर मोनू बोला: चल छिनार, आजा मेरे लंड की सवारी कराता हूं तुझे।

राजू, संजय, और मोनू इस क्रम में बैठे थे, और मैं मोनू के लंड पर बैठ गई, और उसका 9 इच का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ सीधा अंदर चला गया। उसी वक्त गाना चलने लगा ‘बेबी डॉल में सोने दी’। इससे मेरी चीख किसी को सुनाई नहीं दी, और राज ने मेरे मुंह में अपना लंड ठूस दिया और संजय मेरे बूब्स दबा रहा था।

मेरी चुदाई शुरू हो गई थी। नीचे से थप थप करके मेरी चुदाई कर रहा था मोनू। 10 मिनट बाद मैं संजय के लंड पर बैठ गई। फिर किसी तरह अजस्ट करके राज मेरे पीछे आया, और मेरी गांड में उंगली करने लगा।

मैं: नहीं यहां मत करो। दर्द से आवाज निकल जाएगी, तो सब को पता चल जाएगा।

राज: किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, अभी बताता हूं कैसे।

फिर उसने मोनू को बोला: तू इसके पीछे सीट पर जा और इसके मुंह में अपना लंड ठूस। आज इस रंडी गांड फाड़ दूंगा।

फिर उसने अपने लंड और मेरी गांड पर थूक लगायी, और लंड को मेरी गांड पर सेट करके धक्का लगाया। सुपाड़ा अंदर चला गया। जबकि मैं गांड पहले चुदवा चुकी हूं, फिर भी हल्का दर्द हो रहा था, और लंड मुंह में भी होने की वजह से आवाज बाहर नहीं आई। दूसरे धक्के में पूरा लंड अंदर चल गया।

इस तरह मेरे तीनों छेदों चूत, गांड और मुंह की चुदाई होने लगी थी। जहां मैं सिर्फ एक से चूत चुदाने आई थी, यहां तीन-तीन तगड़े लंड मिल गए। नीचे दोनों ओर से धक्के लग रहे थे। मैं तो सातवें आसमान में पहुंच गई थी। कोई देख रहा था या नहीं, मुझे कोई परवाह नहीं थी। उलटे सोच कर और चुदास बढ़ रही थी ऐसे पब्लिक प्लेस पर चुदने से।

फिर राज ने जगह बदली और मेरी चूत मारने लगा, और संजय मेरी गांड। उसका लंड मोटा होने की वजह दर्द ज्यादा हो रहा था, और मीठा दर्द भी।

मैं मुंह से लंड निकाल के बोली: चोदो अहह ओह मर गई अहह आ ओ। फाड़ दो गांड और चूत। दोनों कुत्तों, अब तक बहुत लंड लिए, पर तुम लोगों जैसा नहीं मिला।

संजय: क्यूं नहीं जान। अब तो मैं तुझे रोज चोदूंगा समझी। मैं तुझे जानता हूं साली छिनार।

मैं शॉक हो गई, कि ये क्या कह रहा था? और कैसे जानता था मुझे?

फिर मैंने उससे पूछा: कैसे जानते हो मुझे?

संजय: मैं तेरे ही घर से चार घर दूरी पर रहता हूं। तुझे रोज देखता था। पर मुझे नहीं मालूम था तू रंडी हैं। नहीं तो कब का तेरी चूत में लंड ठूस देता साली। तुझे यहां देखा तो सब समझ गया, और तेरे पास आ गया।

और ये कह कर और वो तेजी से मेरी गांड में लंड पेलने लगा। इससे चूत अपने आप नीचे राज के लंड में धस जाती, और चूत से फ़च-फ़च और गांड से थप-थप की आवाज आ रही थी। इस तरह मैं दो बार झड़ भी गई।

फिर मोनू बोला: मुझे भी इस रांड की गांड मारनी है। साली मस्त माल है। इसका पति इसे नहीं चोदता होगा, या बाहर रहता होगा साला।

मैं: हां वो साऊदी रहते है, और 2 साल में 2 या 3 महीने के लिए ही आते है। वो एक जूनियर इंजीनियर थे, और अब सीनियर हैं।

राज: उसे पता है तू रंडी हैं? और दूसरों से चुदती है?

मैं: पहले नहीं पता था। पर एक बार प्रमोशन के लिए उन्होंने अपने बड़े इंजीनियर से चुदवाया था, जो इंडिया का ही था। बस तब से मैं आजाद हो गई। तब से कोई भी काम फसता है, तो वो मुझे चुदवा कर वो उसे खुश कर देते है।

संजय: बस मैं झड़ने वाला हूं मोनू, अब तू इसकी गांड मार लेना।

फिर संजय जोर-जोर से मेरी गांड मारने लगा: अहह मेरी रंडी, अब तो तू मेरी रंडी है। बोल हैं ना मेरी रंडी? अब तेरे घर आकर तेरी चूत फाड़ूंगा, तेरे बूब्स नोचूंगा, कितने लंबे है तेरे बूब्स छिनार।

मैं: हां, तेरी रंडी हूं साले। मुझे भी ऐसा ही चाहिए था, जो रोज मेरी ठुकाई करे।

फिर संजय मेरी गांड ही अपना गरम-गरम माल निकाल दिया। पूरी गांड उसके सफेद वीर्य से भर गयी। फिर उसने मुझसे अपना लंड साफ करवाया, और वहीं बैठ गया। फिर मोनू ने उसी माल से भरी गांड में अपना लंड डाल दिया। माल से भरे होने के नाते उसका लंड एक ही झटके में अंदर चला गया। मजा और दुगुना हो गया जब गरम वीर्य और दोनों से चुद रही थी। उफ्फ़ क्या मंजर था।

फिर मेरी चुदाई रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। संजय तो जल्दी झड़ गया, पर ये दोनों झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। बस धक्के मारे जा रहे थे मादरचोद। 40 मिनट से ऊपर हो गये थे मेरी चुदाई शुरू हुए।

राज: तुझ जैसी रंडी चोदने को किस्मत से मिली थी। मैं तो धन्य हो गया। काश तुझे रोज चोदने को मिलता। अफसोस हम दोनों इस शहर के नहीं हैं, वरना रखैल बना लेते तुझे। बोल, पैसे भी लेगी रंडी?

मैं: नहीं मेरी जान। मैं तो बस अपने मजे के लिए चुदती हूं। पैसों की कमी नहीं हैं।

मोनू: सुना था इस शहर में रंडी बहुत मिलती है। आज देख भी लिया मेरी जान।

एक घंटे चुदाई चली। फिर वो दोनों झड़ने वाले थे।

मोनू: रंडी तेरी मुंह में झाड़ूंगा। बोल पिएगी मेरे लंड का रस?

मैं: जरूर।

फिर उसने मेरी गांड से लंड निकाल कर मेरे मुंह में लंड ठूस दिया। थोड़ी देर में वीर्य से मुंह भर गया, जिसे मैं गटक गई, और उसका लंड चाट कर साफ की। फिर राज ने भी अपने लंड का रस मेरी चूत में भर दिया, और मैं उसका भी लंड साफ की। फिर अपने कपड़े ठीक की, और मूवी भी 20 मिनट की और रह गई थी।

फिर राज बोला: स्वेता हम तुम्हें आज रात भर चोदना चाहते हैं, अगर तुम्हें कोई ऐतराज ना हो तो।

मैं बोली: ठीक है पर यहां अब नहीं।

राज: ठीक है होटल में?

मैं: ठीक हैं।

दोस्तों फिर उस रात वो तीनों मुझे होटल ले गए। फिर कुछ खाया-पिया गया। फिर पूरी रात उन तीनों ने मेरी जम के ताबड़तोड़ चुदाई की। फिर 4 बजे मैं संजय के साथ घर आ गई, और संजय अपने घर चल गया। और संजय तो आज भी मेरी चुदाई करता है।

तो कैसे लगी मेरी चुदाई आप जरूर बताए कॉमेंट में। मेल आईडी- [email protected]

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