हेलो फ्रैंड्स। जैसा कि आप सभी जानते हैं मैं एक लड़का हूं, और मुझे औरतों की तरह सजने-संवरने और गांड मरवाने का शौक हैं। आपने मेरी पिछली कहानी को बहुत प्यार दिया है। आज मैं आपको बिल्कुल ताज़ा घटना के बारे में बता रहा हूं, जो कि इसी साल जनवरी महीने की है। जब मैंने पहली बार एक बिल्कुल अंजान आदमी से गांड मरवाई।
मुझे गांड में लंड लेते हुए करीब 8 साल हो चुके है तो अब मेरी गांड औरतों की तरह हो चुकी है। मेरी गांड अब 34″ साइज की हो चुकी है। जैसा कि आप जानते हैं मैं हिमाचल प्रदेश से हूं। तो जनवरी महीने में ठंड पूरे जोर-शोर से थी।
ये मौसम मुझे बहुत ज़्यादा पसंद आता है। क्योंकि ठंड की वजह से मोटे कपड़े पहनने पड़ते हैं। ऐसे में बड़े आराम से अंदर ब्रा-पैंटी पहन कर पब्लिक प्लेस पर भी जा सकते हैं। मैं अक्सर ठंड के मौसम में ऐसा ही करता हूं। वैसे अंडरवियर तो मैं हमेशा पैंटी ही पहनता हूं। पर ठंड के मौसम में ब्रा पहनना भी शुरू कर देता हूं। हर टाइम कपड़ों के अंदर ब्रा पैंटी पहन कर ही रहता हूं।
मेरी दीदी की शादी 2 साल पहले हो गई है। इसलिए तब से मुझे दीदी के कपड़े पहनने और कहीं भी ले जाने में बहुत आसानी हो गई है। क्योंकि दीदी के काफी पुराने कपड़े घर में ही रखे हैं। इसलिए मैं कहीं जाते समय चुपके से दीदी के कुछ कपड़े अपने बैग में छुपा कर ले जाता हूं और वहां अकेले में पहन कर एन्जॉय करता हूं।
घर में तो चोरी-छिपे भाभी के कपड़े भी पहनता हूं। पर उन्हें कहीं लेकर नहीं जा सकता।
वैसे ये दीदी के कपड़े ले जाने का मौका भी मुझे दीदी की शादी के बाद से ही मिलने लगा है।
तो जनवरी में मुझे किसी काम से शिमला जाना पड़ा। मैंने जाने से पहले दीदी की एक ब्लैक जीन्स, रेड टॉप और एक ब्लैक नाईटी अपने बैग में रख ली।
अंडरगारमेंट्स तो मैं ब्रा-पैंटी ही पहनता था इसलिए 2 ब्लैक और रेड ब्रा-पैंटी भी रख लिए। साथ में अपने कुछ मेल कपड़े रखे। मेकअप का सामान तो लेकर जा नहीं सकता था, इसलिए एक रेड लिपस्टिक रख ली बस।
मैंने अंदर पिंक ब्रा-पैंटी पहनी और बाहर जीन्स, शर्ट, स्वेटर के ऊपर जैकेट पहन ली। जीन्स मैं अक्सर टाइट ही पहनता हूं, ताकि मेरी गांड से सटी रहे, और मेरी गांड लड़की जैसी दिखे।
मुझे बस में जाना था। तो मैं लोकल बस पकड़ कर नजदीकी बस स्टैंड पहुंच गया। यहां से शिमला पहुंचने में करीब 5-6 घंटे लगने थे। मैं शिमला वाली बस में चढ़ गया। बस में अभी काफी भीड़ थी। लोकल सवारियां ज़्यादा थी। तो करीब आधा घंटा, अगले बस स्टैंड तक खड़े होकर ही जाना पड़ना था। उसके बाद ही सीट मिलनी थी।
तो मैंने अपना बैग ऊपर रख दिया, और खड़े हो गया। बस में अभी काफी लोग खड़े हुए सफर कर थे। थोड़ी देर बाद मुझे अपनी गांड पर किसी का हाथ फील हुआ। मुझे लगा भीड़ की वजह से किसी का हाथ लग गया होगा। मैने इग्नोर कर दिया। थोड़ी देर बाद दोबारा हलचल हुई। मैंने पीछे देखा तो एक 40-42 साल का आदमी खड़ा था। वही अपना हाथ लगा रहा था। देखने में हैंडसम था। मैंने कुछ नहीं बोला।
थोड़ी देर बाद वो आदमी बिल्कुल मेरे पीछे आ गया और बस के झटकों के साथ अपना लंड मेरी गांड पर दबाने लगा। मेरी मोटी गांड के स्पर्श से उसका लंड खड़ा हो गया था, जो मैं फील कर पा रहा था। पर मैं बिल्कुल अंजान बन कर खड़ा था। अब करीब 5 मिनट में अगला बस स्टैंड आने वाला था, तो यहां बस खाली हो जानी थी। मुझे लगा कि वो आदमी वहीं उतर जाएगा।
क्योंकि वो आदमी मेरे बस में चढ़ने के थोड़ी देर बाद ही बस में चढ़ा था। उसके पास कोई बैग या सामान भी नहीं था। तो मुझे लगा था कि कहीं लोकल ही जा रहा होगा। वो लगातार मेरी गांड पर अपना लंड दबाये जा रहा था। तो मैंने अब उसकी तरफ देख कर उसे स्माइल पास कर दी, और हल्की सी गांड खुद पीछे उसके लंड पर दबा दी।
मेरी स्माइल और सिग्नल पाकर उसने भी स्माइल दी और अब वो खुल कर मेरी गांड पर लंड रगड़ने लगा। थोड़ी देर में बस स्टैंड आ गया। अब बस लगभग खाली हो गई। बस में 10-12 लोग ही बचे। बाकी सब उतर गए। पर वो आदमी नहीं उतरा। अब मुझे थोड़ा डर भी लगने लगा, कि मैंने उसे ग्रीन सिग्नल दे दिया था। अब पता नहीं वो क्या करेगा।
मैं खाली सीट पर जाकर बैठ गया। वो भी मेरे बगल में आकर बैठ गया। मैं विंडो साइड बैठा था। मैं उसको लगातार विंडो से बाहर देखे जा रहा था। करीब 10 मिनट बाद बस चल पड़ी। तब तक हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई।
बस चलने के बाद वह मेरे कान के पास आकर बोला: गांड बड़ी मस्त है तुम्हारी। मज़ा आ गया।
मैंने कुछ बोले बिना स्माइल पास कर दी।
फिर उसने मुझसे पूछा: कहां जा रहे हो?
तो इस तरह हम दोनों में बातें शुरू हुई। उसका नाम आकाश था। उसने बताया कि उसका घर शिमला में ही था। शहर से थोड़ा दूर यहां उसक ससुराल था। वो अपने बीवी-बच्चों को ससुराल छोड़ने आया था, और अब वापस जा रहा है।
फिर उसने मुझसे पूछा: आज की रात मेरे साथ बिताओगे क्या?
मैं: अभी लंबा रास्ता है सोचता हूं।
रास्ते भर हम दोनों इधर-उधर की बातें करते रहे। बात-चीत से मुझे वो जेन्युइन लगा तो मैंने उसका रात का प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया। शाम करीब 4 बजे हम लोग शिमला पहुंच गए। हम लोग पुराने बस स्टैंड पर उतर गए और वहीं नजदीक में ही एक होटल में जाकर उसने रूम बुक कर लिया।
रूम में आने से पहले ही उसने कॉण्डम का पैकेट खरीद लिया था। रूम के 1500 उसने ही दिए, जिसकी भरपाई वो मेरी गांड से ही करने वाला था। रूम होटल की तीसरी मंजिल पर था। हम लोग रूम में गए। वो रूम का दरवाजा बंद करने लगा। मैंने अपना बैग टेबल पर रखा। तभी उसने मुझे पीछे से जकड़ लिया, और मेरी गांड पर पैंट के बाहर से ही अपना लंड रगड़ने लगा।
मैंने बोला: यार थोड़ा रुको तो सही। गांड मरवाने ही आया हूं तुम्हारे साथ। पर पहले मुझे बहुत जोर से टॉयलेट लगा है, वो करने दो।
आकाश: साला पेशाब तो मुझे भी जोर से लगा है। रुक पहले मैं करके आता हूं, फिर तुम जाना।
मैं: ठीक है, जाओ।
तभी मुझे ख्याल आया कि अभी गांड मारे बिना तो ये छोड़ेगा नहीं। अंदर ब्रा-पैंटी तो मैंने पहन ही रखी है, क्यों ना नाईटी भी पहन लूं। आकाश वाशरूम से बाहर आ गया। तो मैं अपना बैग लेकर वाशरूम में घुस गया।
आकाश: बैग लेकर कहां जा रहा? जल्दी बाहर आ। लंड बहुत तड़प रहा है यार।
मैं: बस कपड़े चेंज करके 2 मिनट में आ रहा हूं।
मैंने टॉयलेट करके फटाफट अपने कपड़े उतारे, और दीदी की जो ब्लैक नाईटी बैग में लाई थी, वो पहन ली। फिर जल्दी से बैग से लिपस्टिक निकाल कर डार्क लिपस्टिक लगाई। और फिर दरवाजा खोल कर गांड मटकाता हुआ बाहर आ गया। अब मैं दिशा बन चुकी थी। मुझे इस रूप में देख कर आकाश चौंक गया। उसने इस चीज़ की तो उम्मीद भी नहीं की थी।
वो तुरंत उठा और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैं भी उसकी बाहों में समा गई।
आकाश मेरे होंठ चूसने लगा। होंठ चूसते-चूसते उसने मुझे बेड पर लिटा दिया, और मेरे ऊपर आ गया। मैं आज पहली बार एक बिल्कुल अंजान आदमी से चुदने जा रही थी।
आकाश अपनी पैंट उतार कर अपना लंड मेरे होंठो के सामने ले आया। मैंने तुरंत मुंह में भर लिया और चूसने लगी। उसके मुंह से सिसकारियों की आवाज आ रही थी। वो मुझे डार्लिंग-डार्लिंग बोल रहा था।
मैं: आकाश बेबी, मुझे मेरा नाम लेकर पुकारो। मैं तुम्हारी दिशा हूं।
आकाश: ओके दिशा डार्लिंग।
आकाश ने करीब 5 मिनट तक मेरा मुंह चोदा। फिर वो मेरे ऊपर से हटा। और मुझे उल्टा लिटा दिया। मेरी नाईटी ऊपर की तरफ खिसका दी और पैंटी नीचे खींच कर उतार दी। अब तक काफी लंड लेने की वजह से मेरी गांड खुल चुकी है।
मेरी गांड देख कर आकाश बोला: दिशा डार्लिंग, तुम तो पक्की खिलाड़ी हो।
फिर उसने कॉण्डम पहना। मेरी गांड और अपने लंड पर थूक लगाया और लंड गांड के छेद पर टिका दिया।
पहला झटका मारते ही आधा लंड गांड में घुस गया। अब झटके सहने की तो आदत हो गई है। आकाश ने मुझे नॉर्मल देख कर एक और झटका देकर पूरा लंड अंदर पेल दिया। अब वो मेरी गांड चोदने लगा।
अब मैं सोच रही थी कि कहां 7 घंटे पहले वो बस में पैंट के ऊपर से मेरी गांड पर लंड रगड़ रहा था, और अभी मैं बिस्तर पर उसकी रंडी बन कर चुद रही थी। मैंने यही बात आकाश को बताई। हम दोनों को हंसी आ गई। वो और जोर से मेरी गांड मारने लगा।
अभी तक मैं उल्टा लेट कर चुद रही थी। 5 मिनट बाद उसने मुझे कुतिया की तरह झुकने को बोला, और फिर मेरी गांड मारने लगा। करीब 10 मिनट ऐसे ही मेरी गांड मारने के बाद वो झड़ गया।
लंड बाहर निकाल कर उसने कॉन्डम उतारा और मुझे लंड चूसने को बोला। मैंने उसे लेटने को बोला और ऊपर आकर लंड चूसने लगी। मैंने लंड पर लगा माल चाट-चाट कर साफ कर दिया। 5-7 मिनट में ही उसका लंड फिर तैयार हो गया।
उसने मुझे लंड पर बैठने को बोला। मैंने उसके लंड पर कॉण्डम पहनाया और उसके चेहरे की तरफ़ मुंह करके उसके लंड को गांड पर टिका कर बैठ गई। लंड बहुत आसानी से अंदर घुस गया। फिर मैं ऊपर-नीचे होकर चुदने लगी। बीच-बीच में आकाश मेरे चूतड़ पकड़ कर मुझे ऊपर-नीचे कर रहा था।
उसने करीब 10 मिनट तक मुझे ऐसे ही चोदा। फिर मुझे उठा कर दोबारा कुतिया बना दिया, और पीछे आकर मेरी गांड पेलने लगा।
आकाश ने इस बार 15-20 मिनट तक मुझे कुतिया बना कर पेला और फिर झड़ गया। फिर हम दोनों आराम करने के लिए लेट गए।
फिर थोड़ी देर बाद हम घूमने भी गए। और वापस आकर आकाश ने रात में 4 बार और मेरी गांड मारी।
अगर रात की चुदाई की कहानी जाननी है तो मुझे जरूर बताएं।
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