पहला एहसास
एक दिन मेरे साथ एक हादसा हुआ कि मुझे तब से लड़के पसंद आने लगे। अब वो क्या हादसा था। उसे छोड़िये….।
मेरे मन में अब किसी स्मार्ट लड़के को देखकर यही ख्याल आता था कि किसी न किसी तरह से इसकी गांड मिल जाये पर फेसबुक पर जिनसे भी बात होती वो बड़े ही दूर के होते थे।
मैं 25 साल का लड़का हूँ। गोरा चिट्टा और जीम जाने से थोड़ी बॉडी भी बन गई है पर किस काम की अभी तक कोई मिला नहीं। उस समय blued जैसे app भी नहीं चलते थे। एक दिन मुझे मेरे आफिस में एक लड़का दिखा उसे देखते ही मेरा लन्ड तो खड़ा हो गया था।
वो इतना हैंडसम था कि क्या बताऊँ ? हमउम्र ही था। उसे देखते ही मेरे मन में यह ख्याल आया कि इसकी गांड के बदले तो मैं अपनी गांड भी दे दूं। मैंने उसके बारे में पता करना शुरू किया तब पता चला कि उसका नाम कन्हैया है।
जैसा नाम था वैसा वो भी था। उसकी कंजरी आंखे, गोरा चेहरा कसा हुआ बदन पर जब भी उससे बात करने की कोशिश की वो ज्यादा बात नहीं करता था। मुझे तो बस एक ही चाह थी उसे पाने की पर किस तरह।
उसे जब भी देखता मेरे अंदर गुदगुदी शुरू हो जाती। उसका और मेरा डिपार्टमेंट अलग अलग था इसलिए बात ज्यादा नहीं हो रही थी फिर एक दिन किसी काम से मैंने उससे पहचान की और मोबाइल नंबर ले लिया।
मेरा नाम आदित्य है , मेरा नाम कन्हैया। उसने मुझसे हाथ मिलाया और फॉर्मल आफिस की बात हुई और फिर मुलाकात खत्म। ऐसे आफिस में हमारा एक ड्रेस कोड है हमेशा उसे एक ही ड्रेस में देखता था।
रात में मैं उसे मैसेज करता उसके भी रिप्लाई आते पर वो मुझे नार्मल दोस्त की तरह ही लेता था। एक दिन हम दोनों मार्केट में मिले। आज पहली बार उसे ब्लैक शर्ट और जीन्स में देखा। उसके शर्ट के 2 बटन खुले हुए थे। मैं तो उसकी तरफ दौड़ा ही चला गया।
उस दिन हमारी पक्की दोस्ती की शुरुआत हुई। अब हम आफिस में भी अक्सर मिलते फिर हमारा एक आफिस का ग्रुप भी बन गया। पार्टी होने लगी पर मुझे कभी भी डर के कारण वह मौका नहीं मिला। मैं रात-रात भर उसके सपने देखता फिर कभी हिम्मत नहीं हुई क्योंकि मैंने आज तक किसी के साथ कुछ भी नहीं किया था।
एक दिन वो मेरे पास आया और मुझसे कहने लगा यह मेरी शादी का कार्ड तुम्हें जरूर आना है और हो सके तो बारात भी चलना।
मैंने उससे कहा कि हो सके क्यों मैं तो जरूर चलूंगा।
अरे पहले देख तो ले चलना कहाँ है ?
यहाँ से 1000 किलोमीटर दुर है शादी।
तो मैंने कहा ठीक है फिर भी चलूंगा।
आफिस में सबको पूछा पर केवल विशाल ने ही हाँ कहा है बाकि सभी मना कर गए हैं।
फिर उसने कहा कि यदि सच में चलो तो मैं ट्रैन में रिजर्वेशन करवा देता हूँ।
मैंने उससे कहा कि हाँ में सच में चलना चाहता हूँ।
ऐसे मुझे बुरा तो बहुत ही लग रहा था कि अभी तक कुंवारा था तब तक तो मैं लाइन नहीं मार पाया अब शादी के बाद तो यह कभी भी हाथ नहीं आएगा।
आफिस से बड़ी मुश्किल से छुट्टी मिली। कन्हैया के साथ उसके कॉलेज के दोस्त भी थे इसलिए मैं और विशाल बिल्कुल ही अकेले पड़ गए थे। विशाल भी दिखने में बहुत ही अच्छा है पर कभी भी मेरे मन में विशाल के कोई फिलिंग ही नहीं आई थी मुझे तो बस कन्हैया ही चाहिए था। कन्हैया कुर्ते पैजामे में बड़ा ही मस्त लग रहा था।
ऐसे भी शादी के कारण उसके चेहरे पर तो बहुत ही निखार आ चुका था। पूरे ट्रैन के सफर में उसने मुझे और विशाल को केवल इशारो में ही पूछा कि तुम दोनों ठीक तो हो।
बारात दोपहर 12 बजे पहुंच गई थी। हम सबके लिए लड़की वालों ने होटल बुक की थी। मुझे और विशाल को भी एक अलग कमरा मिला। आज कन्हैया की सगाई है और कल दिन में शादी। इस तरह हमें आज की रात और कल का पूरा दिन इसी तरह काटना है।
एक तो मुझे कन्हैया की तड़प लग रही थी और ऊपर से उसका इस तरह दूल्हे के रूप में सजना। मेरे लंड को बार-बार खड़ा कर रहा था। खाना खाने के बाद विशाल और मैं भी कन्हैया के रूम में चले गए।
वहाँ पर वो तैयार हो रहा था उसका एक दोस्त था और वो अकेला था तभी उसके दोस्त ने कहा कि अरे इसका साफा तो हम कार में ही भूल आये है। वो विशाल के साथ साफा लेने चला गया और मुझसे कहकर गया कि इसे अकेले मत छोड़ना। हम 10 मिनट में आते हैं।
मैंने मेरे मन में सोचा मैं तो इसके साथ यह पूरी रात अकेले काट लूं। 10 मिनट की क्या बात ?
तभी कन्हैया ने मुझसे कहा कि तुम और विशाल बहुत बोर हुए न।
अरे नहीं यार। ऐसी कोई बात नहीं। वो शेरवानी पहन रहा था उसे देखकर अब तो मुझे बस उसे एक हग करते हुए एक किस करने का मन कर रहा था पर मुझे कुछ समझ नहीं आया कैसे ?
मेरा लंड पूरा तन चुका था और मैं अपने वश में नहीं था तभी मुझे उसकी शेरवानी की बटन ऊपर नीचे दिखाई दी। मैंने उससे कहा कि अरे शेरवानी की बटन गलत लगी है सही कर लो तो उसने मुझसे कहा कि आदित्य दूल्हा कोई काम नहीं कर सकता तुम इसे सही कर दो प्लीज।
मुझे तो मौका मिल गया था उसके बदन को हाथ लगाने का उसने अपने हाथ उठा लिये और मैंने उसकी पूरी बटन खोल दी। उसकी बटन खोलकर उसे ऊपर से न्यूड देखकर मैं तो अपने होश खो बैठा और मैंने उसे कसकर गले लगाया और उसके होंठो पर किस कर दिया।
उसने मुझे झटके से दूर किया और मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ। वो मुझसे कुछ कहता तब तक वो दोनो साफा लेकर बाहर आ गए और मैं तुरंत उसके रूम से निकलकर अपने रूम में आ गया।
मुझे बार-बार यही अफसोस था कि मैंने ऐसा क्यों किया ? सगाई हो गई।
मैं भी वहीं था वो मुझे बड़े ही गुस्से भरी नजरों से देख रहा था और मैंने अपनी नजरें शर्म से नीचे झुका ली थी। सगाई के बाद रात का खाना भी हो गया। विशाल मेरे कमरे में आया और मुझसे कहने लगा कि भाई एक काम है यार तुझसे।
मैंने पूछा क्या काम है ?
अरे तू चल तो सही।
वो मेरा हाथ पकड़कर कन्हैया के रूम में ले आया।
ये आदित्य आ गया अब चलो। दारू पीने चलते हैं। आदित्य नहीं पीता है और यह कन्हैया के साथ रह लेगा।
हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे इतने में कन्हैया के सभी दोस्त और विशाल दारू पीने चले गए।
हम दोनों बैठे हुए थे तभी कन्हैया का एक दोस्त आया और उसने मुझसे कहा कि भाई इसकी यह ड्रेस उतारकर घड़ी करके बेग में रख देना यार प्लीज। ये कोई काम नहीं कर सकता है न।
मैंने हाँ में सिर हिला दिया।
मैं कन्हैया के पास गया और उसे सॉरी बोला। उसने कोई जवाब नहीं दिया। उसने साफा उतारने की कोशिश की पर वो कहीं से फंस गया तब मैं उसके पास गया और उसका साफा उतार दिया। शेरवानी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि इसे भी उतार देता हूँ।
मैंने उसकी शेरवानी उतार दी उसे इस तरह देखने पर मेरा अपने मन को काबू करना बहुत ही कठिन काम था फिर उसने कहा कि मेरा कुर्ता और पायजामा बेग से निकाल दो आदित्य। शेरवानी के नीचे वो सालवा पहना था मैंने उसे भी उतार दिया अब वो एक कट वाली चड्डी में था।
मैं बस उसे ही देखे जा रहा था मुझे उसकी सफेद चड्डी में लंड का शेप भी दिख रहा था और जब मै कुर्ता लेने के लिए नीचे झुका तो उसकी गांड भी क्या मस्त दिख रही थी पर मैं अब कुछ भी नहीं कर सकता था।
मैंने उसे पायजामा पहनाया और पहनते हुए जान बूझकर उसकी गांड और लंड को छूने की कोशिश की पर उसने मुझे कोई उत्तर नहीं दिया फिर मैंने उसे कुर्ता पहना दिया। रात के 10 बज चुके थे।
कन्हैया ने कहा कि गेट लगा दो आदित्य अभी ये लोग बहुत लेट आएंगे तभी उसका फ़ोन बजने लगा और वो बाहर चले गया। करीब 5 मिनट बाद वो अंदर आ गया और उसने गेट लगा दिया। हम दोनों अब बिस्तर पर लेटे हुए थे। कन्हैया का लंड खड़ा था ये मैंने महसूस किया। मैंने सोचा कि एक बार फिर से ट्राय किया जाए।
मैंने लाइट बन्द कर दी और छोटी लाइट लगा दी। गर्मी बहुत हो रही थी तब कन्हैया ने कहा कि आदित्य गर्मी बहुत है क्या मेरा कुर्ता उतार दोगे। अब मेरे पास मौका था मैनर उसके कुर्ते के बटन खोले और उसे फिर से हग कर लिया। उसकी गरदन के वहाँ पर चुम लिया तो उसने भी मुझे पकड़ लिया। अब तो सब ओपन हो चुका था उसने मुझसे कहा कि जब तुमने दोपहर में मुझे किस किया था तब से मैं बेचैन हूँ।
मैं उस पर पागलो की तरह टूट पड़ा और वो मुझ पर। हम दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थे। एक दूसरे के कपड़े उतर चुके थे। अब केवल चड्डियां बाकी थी। मैंने उसकी चड्डी सरका दी उसका लंड मेरे लन्ड के बराबर था याने 6 इंच का। न ज्यादा मोटा और न पतला।
उसने भी चड्डी हटा दी। मेरे लन्ड को देखकर उसने कहा कि पता ही नहीं चल रहा है किसका लन्ड कौन सा है ? एक ही साइज के और समान मोटाई के थे। हम दोनों अब बिस्तर पर मदहोश होने लगे। उसने मुझसे कहा कि आदित्य तुम पूरे रास्ते यही सोचते हुए आये थे न। सोचा तो और कुछ था पर जाने दो ?
क्या सोचा था ? तुम्हारी गांड चाहिए कन्हैया मुझे ?
मुझे भी तुम्हारी गांड चाहिए आदित्य।
मैं हँसा और उससे कहा कि भाई जब पहली बार तुझे देखा था तो मन ने यह वादा किया था कि इसे पाने के लिए तो मैं अपनी गांड भी दे दूं।
तो फिर पूरा करो वादा ?
मैंने कहा हाँ ले लो फिर मुझे देना पड़ेगी।
उसने भी मुस्कुराते हुए कहा कि पहले दो तो सही।
उसने उसका लन्ड मेरी गांड में डालने की कोशिश की पर वो जा नहीं रहा था न मुझे अनुभव था और न ही उसे फिर मैं सीधा लेट गया और अपने पैर ऊपर कर दिए और उसे कहा कि तेल लगाकर डाल इतना सुनते ही उसने वही कहा और उसका लन्ड मेरी गांड में।
मेरी जोर से चीख निकली पर उसने मेरा मुंह दबा दिया अबे मेरी शादी तुड़वायेगा क्या चीख क्यों रहा है ? दर्द हुआ बे। रुक साले तुझे भी बताता हूँ जब लंड जाता है तो कैसा लगता है ? वो मुझे चोदे जा रहा था मैं भी उससे मस्त अपनी गांड चुदवा रहा था।
तूने मुहे सुहागरात का अनुभव दे दिया आदित्य। और वह मजे ले लेकर मुझे चोद रहा था। करीब 25 मिंट बाद उसका निकल गया। वो शांत हो गया। मैं भी उसके साइड में लेट गया। उसने मेरे लन्ड को पकड़ा उसे कड़क किया और कहने लगा कि ले अब तेरी बारी।
मैंने उससे कहा नहीं रे रहने दे फिर कभी तू दूल्हा है पर उसने कहा कि दूल्हे से पहले तेरा दोस्त हूँ और मैंने तुझसे वादा भी किया है। मैंने उससे कहा ठीक है। ये पहन।
और मैंने उसे सालवा दे दिया। फिर उसकी शेरवानी पहनाकर , शेरवानी का दुप्पटा उसके गले मे डाल दिया।
ये क्या कर रहा है आदित्य ?
तुझे दूल्हा बना रहा हूँ।
मतलब ?
देखते जा बस।
मैंने जैसा अपने ख्यालो में उसे चोदने का सोचा था उसे साकार कर दिया। उसकी शेरवानी की बटन खोली उसे पहले चूमा। फिर उस उसका दुपट्टा वापस पहनाया और उसे घोड़ी बनाया और रूम में लगे आयने की तरफ ले गया।
फिर उसका सालवा आधा नीचे खसकाया और फिर उसकी गांड में तेल लगाकर अपना लंड डाला। उसकी भी जोर की चीख निकली वह कराहने लगा।
अब बोल साले चीख क्यों निकली ?
आदित्य बहुत दर्द होता है यार।
मुझे भी अभी यही दर्द हुआ था।
मैं उसे चोदने लगा। आयने में उसे एक्सप्रेशन साफ साफ दिख रहे थे। दूल्हे की ड्रेस में चोदने पर मुझे मजा आ रही थी। वो आ आ आ की आवाज निकाल रहा था और मैं उसे चोदकर मजे ले रहा था। तभी मेरा मन उसके मुंह मे देने के लिए करने लगा और मैंने उसे तुरंत पलटाया और उसके मुंह मे दे दिया।
मैं तो मतवाला हो रहा था और उसे बोल रहा था चूस साले चूस। कितने महीनों तूने तड़पाया है। तभी रूम का दरवाजा अचानक खुल जाता है लाइट चालू हो जाती है। हमने तो दरवाजा बंद कर दिया था पर एक चाबी विशाल के पास भी थी।
विशाल ने दरवाजा बंद किया।कन्हैया ने अपना सालवा ऊपर चढ़ा लिया और मैंने अपनी चड्डी।
अबे साले कल तेरी शादी है और आज तू ये सब कर रहा है ? एक दिन का भी सब्र नहीं हुआ तुझसे।
अच्छा हुआ तेरे कॉलेज के दोस्त मेरे रूम में सो गए है और मैं तुझे ये चाबी देने आ गया। वार्ना क्या इज्जत रह जाती तेरी उनके सामने।
विशाल ने फिर मुझसे कहा कि साले तू तो बड़ा कमीना निकला। इसकी आज तक मैं न ले सका और तूने इसकी ले ली।
हम दोनों ने बड़े ही आश्चर्य से विशाल को देखा।
अबे ऐसे क्या देख रहे हो ?
चल साले उतार इसे। इतना कहकर विशाल ने कन्हैया का सालवा उतारकर फेंक दिया और नंगा कर दिया।
विशाल अपने कपड़े उतारने लगा और देखते ही देखते पुरा नंगा हो गया उसका लंड हम दोनों के लन्ड से काफी बड़ा था। उसने कन्हैया को पीछे पलटा दिया।
कन्हैया उससे कहने लगा कि बहुत दर्द हो रहा है मत डाल विशाल।
पर विशाल को दारू का नशा भी था। उसे तो बस कन्हैया की गांड चाहिए थी।
मैंने उससे कहा कि विशाल उसकी रहने दे यार उसे दर्द हो रहा है तेरा लंड भी बड़ा है। उसकी कल शादी भी है। विशाल ने मुझसे कहा अबे हट खुद ने तो मार ली और मुझे रोक रहा है। तेरी तो कभीभी ले लूंगा पर इसकी आज नहीं मिली तो फिर कभी नहीं।
इतना कहकर विशाल ने कन्हैया की गांड में लंड डाल दिया। मैंने कन्हैया का मुंह दबा दिया ताकि किसी को पता न चले कि क्या हो रहा है ? विशाल के चोदने से उसकी जान जा रही थी।
10 मिनट बाद मैंने उससे कहा कि अब छोड़ दे उसे तेरी इच्छा पूरी तो हो गई। विशाल मान गया पर उसने मेरी गांड मांगी फिर उसने मेरी गांड में वो लण्ड फंसाया इस बार कन्हैया ने मेरा मुंह दबा दिया। उसके लण्ड की चुदाई बहुत ही खतरनाक थी।
हमारी केवल एक गलती ने हम दोनों की यह हालत कर दी। हमने चाबी का ध्यान रखना चाहिए था। विशाल ने करीब आधे घण्टे तक मुझे चौडा फिर वह चला गया। मैं कराह रहा था और कन्हैया मुझे ढांढस दे रहा था।
कन्हैया ने मुझे कहा कि आदित्य सभी इच्छा पूरी हो गई पर तुम्हारी नहीं हो पाई न।
मुझे चोद लो तुम्हारा यार दूल्हा बना हुआ तुम्हारे सामने है। मैं उसके गले लग गया।