मेरा नाम रितिक है, और मैं 25 साल का हूं। मेरे घर में मैं, मम्मी-पापा, भाई और भाभी रहते हैं। भाई की शादी को अभी 2 साल हुए हैं।
मेरे भाई का नाम कार्तिक है और भाभी का शिवानी है। भाई की उम्र 28 साल और भाभी 26 की हैं। ये कहानी मेरी और मेरे भाई की चुदाई की है। कैसे मेरे भाई ने मेरी गांड मारी।
मेरे शरीर पर एक भी बाल नहीं है। दाढ़ी-मूछ आती है, पर मैं क्लीन शेव ही रखता हूं। बचपन से ही लड़कियों के कपड़े पहनने का शौक था। मुझे जब भी मौका मिलता था तो मैं चोरी-छिपे मम्मी के कपड़े पहन लेता था। भाई की शादी के बाद मैं भाभी के कपड़े भी पहनने लगा था। भाभी के कपड़े पहनने में मुझे ज़्यादा मज़ा आता था, क्योंकि भाभी के कपड़े स्टाइलिश होते थे और मुझे फिट भी आते थे।
शादी के बाद कार्तिक भैया ने भाभी को खूब पेला था। शादी के वक्त भाभी की गांड नॉर्मल थी। पर शादी के 5-6 महीनों में ही भाभी की गांड बाहर निकल गयी थी। भैया अपने ही शहर में सरकारी नौकरी करते हैं, इसलिए वो भाभी को चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे।
लेकिन अब भाभी प्रेग्नेंट थी और उनका सातवां महीना चल रहा था। मतलब 4-5 महीनों से भैया के लंड को छेद का सुख नहीं मिला था।
हमारे घर में 2 फ्लोर हैं। मम्मी-पापा नीचे वाले फ्लोर पर रहते हैं। भाई-भाभी और मेरा कमरा ऊपर वाले फ्लोर पर था। फ्लोर में बाथरूम एक ही था। इसलिए अक्सर मुझे बाथरूम में भाभी के कपड़े लटके हुए मिल जाते थे, जो भाभी ने नहाने के बाद उतारे होते थे। मैं अक्सर उन्हीं कपड़ों को पहनता था। मुझे बड़ा मजा आता था।
एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। रात के 12 बज रहे थे, तो मुझे लड़की के कपड़े पहनने का मन हुआ। मैं बाथरूम में गया तो किस्मत से मुझे वहां भाभी के कपड़े भी मिल गए। एक नीले रंग का सूट था, उसके नीचे काले रंग की ब्रा-पैंटी भी थी। मैंने तुरंत अपने कपड़े उतार कर भाभी की ब्रा-पैंटी और सूट पहन लिया। अपने कपड़े मैंने वहीं लटका दिए, जो मेरी सबसे बड़ी भूल थी।
अप्रैल का महीना था तो गर्मी का मौसम आ गया था। मेरा मन ठंडी हवा खाने का हुआ, तो मैं ऊपर छत पर चला गया। छत पर टहलते हुए मस्त ठंडी हवा का मज़ा लेने लगा। चारों तरफ अंधेरा था, इसलिए किसी के देख लेने का भी डर नहीं था।
मुझे छत पर करीब आधा घंटा हो चुका था। मैं ग्रिल के सहारे खड़ा होकर अपने ख्यालों में खोया था। तभी अचानक किसी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया।
मैं कुछ कर पाता तब तक उसने मुझे पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लिया था। मैं भाभी के कपड़ों में था इसलिए मैं चिल्ला भी नहीं सकता था। क्योंकि अगर घर वाले जाग जाते तो और मुसीबत। पर मुझे समझने में देर नहीं लगी। हाथों में पहनी अंगूठी से पहचान लिया कि मुझे बाहों में जकड़ने वाले और कोई नहीं, बल्कि कार्तिक भैया थे।
तभी कार्तिक भैया बोले: तू यहां पर ये क्या कर रहा है? और तूने शिवानी के कपड़े क्यों पहन रखे हैं?
मैं (डरते हुए): भैया वो ऐसे ही। मन कर रहा था।
भैया: मन कर रहा था तो क्या औरत बन जाएगा।
मैं कुछ नहीं बोल पाया।
भैया: चल छोड़। जब तूने औरत बनने का शौंक पाल ही रखा है, तो जल्दी से मेरे लंड की आग बुझा दे चल।
मैं: भैया ये आप क्या बोल रहे हो? मैं आपका छोटा भाई हूं।
भैया: जब तू अपनी भाभी के कपड़े पहन सकता है, तो भाई की प्यास भी तो बुझा ही सकता है।
भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, और अपने लंड पर रगड़ने लगे। अब मुझे भैया की बात मानने के अलावा कोई और रास्ता नज़र नहीं आ रहा था, तो मैं वहीं करने लगा जो वो चाह रहे थे। मैं खुद भैया का लंड सहलाने लगा। अब भैया ने अपना हाथ हटा लिया और मैं उनका लंड सहलाता रहा। अभी तक भैया ने मुझे कमर से पकड़ रखा था, और मैं हाथ पीछे करके उनका लंड सहला रहा था।
मैंने भैया से पूछा: भैया, आपको पता कैसे चला कि मैं यहां पर हूं।
भैया: मैं तो बाथरूम में तेरी भाभी की ब्रा से लंड हिलाने के लिए आया था। पर बाथरूम में देखा तो उसके कपड़े ही गायब थे। जबकि मैंने उसके कपड़े वहां लटके हुए अपनी आंखों से देखे थे। जब मैंने वहां पर शिवानी के कपड़ों की जगह तेरे कपड़े लटके देखे तो मैं तुझे तेरे रूम में देखने गया। तू वहां नहीं था तो मुझे शक हुआ। फिर मैं छत पर आया। उसके बाद से तू मेरी बाहों में है।
भैया ने इतना बोलते ही मेरा हाथ पकड़ कर अपने ट्राउजर के अंदर डाल दिया। फिर मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया। अब मैं भैया का लंड पकड़ कर हिलाने लगा। भैया का चेहरा देख कर लग रहा था कि उनको मजा आ रहा था। भैया ने मुझे लंड चूसने को बोला।
मैं नीचे बैठ कर भैया का लंड चूसने लगा। भैया मेरा सिर पकड़ कर लंड अंदर-बाहर कर रहे थे। बीच-बीच में भैया मेरा सिर अपने लंड पर दबा दे रहे थे। मुझे सांस भी नहीं आ रही थी।
अब भैया बोले: चल अब खड़ा हो और गांड में लेने के लिए तैयार हो जा।
मैं: भैया नहीं। गांड में नहीं ले पाऊंगा।
भैया: ट्राई तो कर। आराम से करूंगा।
मैं मान गया। मैं सलवार का नाड़ा खोल कर और पैंटी को नीचे सरका कर ग्रिल के सहारे झुक कर खड़ा हो गया। भैया ने अपने हाथ की दो उंगलियां मेरे मुंह में डाल दी, और चूसने को बोला। मैंने चूस कर दोनों उंगलियां गीली कर दी।
फिर भैया ने मेरी गांड में थूका और एक उंगली गांड में डाल दी। उंगली अंदर घुसते ही मुझे बहुत दर्द हुआ। मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को चिल्लाने से रोका। भैया आराम-आराम से उंगली अंदर-बाहर करने लगे। मुझे दर्द हो रहा था।
थोड़ी देर बाद भैया ने दूसरी उंगली भी गांड में घुसा दी। अब मैं खुद को रोक नहीं पाया, और दर्द के मारे चिल्ला पड़ा। भैया ने तुरंत दोनों उंगलियां बाहर निकाल दी, और अपने हाथ से मेरा मुंह बंद कर दिया।
भैया: चिल्ला क्यों रहा है। मरवाएगा क्या? कोई उठ गया तो दिक्कत हो जाएगी।
मैं: भैया मैं तो बोल ही रहा हूं कि गांड में नहीं ले पाऊंगा। आप ही ज़िद कर रहे हो।
भैया: साली तेरी गांड ही इतनी टाइट है कि मैं भी क्या करूं?
भैया गांड के बाहर से ही अपना लंड रगड़ने लगे। ये मेरा पहला अनुभव था, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
भैया: चल तेरी गांड किसी और दिन मारूंगा। अभी तू जल्दी से चूस कर लंड को बिठा दे। नहीं तो कहीं तेरी भाभी ना जाग जाए।
मैंने पैंटी और सलवार पहनी। फिर घुटनों के बल बैठ कर भैया का लंड चूसने लगा। भैया बीच-बीच मेरा मुंह चूत या गांड की तरह चोद रहे थे। 10 मिनट चूसने के बाद भैया मेरे मुंह में ही झड़ गए। उन्होंने मेरा मुंह जोर से अपने लंड पर दबा दिया। मजबूरन मुझे लंड का सारा पानी अंदर निगलना पड़ा। उसके बाद मैंने चूस कर भैया के लंड को साफ किया।
फिर भैया नीचे चले गए। थोड़ी देर बाद मैं भी नीचे आ गया। बाथरूम में भाभी के कपड़े रखे और अपने कपड़े पहन कर अपने कमरे में आकर सो गया।
गांड मरवाने की कहानी अगले पार्ट में बताऊंगा। ईमेल- [email protected]