Bus Me Mili Aunty Ne Chudwaya
उसने ओके किया और पास ही मै टॉइलेट था वहाँ जाकर मुठ मारकर अपने आप को कंट्रोल किया और वापस आया और मैने उसे थेंक्स बोला लेकिन मुठ मारते समय वीर्य की एक बूँद मेरी पेंट पर भी लग गयी थी.
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उसने ओके किया और पास ही मै टॉइलेट था वहाँ जाकर मुठ मारकर अपने आप को कंट्रोल किया और वापस आया और मैने उसे थेंक्स बोला लेकिन मुठ मारते समय वीर्य की एक बूँद मेरी पेंट पर भी लग गयी थी.
मैं रूपा मेरी कहानी का दूसरा भाग ले कर उपस्थित हूँ पहले भाग में आपने देखा कि कैसे मेरे मकान मालिक श्याम और उसकी पत्नी सुनीता मुझे अपने साथ चंडीगढ़ ले गई और और मुझे अपने मित्र प्रवीन के साथ होटल रूम में एक साथ रहने को मजबूर किया..
सामान्यतया मैं घर में साडी पहनती हूँ और बाहर जाते समय साडी या सूट पहनती हूँ मैंने महशुश किया है की साडी से मेरा बदन ज्यादा दीखता है।
ये बात पिछले 8 साल की है जब मै अपने मामा जोके खुद के स्कूल के प्रिंसिपल है, उनके स्कूल में पढ़ने के लिए अपने नौनिहाल गया हुआ था। मेरे मामा अभी तक कुंवारे थे।
सुधा ३२ पार कर चुकी थी लेकिन उसकी उम्र २३ से ज्यादा की नहीं लगती थी गजब की काया पाई थी उसने जो भी देखता बस देखता ही रह जाता था जब भी वो कहीं भी जाती बस लोग आहें भर कर रह जाते।
मैं सोचता था की कहीं कोई दूसरा उसे न फंसा ले उसकी अदा भी तो कुछ ऐसी थी कि वो मर्द और औरत सबसे बात करती थी मेरे छोटे ममेरे और चचेरे भाइयों की तो वो लाडली भाभी थी सभी उससे हंसी और मजाक करते वो भी उनसे मजाक करती थी।
ये सब लौड़े और चुते कामदेव के हाथ की कठपुतलिया ही है। न जाने कब किसी चुत को कब लंड मिल जाए ये तो कोई भी नही जानता। पहली बार चुदवाने मे हर लड़की या औरत जरूर नखरा करती है..
ये हिन्दी सेक्सी कहानी मेरी और मेरी बुआ की लड़की की ह कसे मैने उसकी चुदाई करी। मेरी बुआ की लड़की का नाम आलिया {नाम बदला हुआ} है उम्र करीब 18साल फिगर 32-28-34 ये मुझे उसने बाद मे बताया।
पिछले हफ्ते मैं रिश्तेदारी में एक शादी पे गया हुआ था। वहां मेरा कालज टाइम का दोस्त अक्षय भी आया हुआ था। ये कहानी मुझे उसने ही सुनाई और साईट पे छापने की विनती की।
ये बात तब की है, जब मैं घर से बाहर दूसरे शहर में पढ़ाई के लिए गया हुआ था। जिस घर में मुझे रहने के लिए एक कमरा मिला था। उनका एक 4 साल का एक बच्चा रोहित था। जो अक्सर मेरे साथ खेलने मेरे कमरे में आ जाता था।
ये मेरी पहली कहानी “बॉस की बेटी की कुवारी चुत” पड़कर मुझे मेरे ई-मेल मे संपर्क करने वाली रोशनी और मेरी चुदाई की जबरदस्त दास्तान है।
सेक्सी मौसम, हरियाली, और प्रदूषण रहित गाँव देखकर मुझे यकीन नहीं हुआ कि मैं इसी दुनिया में हूँ. दिल्ली के गर्मी भरे, प्रदूषण से लबालब हुए मौसम की तुलना में गाँव का मौसम हजार गुना बेहतर था.
मैंने अपने होंठ नीना के होंठ से मिलाये और मैं अपनी पत्नी के होठों को चूमने लगा। तब मेरी बीबी ने मुझे मेरे कान में धीरेसे कहा , “जानूँ, मैं अब भी बहुत चुदाई करवाना चाहती हूँ। मुझे चोदो।“
अनिल ने एक और धक्का दिया और मेरे देखते ही देखते उसका तीन चौथाई लण्ड अंदर चला गया। नीना के ललाट से पसीने की बूंदें टपकने लगीं। पर उस बार नीना ने एक भी आह न निकाली।
कुछ क्षणों बाद उसने मेरे गले में अपनी बाहों की माला डाली और मरे होठों से होंठ मिलाकर बिना बोले उन्हें चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे इस नए अनुभव करवानेके लिए वह मेरे प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शा रही थी।
ये इसी गर्मियो की बात है के मैं एक दिन अपने घर में अकेला था। हमारा पूरा परिवार रिश्तेदारी में बुआ की लड़की की आ रही शादी के लिए कपड़े वगैरा खरीदने बाज़ार गया हुआ था।
अनिल उसे देखता ही रह गया। नीना की कमर ऐसे लग रही थी जैसे दो पर्वतों के बिच में घाटी हो। उसके उरोज से उसकी कमर का उतार और फिर उसकी कमर से कूल्हों का उभार इतना रोमांचक और अद्भुत था की देखते ही बनता था।
मैंने अपनी पत्नी को उस गाउन में जब देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसके पिछेकी रौशनी में उसकी टाँगे, उसके नितम्ब, उसके स्तन, निपल बल्कि उसकी चूत की गहराई तक नजर आ रही थी।
परन्तु अनिल का बड़े मर्यादित रूप में सारी सेक्सुअल बातों को बताना तथा गंदे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना नीना को अच्छा लगा। इसी कारण वश जब अनिल ने नीना का हाथ थामा और अपनी जांघ पर रखा तो वह कुछ न बोली।
ये राजस्थान के एक छोटे से गांव की कहानी है। जहां भीमा एक गरीब मज़दूर, जो अपनी पत्नी शांति और बेटे विजय के साथ अपने मालिक जमीदार राजेन्द्र सिंह की हवेली के बाहर एक छोटी सी झोपडी में रहता था।