फिर धीरे से मैंने दूसरी उंगली भी डाल दी। वो थोड़ा चिल्लाई, पर मान गई। फिर दोनों उंगलिया अपना काम कर रही थी।
मैं अंदर-बाहर करता रहा जिससे उसमें जगह अच्छे से बन जाए, और मेरा लंड अंदर चला जाए। अब वो तैयार थी। फिर मैंने लंड को तयार किया। थोड़ा सा उसे तेल लगा दिया, लेकिन कंडोम नहीं चढ़ाया। फिर धीरे से मैंने उसे घोड़ी बनाया, और बस अंदर एक धक्का मारा।
वो चिल्लाई, पर मैं नहीं माना। धीरे-धीरे उसे मना कर मैंने लंड पूरा अंदर कर दिया। इससे वो गुस्सा हो गई और उसने झटपटा कर लंड निकाल दिया। फिर दर्द के मारे बेचारी रोने लगी। मैंने उसे गले लगा लिया और फिर उसे प्यार से मनाया।
वो फिर कहने लगी: जीजू आगे से कर लो जितना करना है। पीछे से ना करो, दर्द होता है।
मैंने उसे समझाया और प्यार दिया। थोड़ा प्यार पाकर वो मान गई और पलट कर डोगी बन गई। मैंने प्यार से फिर एक बार उंगली डाली उसकी गांड में, और अब उसकी गांड थोड़ा पहले से चौड़ी लगी रही थी। मैंने मौका देखा, और फिरसे लंड पेल दिया बस। इस बार उसे उतना दर्द नहीं हुआ, तो मैंने अंदर-बाहर करना चालू किया।
अब बस वो चार्ज हो गयी थी, और बोलने लगी: जीजू अहह अहहा उहह, जीजू निकाल लो।
पर मैं नहीं माना। मैं हमला करता रहा, और वो अहह उहह उहह आहह करती रही। इस इस बार वो तबियत से ठुकी, और खुद मेरे लंड को निकाल कर बाथरूम में भाग गई। मैं भी उसके पीछे गया। वहां देखा तो वह वो सुसू कर रही थी।
वो बोली: जीजू क्या करते हो? इतनी तेज-तेज क्यूं कर रहे थे? सुसू निकाल दी मेरी।
मैंने उसके पीछे जाकर उसके पीछे से हाथ उसकी सुसू में डाल दिया। गरम-गरम सुसू मेरे हाथ पर गिरा रही थी वो, और हसने लगी। उसने सुसू कर ली, और हाथ धो कर हम अपने रूम में आ गए। आगे का काम चालू हो गया था।
दिन आगे बढ़े, रोज अब हम दोनों मिलने लगे, और हमारा मिलना यूं ही चलता रहा। अब दिन आगे बढ़े, और हमारा रिश्ता भी अब काफी आगे आ गया था। प्यार-इश्क़ और मोहब्बत अपने चरम पर थी।
दिन अब साल में बदल गए थे, और मेरा और मेरी साली का सम्बन्ध अब 3 साल पुराना हो गया था। मेरा और मेरी बीवी का बच्चा भी अब 2 साल का हो गया था। मैं और मेरी बीवी और बच्चा जब भी उसके घर जाते, तब-तब मेरा और मेरी साली का मिलन पक्का था। मेरे बच्चे को भी वो साली बहुत प्यार देती थी। मजे-मजे में कभी-कभी तो वो अपना दूध भी पिलाती थी।
अब उसकी शादी के दिन पास आने लगे थे। उसके रिश्ते की बात चल रही थी, और एक जगह पक्की भी हो गई थी। किस्मत से हम दोनों अब एक ही शहर में रहने वाले थे। थोड़ी दिक्कत की बात तो थी, क्योंकि शादी के पहले मैं उसकी हद से ज्यादा चुदाई श कर चुका था।
इस बारे में साली ने मुझसे बात की, कि कहीं सुहागरात में कोई दिक्कत ना आए। उसका पति यह ना बोले के सील कैसे इतनी टूट चुकी थी। वो थोड़ा अब परेशान रहने लगी थी। मुझसे भी बात करती थी, तो परेशान हो जाती थी। अब कुछ हो भी नहीं सकता था, क्यूंकि मैं और साली ने हर संभव तरीके से संभोग किया था। ऐसा कुछ हम दोनों में छिपा नहीं रह गया था।
संभोग की कोई सीमा हम दोनों के बीच नहीं थी। चिंता इसी बात की थी कि उसका पति उसे इतना प्यार देगा क्या? मैंने उसे बाथरूम में नीचे, ऊपर, अंदर, बाहर, बारिश, ठंड, गर्मी, छत, कमरे, होटल, यहां तक की आगे से पीछे से हर जगह से तबीयत से ठोका था।
पर इन सब में उसकी रजामंदी रहती थी। उसकी हर चुदाई में मुझसे ज्यादा उसे मजा आता था। एक बार तो मैं और वो एक परिवार की शादी में मिले जब उसका मूड ऑन था पर मेरा नहीं। फिर उसने मुझे कमरे में बुलाया और मेरा मूड ऑन करके मुझसे सारी रात अपनी चुदाई कराई।
फिर अगली सुबह हम दोनों ने साथ टॉइलेट की। गंदगी हम दोनों एक दूसरे के बीच आने ही नहीं देते है। जब वो शोच कर रही थी, तब मैंने उसकी धोई और जब मैं की, तब उसने धोई। वो पल हम दोनों का बहुत खास था। हमें शोच के वक़्त भी संभोग की भूख थी। एक अलग ही मजा आ रहा था तब।
अब आज की तारीख में वो बहुत बड़ी हो गई थी। दूध उसके फुला दिए थे मैंने। गांड निकाल गई थी। चूत चौड़ी हो गई थी। उसका फ़िगर अब लड़की वाला नहीं था, औरत वाला बन चुका था। जब हम दोनों फोन पर बात करते, तो बस शादी के बाद कैसे क्या करेंगे यहीं बात करते थे। अब उसकी चूत में आराम से 2 उंगलिया जाती थी, और ऐसा ही हाल उसकी गांड का था।
वक़्त आगे बढ़ा, उसकी शादी हुई। पति उम्मीद से ज्यादा समझदार निकला। उसकी सुहागरात के ही दिन उसने खूब पेला उसे। रात भर ठुकाई होने के बाद अगले दिन मुझे बताया कि पति ने सवाल नहीं किया कोई, और सीधे पेलना शुरू कर दिया था। बात संभल गई थी। अब मेरी एक हफ्ते बात नहीं हुई उसके साथ। बीवी की ठुकाई से मैं काम चलाता रहा।
कुछ दिन बाद मुझे फिर फोन आया। उसने बताया कि क्या-क्या हुआ और कैसे-कैसे हुआ। उसके पति ने उसे दिन रात पेला, खूब दूध पिया उसका। संभोग में सब कुछ हुआ, लेकिन उसे मेरे जैसा मजा तो नहीं आया। फिर भी काम चल रहा था उसका। फिर कुछ दिन आगे बढ़े। हम दोनों मेरी और मेरी साली की भूख थोड़ी बढ़ने लगी थी। अब रहा नहीं जा रहा था हमसे।
फिर हमें मौका मिला, और वो और मैं मिले। वो मेरे घर आई थी, और उसका पति मिलने साथ आया था। अब मेरी साली लड़की से औरत बन चुकी थी। कमसिन मदमस्त मदहोश करने वाली एक प्यारी साली अब कहीं किसी और से लगी थी। पर वो भी जरूरी था। उसे देख कर मुझे पुराने दिन याद आने लगे, कि कैसे मैं कभी भी कैसे भी उसे प्यार करने लगता था। रुकते नहीं थे हम दोनों।
पर अब बहुत कुछ बादल चुका था। अब वो किसी और की थी। पर वो दिन कब आएगा मैं यही इंतज़ार करता था। मन ही मन में मैं उसे प्यार करने लगा था। जब मेरी बीवी और उसका पति बात कर रहे थे, तब हम दोनों एक-दूसरे को ही देखते थे। मुझे मौका मिला और मैंने उसे अपना हाल बताया। मैंने उसे आई लव यू कह कर बात चालू की।
फिर मैंने अपनी बात रखी: मुझे तेरी बहुत याद आती है। कब मिलेगी तू मुझे अकेली? मैं तुझे प्यार देना चाहता हूं, जैसा पहले देता था। मेरा प्यार तेरे लिए मचल रहा है।
ये कह कर मैंने उसे गले लगा लिया। वो भी आई लव यू टू कह कर बात रखने लगी।
वो कहती है: जीजू मुझे भी तो आपका प्यार चाहिये। मैं भी आपके प्यार की भूखी हूं। मजा तो आपके साथ अलग ही था। मैं जब घर जाऊँगी तो आपको बुला लूँगी। आप किसी न किसी बहाने से आ जाना। वहां हम दोनों अपना काम कर लेंगे।
फिर बात खत्म हुई, और वो दोनों अपने घर निकल गए। थोड़े दिन और निकल गए। मैं और बीवी दोनों टाइम टू टाइम सम्बन्ध बनाते रहे।
अब मेरी साली उसके पीहर को चली गई थी। वहां अब एक मौका मिलने वाला था। परिवार में शादी होने के कारण मेरे सास-ससुर कहीं गए हुए थे। वो अकेली थी। मैं भी बहाना करके चला गया वहीं। वहां मैं और वो पूरे एक रात के लिए अकेले थे। बस इन 12 घंटो में मैं अपनी ज़िंदगी पूरी जीना चाहता था।
उसे मैंने देखते ही गले लगा लिया
और रोने लगा। मैंने उसे अपना प्यार बताया, और उसकी गोदी में लेटा रहा। और वो मेरे बालों को सहलाती रही। अब मैं उससे काफी टाइम बाद ऐसे मिल रहा था, तो गिफ्ट तो बनता ही था।
मैंने रास्ते से उसके लिए एक लाल सारी, लाल ब्रा और पैंटी ले ली थी। जो मैंने उसे उसी वक़्त पहनने को बोला। वो भी भरी हुई थी अंदर से। वो मान गई, और जो मैंने कहा वो किया।
अब वो और माल लगने लगी थी। मेरे अंदर का शैतान जाग गया था। अब उसे मैं हर तरीके से चोदना चाहता था।
उसको मैंने गले लगा लिया, और चूमना-चाटना चालू कर दिया था। बस इसी वक़्त का इंतज़ार था। उसका पेटीकोट उठा कर मैं अंदर चला गया। फिर उसकी पेंटी उतार कर उसकी चिकनी चूत जी भर कर चाटी, और चाटता रहा मैं। वो मचलती रही, और मैं चाटता रहा, उंगली करता रहा।
मैंने हर मुमकिन तरीके से उसको प्यार दिया उसके जिस्म को। उसके जिस्म की सुगंध को मैं सूँघता रहा, तो कभी उसकी गांड को, जिसके लिए मैं तरस रहा था।
उसने मुझे बताया: जीजू मैं इसके लिए ही तरस रही थी। वो (उसका पति) मुझे चोदते तो है, पर मेरे इन अंगो को प्यार नहीं देते। बस काम करते रहते, है और खुद झड़ कर सो जाते है। उन्होंने मेरी गांड भी कभी नहीं मारी, यहा तक कि उनको इससे भी घिन आती है। कहते है कि मुझे पसंद नहीं है गांड का प्यार। प्लीज जीजू, प्यार करो आप मुझे।
वो: वो बस मुझसे बच्चा पैदा करना चाहता है। पर संभोग को एंजॉय करना नहीं जानता। जीजू प्लीज मुझे गलत मत समझना, मैं प्यार की भूखी हूं। मजा तो कभी आता है, कभी नहीं भी आता। आज प्लीज जीजू मुझे एक बार फिर प्यार दो। मुझे वैसे ही चोदो प्लीज। मुझे प्यार दो, और मेरे अंगो को प्यार दो। जीजू आप जब मेरी गांड में उंगली करते हो, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। हां करो, मुझे सारी रात चोदो, और बस चोदते रहो।
मैं आपकी हूं। आज की रात आप मुझे कुछ भी समझ लो। बस मेरी भूख शांत कर दो।
मैं अब और चार्ज हो चुका था उसकी बातों से। मैंने उसे पूरी तरह नग्न कर दिया, और फिर उसके पूरे जिस्म को बराबर प्यार दिया। उसके दोनों स्तानों को चूसा मैंने और फिर उसकी चूत पर अपने लिप्स चिपका दिए और उसे और प्यार दिया। चाटता रहा मैं उसकी जवानी को।
उसकी चूत से सफेदा पानी आने लगा था। उसके जिस्म की गर्मी मुझे और गर्म करने लगी थी। अब मैंने उसे घोड़ी बनाया, और अपनी नाक से उसकी गांड की महक लेने लगा। जिसका अलग ही आनंद आने लगा।
वो घोड़ी बनी और मैं धीरे-धीरे उसकी गांड में फूंक मारता, और फिर धीरे से उसे अपनी जुबान से लीक करता।
फिर मैंने उसकी गांड पर थोड़ा सा ठंडा पानी लगा कर उसे साफ किया, मतलब धोया।
वो: जीजू क्या कर रहे हो? ये आप ठंडा पानी क्यूं डाल रहे हो?
फिर मैं बोला: जान तेरी गांड धो रहा हूं। फिर उसे प्यार दूंगा।
और वो मान गई। फिर मैंने उसकी गांड को धोया, और एक सूखे कपड़े से पोंछ कर मैंने उसे चाटना चालू किया। उसे मजा आने लगा था।
वो बोली: जीजू आप प्लीज करते रहो।
मेरी साली थोड़ा अलग थी। उसे उसकी गांड पर प्यार करवाना कुछ ज्यादा ही पसंद है। मैंने धीरे से अपनी उंगली उसकी गांड में सरका दी। आह की आवाज आते ही मेरी साली मजे से और चार्ज हो गई थी।
वो बोली: जीजू यह अलग ही मजा है, और आपके साथ ही आता है। और करते रहो।
मैं लगातार अपनी उंगली उसकी गांड में चलाता रहा। 1-2 मिनट तक यही चलता रहा। वो अब घोड़ी से सीधी लेट गई थी। मैंने उसकी गांड से निकली हुई उंगली उसके सामने अपनी नाक पर लगाई, और सूंंघने लगा।
यह देख कर वो उठ गई और बोली: नहीं जीजू, नहीं करो यह प्लीज।
ये कह कर उसने मेरी उंगली पकड़ ली।
मैंने कहा: करने दे, मुझे सब करना है आज।
तो ये कह कर मैंने उसकी गांड से निकली उंगली सूंघी, और चाट ली। वो अब और गरम हो रही थी।
वो कहने लगी: जीजू आज मेरी भी बारी है। मैं भी आपकी गांड में उंगली डाल कर सूंघूंगी।
मैंने कहा: जो करना है कर लेना, तेरी मर्जी है। आज कोई किसी को नहीं रोकेगा।
हमारा प्यार आज रात भर चलने वाला था। बस देर नहीं थी। कार्यक्रम आगे बढ़ने वाला था। मैंने कंडोम के पैकेट से कंडोम निकाला, तो वो बोलती है-
वो: जीजू अब इसकी कोई जरूरत नहीं है।
मैंने कहा: अगर पेट से हो गई तो?
वो हसने लगी और बोलती है: जीजू अब मैं शादी-शुदा हूं। आप करो अपना काम। बस ठंडा कर लो अपने आप को अंदर ही। मैं आपके बच्चे की माँ बन जाऊ, तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है। और वैसे भी मैं और मेरे पति रोज सेक्स कर रहे है। अगर रुकता भी है आज करने से, तो किसी को कुछ समझ नहीं आएगा कि किसका बच्चा है। कल ही मेरे पति से मैं जी भर के चुद कर आई हूं। आज आप और मैं कर रहे है। अगर रुक जाए तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं। बस कंडोम मत इस्तेमाल करो। ज्यादा मजा भी नहीं आता।
बस अब क्या था। हरी झण्डी मिल गई थी। कार्यक्रम आगे बढ़ा, और ठुकाई चालू की। कार्यक्रम चलता रहा हमारा। सेक्स की हर पोसिशन हमने कर मारी, ऊपर से, नीचे से, आगे से, पीछे से, चूत मे, गांड मे, उसके मुंंह में, खड़े होकर, लेट कर, बैठ कर, टेड़े हो कर, सीधे हो कर, पता नहीं किस-किस तरीके से हमने सेक्स संभोग किया।
नेट पर सर्च कर-कर के हमने कुछ नया भी किया। हम दोनों बार-बार झड़ते, एक दूसरे को चार्ज करते, और चालू हो जाते। कभी मैं उसके मुंह में झड़ता, तो कभी उसकी चूत में। बस यही चलता रहा।
उसकी गांड को भी मैंने तबियत से मारा। खूब पेला, और वो पेलवाती रही। खेल-खेल में रात के 2 बज गए थे, पर मजा अभी बाकी था। मन भर ही नहीं रहा था। इतनी रात को बार-बार गांड में उंगली और लंड के कारण उसके पेट में दर्द हुआ। उसे संडास (टट्टी) जाना था। मैं भी उसके साथ पीछे-पीछे गया।
उसके यहा इंडियन टॉइलेट था, वो उस पर बैठ गई, और मैं सामने बैठ कर उसे ताड़ने लगा। उसकी पहले मुत्तू आई। और फिर गांड से सरकती हुई उसकी टट्टी। आह आह, अलग ही मजा था इसे देखने का। मैंने अपने हाथो में लिया उसकी टट्टी ली, तो वो चिल्लाई।
वो बोली: नहीं जीजू, यह नहीं करो। जाने दो इसे।
उसकी मोटी-मोटी टाइट टट्टी उसकी गांड से सरक रही थी। और मैं उसे ताड़ रहा था। जो नहीं करना था वो भी मैं आज कर रहा था। मैंने उसे डोगी स्टाइल में करने को कहा। पहले तो वो नहीं मानी, फिर जिद करने पर मान गई। वो जैसे ही डोगी बनी, उसके दोनों कूल्हे खोल कर मैं उसकी गांड को देखने लगा, जिससे टट्टी आ रही थी। अहह अहह उह की उसकी आवाज मेरे कानो में गूंज रही थी।
बस अब वो बोली: जीजू मैंने कर ली, धोने दो।
मैंने खुद उसे और उसकी गांड को धोया। बस बाल्टी भर के पानी डाल कर हम दोनों निकल गए टॉइलेट से रूम के लिए।
दिल की सारी तमन्नाये आज पूरी कर ली थी हमनें, और दोनों प्यार में पागल हो चुके थे