चूत की आग पार्क वाले अंकल ने मिटाई-2 (Chut ki aag park waale uncle ne mitayi-2)

पिछला भाग पढ़े:- चूत की आग पार्क वाले अंकल ने मिटाई

आप सब ने मेरी कहानी में पढ़ा कैसे मैं पार्क में गई और वहां पर एक अंकल ने मुझे एक झोपड़ी में ले जाकर मेरी चूत की आग शांत की। अब आगे की कहानी सुनाने जा रही हूं।

मैं उस खाट पर नंगी ही लेटी हुई थी, और अंकल एक टूटी हुई कुर्सी पर मेरे सामने बैठे हुए थे। अंकल की नजर मेरी चूत पर ही थी, और मैं भी चाहती थी अंकल एक बार फिर से मेरी चूत की चुदाई करे। मैं अभी सोच ही रही थी कि तभी अंकल बोलने लगे-

अंकल: बहन की लोड़ी, साली रंडी, अब क्या सोच रही है तू साली? चल मादरचोद मेरे लंड को मुंह में ले साली।

अंकल अपना लंड हाथ में लेकर बोल रहे थे। मैंने अंकल को एक स्माईल दी, और लंड को उनके हाथ से लेकर अपने हाथ में ले लिया। अब मैं उठ गई, और लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। तो कभी लंड के आंड मुंह में लेकर चूसने लगती। ज्यादा झांट होने से झांटे मेरे चहरे पर चुभ रही थी, पर मैं फिर भी लंड को चूसे जा रही थी। अंकल मेरे सर को सहला रहे थे, और बोल रहे थे-

अंकल: मादरचोद, जोर से चूस मेरे लंड को।

मैं दोनों हाथो से लंड को पकड़ कर मुंह में लेकर चूसने लगी। अंकल का लंड पूरा खड़ा हो चुका था।

अंकल बोले: चल अब मेरी कुतिया बन जा।

मैं कुतिया बन गई, और मेरी गांड अंकल की नजर के सामने आ गई।

अंकल बोले: वाह रंडी, क्या मस्त गांड है तेरी। अब तो मेरा लंड तेरी गांड के अंदर ही जाएगा।

मैं बोलने लगी: अंकल आज आप मेरी चूत में ही डाल दो। गांड को किसी दिन चिकनी करके लाऊंगी, तब डाल देना।

अंकल ने मेरी बात सुन कर एक जोर का थप्पड़ मेरी गांड पर रसीद कर दिया। मैं उछल पड़ी थप्पड़ पड़ते ही। अंकल ने एक और थप्पड़ मेरी गांड पर रसीद कर दिया।

मुझे बहुत दर्द हो रहा था। फिर अंकल ने मुझे फिर से कुतिया बना दिया, और मेरी गांड पर थूक फेंक दिया। वो लंड से अपनी थूक को मेरी गांड के छेद पर घिसने लगे। फिर अंकल ने मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया, और एक झटका मारा जिससे लंड थोड़ा सा मेरी गांड के अंदर चला गया।

मैं दर्द से चीख उठी। तब अंकल ने मेरा सर पकड़ कर बैड के मुंह से दबा दिया। मेरी चीख अब अंदर ही रह गई। अंकल ने इस बार एक ओर झटका मारा, और उनका लंड मेरी गांड चीरता हुआ आधा अन्दर चला गया। मेरी बहुत जोर की चीख निकल गई। मैं दर्द से तड़पने लगी, और मैं अंकल से छूटने लगी।

अंकल का लंड मेरी गांड से बाहर निकल गया। उनको बहुत गुस्सा आ गया, और अंकल ने मेरी गांड पर थप्पड़ों की बारिश सी कर दी। मैं जोर से रोने लगी। तभी झोपड़ी के बाहर से किसी की आवाज आई। “साले आराम से चोद रंडी को, किसी ने सुन लिया तो नौकरी चली जाएगी दोनों की।”

यह बात सुन कर अंकल शांत हुए। अंकल ने वहां पड़ी हुई पेंटी ली, ओर मेरे मुंह में डाल दी, और मुझे बोले-

अंकल: बहन की लोड़ी, अब ज्यादा चिलाई तो मार दूंगा तुझे। चल कुतिया बन अब मादरचोद।

मैं फिर से कुतिया बन गई।

अंकल ने इस बार सीधा‌‌ ही लंड मेरी गांड में डाल दिया। मेरी चीख अब मेरे मुंह में ही दब कर रह गई। अंकल ने 3-4 झटकों में ही पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया। अंकल अब मेरी कमर पकड़ कर मेरी गांड चोदने लगे। आज सच में मुझे लग रहा था जैसे किसी ने एक गर्म लोहे की रोड मेरी गांड में डाल दी हो।

मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे। अंकल कभी मेरे चूचों को जोर से दबा रहे थे, तो कभी मेरी गांड में लंड डालते हुए मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहे थे। मैं दर्द में बस मर रही थी। अंकल मेरी गांड में लंड जोर-जोर से डाल कर चुदाई कर रहे थे। कुछ समय बाद मेरा दर्द कम हुआ तो मैंने वो पेंटी अपने मुंह से बाहर निकल दी। फिर अंकल को बोलने लगी-

मैं: और जोर से लंड डालो मेरी गांड में। अब मैं भी गांड आगे-पिछे करके लंड लेने लगी। मुझे भी मजा आ रहा था अब।

अंकल से चुदाई करवा कर आज मुझे असली चुदाई का ऐहसास हो रहा था। हमारी चुदाई की आवाज अब साफ सुनाई दे रही थी। तभी फिर से बाहर से आवाज आई “साले हरामी, अब बस कर। मेरा माल भी आने वाला है। मुझे भी उसको चोदना है। अब तू बाहर निकल।”

तो अंकल उसको बोले: साले भड़वे, थोड़ा रुक जा, थोड़ा समय ओर लगेगा। आज ही तो इस रंडी को असली चुदाई का मजा आ रहा है फिर साली मिले या ना मिले।

ऐसा बोल कर अंकल ने स्पीड बढ़ा दी। मैं भी अंकल के हर धक्के का जवाब अपनी गांड हिला कर दे रही थी। हमारी चुदाई को बहुत समय हो गया था। तभी एक और अंकल अंदर आ गए। अंकल उसको देख कर बोले, “साले तुझे रुकने को बोला था, रुक नहीं सकता था?” दुसरे अंकल मेरे पास आ गए और अंकल को बोले, “साले क्या माल चोद रहा है तू। साली को देख कर मेरा तो लंड खड़ा हो गया।”

अंकल उसको बोले: तो देख क्या रहा है? डाल दे रंडी के मुंह में।

उस अंकल ने भी देर ना करते हुए अपना गंदा सा लंड मेरे मुंह में डाल दिया। अब एक लंड मेरी गांड में था, और एक मुंह में। मैं दोनो लंड के बीच झूल रही थी।

अंकल के लंड के जैसा ही दूसरे अंकल का लंड था। वो मेरे गले तक अपना लंड डाल रहे थे। जब उनका लंड मेरे मुंह से बाहर आता, तो मेरा बहुत सारा थूक भी लंड के साथ बाहर निकलता। दूसरी तरफ अंकल ने थप्पड़ मार कर मेरी पूरी गांड को लाल कर दिया था।

दोनों तरफ से मुझे धक्के लग रहे थे। मैं भी दोनों के लंड को बहुत ही प्यार से ले रही थी। आगे वाले अंकल पीछे वाले अंकल को बोलने लगे, “साले यह कुंवारी रंडी तुझे कहां मिल गई साली?”

तो पीछे वाले अंकल बोले: साली पार्क में बैठ कर चूत में खुजली कर रही थी।

मेरा लंड साली को देख कर खड़ा हो गया, और मैंने साली को पूछा, और रंडी मान गई। अब देख मेरे लंड के नीचे लेटी है।

दोनों हंसने लग गए और दोनों मुझे चोदने लग गए। काफी देर बाद पीछे वाले अंकल का लंड मेरी गांड में पानी छोड़ दिया।

फिर वो साइड में आ गए। आगे वाले अंकल मेरे मुंह को चूत समझ कर चोदते रहे। मैं थक चुकी थी, पर वो कहां रुकने वाले थे। वो लगातार मेरे मुंह के अंदर धक्के लगाए जा रहे थे। मेरा पूरा मुंह लाल हो चुका था। कुछ देर बाद अंकल पूरा लंड मेरे गले तक ले गए, और उनके लंड ने भी मेरे गले में अपना पानी छोड़ दिया।

पानी मेरे गले से सीधा मेरे पेट में चला गया। मैंने उनका लंड चाट कर साफ कर दिया। अब दोनों मेरे सामने बैठ गए, और मैं एक रंडी के जैसे नंगी उनके सामने बैठी थी। फिर मेरी नजर घड़ी पर गई। समय ज्यादा हो गया था तो मैं अंकल को बोली-

मैं: अंकल अब मुझे जाना है, बहुत समय हो गया है।

दूसरे अंकल ने मेरा एक चुचा बहुत जोर से दबा दिया। मेरी हल्की चीख निकल गई, और मुझे बोलने लगे, “साली तुझे तो अब एक साथ हम दोनों के लंड से खेलना है, और तू जाने की बात कर रही है रंडी।” मैं रोने लगी तो पहले वाले अंकल बोलने लगे-

अंकल: ठीक है तुझे जाने देंगे।

मैंने रोना बंद किया।

फिर अंकल बोले: जब हम तुझे बुलाऐंगे तब तुझे आना होगा।

मैं बोली: ठीक है, आ जाऊंगी।

फिर अंकल ने मेरा फोन नंबर लिया। मैंने अपने कपड़े पहन लिए। अंकल ने मेरी पेंटी वहीं रख ली। मैं जैसे उस झोपड़ीं में आई थी, वैसे ही बाहर आ गई। बाहर आकर थोड़ी देर मैं पार्क में आकर बैठ गई। मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था। फिर मैं थोड़ा लंगड़ाते हुए घर आ गई।

कैसी लगी मेरी कहानी अपने विचार जरूर बताऐं। और यह भी बताऐं मुझे उन दोनों अंकल के पास जाना चाहिए या नहीं। आपके जवाब का इंतजार करुंगी।

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