हैलो दोस्तों,
कैसे हैं? उम्मीद है अच्छे होंगे, और देशी कहानी की सेक्सी कहानियों को पढ़ कर अपने लंड और चूत की बैंड बजा रहे होंगे। मुझे तो अब आप जान ही गए होंगे, अगर नही जानते तो आपको बता दूँ, मैं हूँ राज। मैं 22 साल का एक नौजवान छोकरा हूँ। मुझे सेक्स करना बहुत पसंद हैं। आपने हमारी पिछली कहानियों को काफी पसंद किया। तो इससे मेरा मनोबल बढ़ा है। और पेश है मेरी ये अगली कहानी!
ये कहानी तब की है जब मैं छोटा हुआ करता था। ज्यादा छोटा भी नहीं। लगभग 18 साल का था। तब मुझे खेलने का बहुत शौक था। खेल भी कैसे, जो लड़कियों के साथ खेले जाते हो। यानि जो लड़किया खेला करती है। अगर आप गाँव मे या छोटे शहरों मे रहते होंगे, तो आपको पता होगा कि यहाँ लड़के-लड़किया मिल कर लुका-छिपी, शादी इत्यादि के खेल खेला करते है।
तो मैं जहाँ रहता था उसके बगल वाले मकान मे भी एक फैमिली रहा करती थी। उनकी 2 बेटियां और 2 बेटे थे। और हम लोग 3 भाई थे। उनकी दोनों बेटियां लगभग हमारी ही उम्र की थी, जबकि बेटे छोटे थे, मेरे छोटे भाइयों के उम्र के।
हम लोग साथ मे ही खेला करते थे।
एक दिन हम लोग ऐसे ही खेल रहे थे। तो हमने कहा कि चलो अब लुका-छिपी खेलते है। हम सातों एक साथ खेलने लगे। पहले उनकी छोटी बेटी चोर बनी। वो बाहर गई और हम लोग छुपने लगे।
मैं एक छज्जे पर चढ़ गया, और बाकी लोग अपनी-अपनी सुविधा अनुसार छिप गए। फिर वो आई और सबको खोज लिया। अब चोर उसका भाई बना। क्योंकि उसे पहले ढूंढा था। वो बाहर गया तो मैं फिर से एक छज्जे पर चढ़ने लगा, तो उसकी छोटी बहन ने भी अपना हाथ मुझे दिया कि मुझे भी उपर खींचो।
मैंने उसे भी उपर खींच लिया। अब हम दोनों अकेले उपर थे। बाकी लोग दूसरे कमरों मे जा कर छिपे हुए थे। हम दोनों एक दम अंधेरे मे एक दूसरे से चिपक कर बैठे थे, तांकि कोई हमें देखे ना। तभी जो चोर बना था, उसे हम तक पहुँचने से पहले ही किसी ने धप्पा मार दिया था। यानि वो फिर से चोर बन गया, और हम तक पहुँच ही ना सका।
ऐसे ही कई बार होता गया। हम चिपके हुए ही थे। अचानक मैंने उसे अपनी तरफ जोर से चिपकाया। उसने सोचा मजाक मे किया था, तो उसने भी मुझे जोर से अपनी बाहों मे दबाया ! इतनी देर से चिपके-चिपके मेरे लंड महाराज ने भी अंगड़ाई लेनी शुरू की। हालांकि तब वो उतना बड़ा नही हो सका था, फिर भी चुभने लायक तो था ही। उसने मेरे लंड के पास अपना हाथ ले जा कर उसे दबाया।
फिर वो बोली: ये क्या हो गया?
जब उसने दबाया तो मुझे बहुत मजा आया। मैंने भी उसकी गांड को अपनी हाथों से दबाया, और उसे अपने लंड की तरफ दबाया। हम दोनों को अब मजा आने लगा था। उधर खेल जारी था, तो इधर हमारा भी खेल शुरू हो चुका था।
ऐसे ही हम लोग दबा-दबा कर मजे ले रहे थे। तभी मैंने हाथ उसकी पैंट मे डाला तो मेरा हाथ उसकी चूत की लकीर तक पहुँच गया। मैंने अपनी अंगुली से उपर नीचे किया तो वो सिसक उठी। उसने भी अपना हाथ मेरी पैंट के अंदर डाल कर मेरे लंड को दबाना शुरू किया।
बहुत मजा आ रहा था। तभी मेरे लंड से कुछ चिपचिपा सा निकलने लगा। उस समय मुझे और भी ज्यादा मजा आया। और तभी खेल-खेल में जो चोर बना था, उसने मुझे देख लिया।
अब मैं चोर बन गया। मैं बाहर गया। मेरा मन अब खेल मे नहीं लग रहा था। मैं बाहर गया और फिर अंदर आया। तो मैंने उसे देख लिया। मैं उसका नाम बोलने ही वाला था, कि फिर सोचा कि अगर इसे पहले पकड़ लूंगा, तो ये चोर हो जायेगी, और फिर हमारा काम अधूरा रह जायेगा।
फिर मैंने देखा कि उसके बगल मे उसकी बड़ी बहन छुपी थी। तो मैंने उसका नाम पहले बोल दिया, और बाकी लोगों को भी ढूंढ लिया। अब वो चोर बन गयी, और बाहर गई। फिर मैं और उसकी छोटी बहन दूसरी जगह पर एक साथ छुपने गए।
वो एक स्टोर रूम था। वहाँ कोई आता-जाता नहीं था। हम दोनो वहीं घुस गए। वहाँ जाते ही सबसे पहले मैंने उसकी पैंट को खोला और अपनी पैंट नीचे करके अपने लंड को उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। पर घुस नही रहा था।
फिर भी उपर ही रगड़ रहा था तो मुझे मजा आ रहा था, और उसे भी। इतने मे उसकी बड़ी बहन आ गयी, और हम दोनों का नाम बोल दी।
वो बोली: ये क्या कर रहे हो? अगर किसी ने देख कर मम्मी से कह दिया, तो बहुत मार खाओगे दोनों। जल्दी से उठो दोनों।
इतना सुनते ही हम दोनो खड़े हो गए। तब उसकी बड़ी बहन बोली: चलो अब हैं तीनो ऐसी जगह छुपते हैं जहाँ कोई हमे ढूंढ ही ना पाए।
मैं समझ गया कि उसके मन मे भी लालच आ गया था। अब हम तीनों छत पर जाने लगे। जबकि बाकी लोग नीचे ही खेल रहे थे। उपर मे एक कमरा था जो हमेशा बंद रहता था। हम तीनों उसी कमरे मे घुस गए और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।
उसके बाद उसने कहा: मैं तुम दोनों को बहुत देर से देख रही हूँ, मुझे भी ये खेल खेलना है।
और उसने मेरे लंड को पकड़ लिया। उसके बाद हम तीनों अपनी-अपनी पैंट खोलकर नंगे हो गए। वो दोनों बहने मेरे लंड को सहला रही थी, और मैं उन दोनो की चूत को। इसके बाद उसकी बड़ी बहन नीचे लेट गयी, और मुझे अपने उपर बुलाया, और मेरे लंड को अपनी चूत पर लगा लिया।
वो मुझे बोली: तुम जोर से दबाओ।
मैंने झटके के साथ दबाया, तो मेरा लंड उसकी चूत मे जाने लगा।
आह.. आह…
मुझे दर्द होने लगा था, क्योंकि ये मेरी पहली चुदाई थी। उसकी चूत बहुत कसी हुई भी थी, जिससे मेरे लंड को भार पड़ रहा था। फिर भी मैं धीरे-धीरे मजे लेते हुए आगे-पीछे कर रहा था। फिर उसकी छोटी बहन भी बोली कि मुझे भी ऐसे करो, और मैंने उसे भी वैसे ही चोदा।
उसकी बड़ी बहन ने मुझे किस करना भी सिखाया। इसके बाद हमने ऐसे ही खेल-खेल मे कई बार चुदाई की।
बहुत मजा आया इस खेल वाली चुदाई में। कभी-कभी मुझे लगता है कि काश वो दिन फिर लौट आये।
तो दोस्तों कैसी लगी हमारी ये बचपन की कहानी? अपने विचार हमें जरूर भेजें। हमारा ईमेल है:- kumarinishagoh@gmail.com