हैलो दोस्तों, मेरा नाम राहुल है। मेरी उम्र 19 साल है। आज मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूं, वो 1 साल पहले की है, और एक दम सच्ची कहानी है। मैंने बहुत कहानियां पढ़ी, जिसके बाद मुझे लगा कि एक किस्सा मुझे भी शेयर करना चाहिए।
मेरे घर में 4 सदस्य है। एक मैं, और पापा (42साल)और मां(संगीता) और दादी। पापा सरकारी अध्यापक है। मेरी मां जो बहुत धार्मिक है, हफ्ते में दो दिन वृत्त रखती है मंगलवार और गुरुवार। और वो हर दिन पूजा पाठ करती है। पापा भी सुबह उठते है, और नहा धो कर स्कूल चले जाते है।
इसी तरह दैनिक जीवन चल रहा था। सब एक दम ठीक था। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, कि एक दिन ऐसा भी होगा। मेरी मां की उम्र 40 थी। वो कभी किसी दूसरे मर्द की तरफ आंख उठाना तो दूर की बात है सोचती भी नहीं थी। एक दम घरेलू महिला थी। वो साड़ी पहनती थी, और वो भी इस तरह से, जिसमे कुछ नहीं दिखता था। अब आप ही सोचो कितनी संस्कारी और धार्मिक थी मम्मी।
एक दिन की बात है। हमारे घर के सामने एक अंकल आए रहने के लिए किराए पर। उनकी उम्र लगभग 54 साल थी। उन्होंने अपनी बॉडी को अच्छे से मेंटेन करके रखा था। 6 फीट हाइट और बड़ी-बड़ी मूछे थी उनकी। उनका नाम था हुसैन खान।
वो प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते थे। तो लगभग वो घर पर रहते थे। अब पापा के पास सेंविंग थी, तो उन्होंने सही रेट में एक फ्लैट ले लिया अंकल से। इस तरह अंकल की पापा से जान-पहचान बढ़ गई। रविवार के दिन पापा का स्कूल से अवकाश होता था। तो पापा अंकल के घर चले जाते थे, ऐसे ही टाइम पास के लिए और कभी अंकल आ जाते थे हमारे घर।
अभी तक ना तो अंकल ने मम्मी को देखा था, और ना ही मम्मी ने अंकल को देखा था। क्यूंकि अंकल आके बाहर ही बैठ जाते पापा के पास, और मम्मी चाय वगेरह कुछ बनाती तो मैं दे आता था। और मम्मी को कोई मतलब नहीं था कौन हैं और कौन नहीं। वो बस अपने कामों मे बिज़ी रहती थी।
वो जब बाहर आती थी, तब भी घूंघट निकाल के आती थी। अपनी बॉडी को पूरा ढक कर। एक दिन क्या हुआ कि मैं बाहर गया हुआ था और रविवार था। हुसैन अंकल हमारे घर आए हुए थे, और पापा के साथ बाहर बैठे थे और ऐसे ही राजनीति की बातें कर रहे थे।
अब उनको चाय नाश्ता देने वाला कोई नहीं था। मम्मी ने काफी देर तक वेट किया मेरा, लेकिन मैं नहीं आ पाया। फिर मम्मी खुद ही घूंघट निकाल कर, खुद को कवर करके चाय नाश्ता देने गई। इधर अंकल बातचीत मैं व्यस्त थे। लेकिन जैसे ही मम्मी चाय नाश्ता देके मुड़ी, इधर मैं घर में आ गया।
मैंने देखा कि हुसैन अंकल मम्मी को उपर से नीचे तक देख रहे थे, और बार-बार मम्मी की गांड देख रहे थे। मम्मी के बारे मे बता दूं। मम्मी बहुत खूबसूरत है। उनकी बॉडी एक दम शेप में है। कमर 32″ बोबे 34″ और गांड 38″ की और चेहरे से तो नूर छलकता है। अगर कोई मर्द उनको सही से देख ले तो उनको चोदने के ख्वाब लेने लगे।
लेकिन मम्मी खुद को कवर रखती है साड़ी में। तो किसी की नजर जा नहीं पाती। लेकिन मैंने पहली बार देखा कि अंकल मम्मी की गांड को बहुत गंदे तरीके से देख रहे थे। मुझे उनकी आंखों में हवस नजर आ रही थी। पापा को इसकी खबर नहीं थी कि अंकल मम्मी की गांड देख रहे थे। और यही से कहानी शुरू होती है।
फिर ऐसा कई दिनों तक चलता रहा, और अंकल एक भी मौका नहीं छोड़ते थे मम्मी को देखने का। वो घूंघट के अंदर से मम्मी का चेहरा देखने की कोशिश करते और इसमें वो कामयाब भी हुए। मैंने देखा, अब हुसैन अंकल का आना-जाना बढ़ गया था हमारे घर। और अब मम्मी भी पापा के बताए अनुसार अंकल को जानने लग गई कि ऐसा कोई आदमी यहां किराए पर रह रहा था।
कुछ टाइम बाद पापा की शिक्षण प्रशिक्षण की ट्रेनिंग आ गई। 20 दिन के लिए पापा वहां चले गए। अब पापा 20 दिन बाद ही आने वाले थे। और मैं तो स्कूल जाता ही था। दादी मंदिर जाती थी भजन करने। और अंकल इसी मौके की तलाश में थे कि कैसे मम्मी को पटाए और कैसे चोदे इस खूबसूरत औरत को।
अंकल को जब पापा की ट्रेनिंग का पता चला, तो वो बहुत खुश हुए। अब उनका रास्ता और साफ हो गया था। पहले दिन ही घर में कुछ सामान खत्म हो गया, और मैं सुबह-सुबह मेरे स्कूल के टाइम में लाके दे नहीं सकता था। तो मम्मी ने पापा को कॉल किया कि-
मम्मी: ये समान चाहिए अभी, और राहुल स्कूल जा रहा है।
पापा ने कहा: मैं देखता हूं।
फिर पापा का दुबारा कॉल आया, और उन्होंने कहा: मैंने हुसैन जी को कह दिया है। वो ला देंगे
मम्मी ने कहा: ठीक है।
मैंने सोचा अंकल जरूर कुछ गड़बड़ करेंगे। और अगर मैं स्कूल चला जाऊंगा तो कुछ पता नहीं चलेगा। तो मैं पेट दर्द का बहाना बना कर घर पर ही रुक गया, और कमरे में जाके सो गया। कुछ देर बाद मम्मी आई मुझे देखने तो मैं सोने का नाटक कर रहा था। मम्मी को लगा जैसे मैं सो रहा था।
फिर मम्मी बाहर रसोई में वापस अपने काम लग गई। कुछ देर बाद अंकल आए बिना आवाज किए सामान लेके। अंकल को पता था कि अगर आवाज करुंगा तो मम्मी खुद को सही से कवर कर लेगी और घूंघट निकाल लेगी। तो अंकल सीधे रसोई में आ गए, और मम्मी को देखा।
वो मम्मी को देखते ही रह गए और मैं कमरे की खिड़की से सब कुछ देख रहा था। मम्मी को पता भी नहीं चला कि अंकल आ गए थे, और अंकल उनके ब्लाऊज से बहते हुए पसीने को देख रहे थे। मम्मी की व्हाइट कलर की ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी अंकल को, और गांड को तो ऐसे देख रहे थे मानो कि अभी जाके गांड को अपने हाथों में लेले।
फिर जैसे ही अचानक मम्मी मुड़ी, तो अंकल को देख कर हैरान हो गई, और खुद को संभालने लगी। पहली बार अंकल ने मम्मी का पेट जिस पर गहरी नाभी थी और सिर्फ ब्लाऊज में चेस्ट देखी। और अंकल तो मानो जैसे पागल हो गए थे।
मम्मी ने फिर खुद को जल्दी-जल्दी ठीक किया। इतने में अंकल ने जी भर के मम्मी को देख लिया। इस बात एहसास मम्मी को भी हो गया था, कि आज ये गलत हो गया था। फिर मम्मी साइड में होके घूंघट निकाल के बोली-
मम्मी: जी कहिए?
तो अंकल ने कहा: जी ये सामान जो आपने मंगाया था।
मम्मी ने कहा: रख दीजिए। आप बाहर से ही आवाज लगा देते या रख देते, मैं ले लेती।
तब अंकल ने झूठ ही कहा: मैंने आवाज लगाई थी, पर आपने सुनी नहीं।
फिर अंकल ने कहा: और किसी सामान की जरूरत हो तो बता देना भाभी जी, मैं घर पर ही हूं।
मम्मी ने कहा: ठीक है।
फिर कुछ देर बाद मैं बाहर आया कमरे से तो मम्मी ने पूछा: कैसा है पेट दर्द?
मैंने कहा: अब ठीक है। मम्मी मैं अंकल के घर जा रहा हूं अखबार पढ़ने।
और जाके मैंने देखा कि अंकल हाफ पेंट में थे और उपर बनियान थी। उस हाफ पेंट मे अंकल के लंड का तंबू बना हुआ था। मैं चुपके से देख रहा था कि अंकल मम्मी को याद करके मुट्ठ मारना चाह रहे थे। तभी अंकल ने अपना लंड पेंट से बाहर निकाला और मेरी आंखे खुली की खुली रह गई।
भगवान! इतना बड़ा लंड मैंने आज तक कभी नहीं देखा था। कम से कम 9 इंच लम्बा और 3 अंगुली जितना मोटा और एक दम काला। और अंकल मुट्ठ मार रहे थे। तभी शायद अंकल को पता चल गया कि मैं उन्हे देख रहा था। तो जल्दी से उन्होंने अपना लंड पेंट मे डाल लिया और मुझे आवाज दी-
अंकल: राहुल, यहां क्या कर रहे हो बेटा?
तो मैंने भी कह दिया: आपको देख रहा हूं अंकल।
इससे अंकल शॉक्ड हो गए, और उन्होंने मुझे किसी से कुछ ना कहने को कहा। उनके घर वीडियो गेम था, तो उन्होंने मुझे कहा-
अंकल: आओ तुम्हे कुछ दिखाता हूं।
और जब मैंने वीडियो गेम देखा, तो मैं बहुत खुश हुआ। मैं सब कुछ भूल गया था, जो कुछ भी हुआ। लेकिन अंकल ने बातों-बातों में मम्मी के बारे में सब कुछ पूछ लिया। चूंकि अंकल के घर वीडियो गेम था, तो मैं भी अंकल को बहुत पसंद करने लगा। क्यूंकी जब भी मैं जाता तो अंकल घंटो तक मुझे वीडियो गेम खेलने देते थे।
मैं स्कूल से आता और सीधा अंकल के घर जाता गेम खेलने। लेकिन इससे मम्मी परेशान रहने लगी, और पापा से कॉल करके मेरी शिकायत की। लेकिन मेरे सर पर वीडियो गेम का भूत सवार था। फिर एक दिन मम्मी के पीहर से बस में कुछ सामान आया था, तो मम्मी ने पापा को कॉल किया। क्यूंकी बहुत भारी सामान था, और मैं अकेला ला नहीं सकता था।
इसलिए पापा ने अंकल को कॉल किया, लेकिन अंकल को लगा नहीं। मैं अंकल के घर ही गेम खेल रहा था। तब पापा ने मम्मी को कहा-
पापा: तुम चली जाओ हुसैन जी के घर, और राहुल को भी ले आओ। और हुसैन जी को भी कह आओ सामान के लिए।
मम्मी ने कहा: ठीक है।
फिर वही मेरी संस्कारी मां साड़ी सही करके घूंघट निकाल के पहली बार हुसैन अंकल के घर आई। घर पे अंकल केवल हाफ पेंट में बाहर आए। उपर कुछ भी नहीं पहन रखा था उन्होंने। तब मैं भी बाहर आया। अंकल छाती एक दम सांड के जैसी थी, और बालों से भरी हुई थी।
मम्मी एक बार देख के शर्म के मारे लाल हो गई, और साइड हो गई। वो दूसरी तरफ देख ने लगी। तभी अंकल ने कहा-
अंकल: भाभी जी इतना क्या शर्माना? मैं तो आपके घर का ही मेंबर हूं। इतना घूंघट क्यों निकलते हो?
मम्मी कुछ नहीं बोली और मेरा हाथ पकड़ के मुझे ले आई। फिरसे अंकल मम्मी की गांड को ताड़ रहे थे। और अपना लंड खुजा रहे थे। पापा की ट्रेनिंग के 8 दिन हो गए थे। अब कोई काम होता था तो मम्मी पापा को कॉल नहीं करती थी। सीधे अंकल को ही कॉल कर देती थी, और मम्मी के संस्कार और धार्मिकता देख के अंकल की भी हिम्मत नहीं हुई कि मम्मी के साथ ऐसी-वैसी हरकत कर दे,या कॉल पर कुछ कहदे।
अगले दिन मम्मी के फोन मे नेटवर्क नहीं आ रहा था, तो मम्मी ने मुझे दिया फोन और कहा: अंकल को फोन दिखा के आ, और पूछ कि क्या दिक्कत हुई है?
मैं लेके गया फोन तो अंकल ने एक प्लान किया। फोन पर पापा के नाम से नंबर सेव था। वहां पर पापा का नंबर हटा के उन्होंने खुद का नंबर पापा के नाम से सेव कर दिया। फोन मे सिम हिल्ली हुई थी, तो उन्होंने फोन को वापिस सही कर दिया। इसके बाद उन्होंने मुझे दे दिया फोन।
मैं वापस ले आया फोन। अगले दिन रविवार था तो मैं घर पे ही था। मैं कमरे में सो रहा था। तभी अंकल आए, कुछ देर दादी से बात की, और चले गए।
उसके कुछ देर बाद काम करते-करते मम्मी का पैर मुड़ गया, जिससे वो गिर पड़ी। दादी मंदिर गई थी,तो मैं भाग के अंकल को बुला के लेके आया। अंकल को तो जैसे मौका ही मिल गया था। अंकल बनियान में थे। अंकल ने मम्मी को गोद में उठा लिया। अब मम्मी के बोबे अंकल की छाती से सट गए, और मम्मी शर्म से मरी जा रही थी।
फिर अंकल ने मम्मी को कमरे में सुलाया, और वापस अपने घर की तरफ दौड़े और एक मालिश करने वाली दवाई लेके आए। वो खुद ही मालिश करने लग गए। अब पेटीकोट ऊपर हो गया, और एक दम चिकनी टांगे दिखने लगी। अंकल पेटीकोट को और उपर करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मम्मी ने पैर दबा रखे थे।
घुटने से उपर अंकल को कुछ नहीं दिख रहा था। लेकिन तभी अंकल का लंड तंबू बन गया और मां ने भी ये देखा। पर मां ने नजर हटा ली। फिर अंकल वापस अपने घर आ गए। जब मम्मी का पैर ठीक हो गया, तो वो मां को वापस वो दवाई देने आए। शाम का वक्त था, और करीब 8 बजे थे।
मम्मी ने अंकल को धन्यवाद कहा। फिर जैसे ही मम्मी वापस मुड़ी, तब अंकल ने कहा-
अंकल: रुको भाभी जी, मुझे ये सब्जी बना दो, ये बनानी नहीं आती।
अंकल के कहने पर मम्मी सब्जी बनाने लगी, और अंकल ने अंदर आके एक पेग बनाया लार्ज और वापस रसोई में आ गए।
फिर अंकल ने मम्मी को कहा: तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। मेरी बीवी को मरे 10 साल हो गए है। मैं प्यार के लिए तरस गया हूं।
इतना सुनते ही मम्मी घबरा गई, और वहा से भाग के घर आ गई। अंकल भी डर गए कि कह तो दिया, और पता नहीं अब क्या होगा। घर आते ही मम्मी ने पापा को कॉल की, लेकिन कॉल आया अंकल के पास क्यूंकि पापा के नाम से अंकल का नंबर सेव था। अंकल ने एक भी कॉल अटेंड नहीं की, क्यूंकी अटेंड करते तो मम्मी को पता चल जाता और मम्मी घबराई हुई थी।
मैंने देखा कि मम्मी को पता चल गया था, कि कुछ तो गड़बड़ की थी अंकल ने। फिर मैं सोने लगा। रात के 10 बजे बाहर कोई आया, और मेरी भी आंख खुल गई। मम्मी बाहर ब्लाउज और पेटीकोट में आई क्यूंकि मम्मी ने अपेक्षा नहीं की थी कि बाहर अंकल होगे। फिर जैसे ही मम्मी ने अंकल को देखा, तो मम्मी शॉक्ड हो गई।
अंकल बोले: भाभी जी प्लीज मुझे माफ कर दो। ऐसी गलती फिर नहीं होगी।
और ये सब मैं सुन रहा था। मम्मी दौड़ के अंदर आई, और दुप्पटा लेके अपने ऊपर फिर बाहर गई। वो अंकल पर गुस्सा करने लगी-
मम्मी: आपकी हिम्मत कैसे हुई ये सब कहने की? मैं ऐसी-वैसी नहीं हूं। मेरे पति को बताऊंगी आपकी इस हरकत के बारे में।
और मम्मी ने उन्हें एक थप्पड़ लगा दिया।
लेकिन फिर अंकल बोले: जब तक आप मुझे माफ नहीं करोगी, तब तक जाऊंगा नहीं मैं यहां से। इसमें मेरी क्या गलती है भाभी जी? आप हो इतने खूबसूरत। इसमें मेरा कोई कसूर नहीं।
मम्मी ने कहा: चुप-चाप चले जाओ, नहीं तो मैं चिलाऊगी।
तो अंकल बोले: इसमें आपकी बदनामी है।
ये कहते ही मां चुप हो गई बदनामी के डर से। ऐसा करते करते 1 घंटा हो गया, और अंकल मां की तारीफ करते गए। और इस बार मां ने एक थप्पड करने के लिए हाथ उठाया तो अंकल ने हाथ पकड़ लिया और खुद से सटा लिया। मम्मी छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन छुड़ा नहीं पाई।
वो चिला भी नहीं सकती थी और अंकल ने उनके हाथ को चूम लिया। उन्होंने मम्मी का दुप्पटा भी अलग कर लिया, और ऐसा करते-करते मम्मी और अंकल दूसरे कमरे में आ गए। बाहर से मैं उनको देखने लगा। अंकल ने मां को गले से चूमना शुरू कर दिया। लेकिन मम्मी छूटने की कोशिश कर रही थी।
फिर अंकल ने एक जोरदार समूच किया 2 मिनट तक, जिससे मम्मी अंदर तक हिल गई। फिर अंकल ने मम्मी की गांड को जबरदस्त तरीके से दबाया और ब्लाउज के उपर से बोबे मसल दिया। अब मम्मी ने भी गर्म हो गई और सोच लिया कि आज तो ये चोद के ही मानेगा, और मम्मी का किया कराया सारा धर्म भ्रष्ट हो गया।
फिर अंकल ने एक झटके में पेटीकोट का नाड़ा तोड़ दिया, और पेटीकोट खुल गया। फिर अंकल ने इतनी जोर से गांड मसली, कि गांड लाल हो गई। मम्मी भी अब थोड़ा-थोड़ा साथ देने लगी थी, और कामुक हो गई।
फिर एक 10 मिनट का लंबा स्मूच किया अंकल ने और मम्मी ने और ब्लाउज भी खोल दिया अंकल ने और ब्रा भी निकला दी। अंकल ने मम्मी को एक घंटे तक चूसा, और चूस-चूस के होंठ टमाटर की तरह लाल कर दिए।
मम्मी का तड़प-तड़प के बुरा हाल हो गया था। मम्मी की चूत इतनी साफ थी, जैसे कुंवारी लड़की की होती है। अब अंकल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अंकल का लंड देख के मां बुरी तरह घबरा गई।
अंकल ने कहा: साली चूस इसे।
मम्मी ने साफ मना कर दिया और कहा: मैंने आज तक नहीं किया ऐसा।
लेकिन अंकल ने मम्मी को बालों से पकड़ के खींच के अपना लंड मां के मुंह मे घुसा दिया, जो आधा ही गया।उन्होंने आधे घंटे तक लंड चुसवाया मां को। फिर मां की गांड पर जोर-जोर से 2-4 थप्पड़ मारे, और मां की टांगे ऊंची करके लंड मां की चूत पर लगा दिया।
फिर उन्होंने जोर झटका मारा, जिससे लंड का टोपा ही अंदर गया और मां की चूत फट गई और खून आने लगा। मां रोने लग गयी। लेकिन अंकल कहा रुकने वाले थे। उन्होंने एक झटका और मारा, और आधा लंड चूत में समा गया। अब मम्मी को असहनीय दर्द हो रहा था।
फिर अंकल कुछ देर रुके, और मम्मी का दर्द भी कुछ कम हुआ। मम्मी को अब मजा भी आने लगा, और इस बार एक और झटके में अंकल ने अपना पूरा लंड डाल दिया। मां जबरदस्त दर्द में थी, लेकिन धीरे-धीरे मां को मजा आने लगा। करीब 15-20 मिनट बाद अंकल ने सारा वीर्य मां की चूत में छोड़ दिया।
उस रात अंकल ने मम्मी को 7 बार चोदा, और एक संस्कारी औरत को रण्डी बना दिया। सुबह मां से उठा भी नहीं गया। दो दिन तक मां ठीक से नहीं चल पाई, इतनी बेरहमी से चोदा था अंकल ने। फिर मां प्रेगनेंट भी हो गई। मां एक और लड़का हुआ, मेरा छोटा भाई।
पापा सोचते है वो उनका है, पर वो उनका नहीं हुसैन अंकल का है। और कुछ दिन बाद अंकल वो घर छोड़ के चले गए।
तो दोस्तों केसी लगी आपकी मेरी यह सच्ची कहानी? कॉमेंट करके जरूर बताना।