Film Ke Bahane Gaand Maari
घर से थोड़ी दूर जाके बस स्टैंड है वहां से होकर बाज़ार जाना पड़ता है, तो वहां मेरे पड़ोस का लड़का सोनू दिखा, वो भी शायद बाज़ार ही जा रहा था। उसने हाथ सेे रुकने का इशारा किया और मेने बाइक रोक ली।
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घर से थोड़ी दूर जाके बस स्टैंड है वहां से होकर बाज़ार जाना पड़ता है, तो वहां मेरे पड़ोस का लड़का सोनू दिखा, वो भी शायद बाज़ार ही जा रहा था। उसने हाथ सेे रुकने का इशारा किया और मेने बाइक रोक ली।
अब मैं कब तक सब्र करता। आग से पास आकर घी पिघल ही जाता है। सो उसके चुम्बन ने मेरे शरीर में कामवासना जगा दी और मैं भी उसे चूमने लगा। उसके मम्मे दबाने लगा।
तो आपकी जिज्ञासा को शांत करते हुए आपका अपना दोस्त दीप पंजाबी एक नई मज़ेदार हिन्दी सेक्स कहानी लेकर फेर हाज़िर है। लेकिन उस से भी पहले आप सब दोस्तों से एक छोटी सी नराजगी भी है के आप लोगो के मेल पहले से थोड़े कम आ रहे है।
एक साल के भीतर ही मेरा उनसे तलाक़ हो गया। घर वालो ने दुबारा शादी करने का सोचा पर मेरा दिल नही माना और मेने नौकरी करने की ठान ली। इस लिए आपके पास उस दिन नौकरी के लिये आई थी।
ये हिन्दी सेक्सी कहानी शुरू होती है कोलकाता के मिस्टर सुनील गुलाटी के परिवार से जिसमे खुद सुनील, उसकी पत्नी स्वाति गुलाटी और उसका छोटा भाई विवेक गुलाटी रहता है।
किराना स्टोर होने की वजह से लोग अक्सर मेरे पास आते थे, पर फोन करने उन्हें गाँव से बाहर दूसरे गांव जाना पड़ता था। लोगो की मुश्किल को देखते हुए मेने दुकान के साथ वाले कमरे में एक पीसीओ खोल लिया।
ये हिन्दी सेक्सी कहानी करीब 5 साल पुरानी है जब मेने पढ़ाई खत्म करके काम ढूँढना शुरु किया, हमारा गांव शहर से 10 किलोमीटर दूर है और जरा सी चीज़ लेने भी शहर जाना पड़ता है, तो सोचा क्यों न गांव वालो की मुश्किल को आसान कर दिया जाये।
इधर मेरे सास ससुर मुझे ही कोसते रहते और बोलते,” पहले नई नई आई अपना बच्चा खा गयी, अब अपने सुहाग को ही निगल गयी। कैसी डायन हमारे पल्ले पड़ गयी। दिन भर ऐसी सेंकडो दिल जलाने वाली बाते करते और् मैं चुप चाप सुनती रहती।
अपनी हिन्दी सेक्स कहानी के बारे में थोडा बतादूं के इस बार अपनी इस कहानी में जो नायिका का रोल प्ले कर रही है वो एक प्राइमरी स्कूल की टीचर है, उनका नाम श्वेता अग्रवाल है।
उस दिन से आशा के मन में उस रोहित के प्रति नफरत सी हो गयी। उसने घर में तो किसी को कुछ नही बताया पर अब जहाँ भी रोहित मिलता, उससे किनारा कर लेती। पहले कई बार रोहित के साथ बाज़ार भी चली जाती थी।
ये बात आज से 7 साल पहले की है। जब मध्यप्रदेश के दो अलग अलग गांवो के राहुल और उसकी बुआ का लड़का रोहित दोनों एक ही क्लास में पढते थे। अब दोनों का परिचय भी करवा दूं।
अगले दिन मेने घर से अपना टिफन पैक कराया और उसके साथ उसकी बाइक पे बैठ के चला गया। पूरा दिन काम किया और शाम को घर आ गए। इस तरह कई दिन चलता रहा।
उस दिन की चुदाई के बाद मेरी हालत थोड़ी ख़राब हो गयी और चूत सूज के ब्रेड जैसी हो गयी फूली-फूली सी, ये देखके उसके चेहरे पर शैतानी हँसी आयी और मुझसे बोला की ओपनिंग में ही तेरी बुर ने हथीयार डाल दिए तो आगे इसका क्या होगा.
बात 6 साल पहले की है जब कॉलेज में मेरा फर्स्ट ईयर ही था और जुलाई होने की वजह से बारिश का सुहाना मौसम था, बारिश मुझे बहुत पसंद है और मेरी फ्रेंड खुशबु को भी पसंद है.
कहानी शुरू होती है साल 2009 की गर्मियों के दिनों से , जब मैं पढ़ाई से फ्री होकर काम काज की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। तो हमारे गांव से बाहर छोटी सी नहर निकलती है। उसकी दूसरी साइड एक नर्सरी का काम चल रहा था।
तक़रीबन पांच मिनट के बाद आशु बिलकुल ढीली पड़ चुकी थी और मेरा हाथ पकड़ कर उसने अपने लहंगे के ऊपर से ही अपने चूत से सटा दिया। मैंने भी उसकी अनचुदी नई नवेली चूत ऊपर से ही रगड़ना शुरू कर दिया।
जैसे कि आपने पिछली सेक्स कहानी में पढ़ा की कैसे मैंने रजनी की दबा के चूत मारी और उसे पता भी नहीं लगने दिया।उसे मैंने बाद में दोस्त बनाया और वह आज तक मेरी दोस्त है और उसे यह भी नहीं पता की मैंने उसकी ताबड़ तोड़ चुदाई की थी।
कुछ देर बाद उसने गांड के छेद से अपना मुँह हटाया तो बोल जानु यह मेरी तरफ से तुम्हारी पहली और आखरी चुदाई है और मैं यह चाहता हूँ कि तुम यह चुदाई मरते दम तक याद रखो.
दोस्तों यह मेरी पहली हिन्दी सेक्स कहानी है जो की सच्ची है. मेरी किसी रजनी नाम की लड़की के साथ (जो की एक नर्स थी) सात साल से दोस्ती थी और में उस लड़की से बहुत खुल चुका था.
चुदाई के बाद ऋचा और उसका बड़ा भाई सुमित दोनों अपने अपने कपडे पहनते हैं और ऋचा सो जाती है और सुमित अपनी माँ के कमरे में सोने चला जाता है जहाँ नाईट बल्ब जला था, उसकी माँ भावना बेड पर लेटी थी और उसकी नाईटी उसकी मोटी सुडौल गोरी झांघों तक सरक गयी थी.