Nayi Dagar, Naye humsafar – Episode 4
मैं ऑफिस की सालाना पार्टी में पूरी तरह तैयार होकर गयी की आज बॉस राहुल से तारीफ़ सुन ही लुंगी। मेरा प्लान एकदम सही जा रहा था और जो नहीं सोचा वो भी हो रहा था।
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मैं ऑफिस की सालाना पार्टी में पूरी तरह तैयार होकर गयी की आज बॉस राहुल से तारीफ़ सुन ही लुंगी। मेरा प्लान एकदम सही जा रहा था और जो नहीं सोचा वो भी हो रहा था।
छोटे कपडे पहन कर भी मेरे जवान बॉस का ईमान नहीं डोला सकी. मैंने एक कदम और आगे बढ़ाया तो मुझे थोड़ी कामयाबी मिल ही गयी. कैसे? इस एपिसोड में जानिए!
कालिया के हाथ में वही बंदूक थी और वह बन्दुक को सुनीलजी और जस्सूजी की और तान कर सुनीता से क्या बोला ये इस एपिसोड में जानिए!
मैंने अब प्रयास शुरू किये कि मेरे बॉस का ईमान डोल जाये और मेरी तारीफ़ कर दे। मेरे इन प्रयासों में मैं अपनी सीमा लांघ गयी। इसका क्या परिंणाम हुआ इस भाग में जाने।
ये मेरी वापसी की कहानी है। नयी नौकरी ज्वाइन की थी अपनी इज्जत बनाने के लिए और बॉस भी ईमानदार मिला था पर फिर भी मेरी जिद मुझे कहा ले गयी ये इस रोमांचक यात्रा में मेरे साथ चल कर पता करिये।
कमसिन कातिल कामिनियाँ भी होती कुर्बां कुर्बानी पर। न्यौछावर कर देती वह सब कुछ ऐसी वीरल जवानी पर। पढ़िए और एक नए एपिसोड मजा लीजिए।
सुनीता ज़िंदा बचती है या नहीं, जस्सूजी सुनीता को बचा पाते हैं या नहीं और क्या जस्सूजी खुद बच पाते हौं या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा।
Reeta office me padhne ke liye aati hai or fir computer per porn dekhne lagti hai or main usko ye sab karte huye dekh leta hoon or fir kya hota hai janiye!
जस्सूजी ने देखा की सुनीता पानी के अंदर रुक गयी पर एक ही जगह भँवर के कारण गोल गोल घूम रही थी। पानी में खतरनाक भँवर हो रहे थे।
सुनीलजी ने आगे पोजीशन ले ली, करीब ५० कदम पीछे सुनीता और सबसे पीछे जस्सूजी गन को हाथ में लेकर चल दिए। बारिश काफी तेज होने लगी थी।
गर्मी और पसीने के मारे जस्सूजी, सुनीलजी और सुनीता की हालत खराब थी। ऊबड़खाबड़ रास्ते पर इतना लंबा सफर वह भी घोड़े पर हाथ पाँव बंधे हुए करना थकावट देने वाला था।
काफिले के पीछे उनके पालतू हाउण्ड घोड़ों के साथ साथ दौड़ पड़े और देखते ही देखते काफिला सब की आंखोंसे ओझल हो गया। उस समय सुबह के करीब ११३० बज रहे थे।
नीतू और कुमार की मैथुन लीला देखने के बाद सुनीता को जस्सूजी का रवैया काफी बदला हुआ नजर आया। अब वह उनकी कामनाओं और भावनाओं की कदर करते हुए नजर आये।
नीतू की चुदाई देख कर सुनीता की चूत में भी अजीब सी जलन और हलचल हो रही थी। उन्हें चोदने के लिए सदैव इच्छुक उसके प्यारे जस्सूजी वहीं खड़े थे।
सुनीता ने जस्सूजी का हाथ थामा और दोनों चुपचाप नीतू और कुमार जिस दिशा में गए थे उस तरफ उनके पीछे छिपते छिपाते चल पड़े। जिसे ज्योतिजी और सुनीलजी ने देख लिया।
कैंटीन में सुनीता और ज्योतिजी की मुलाक़ात नीतू से हुई। उसके पति ब्रिगेडियर खन्ना साहब कहीं नजर नहीं आ रहे थे। नीतू ने घुटनों तक पहुंचता हुआ स्कर्ट पहना था।
सुनीलजी की बात से सेहमी हुई सुनीता बिना कुछ बोले सुनीलजी के एक के बाद एक धक्के झेलती रही। सुनीलजी ने सुनीता की टांगें अपने कंधे पर रखी हुई थी।
दोस्तों पुजा को शादी में मस्ती करने का बहुत शौक था, वो किसी भी बात को बहुत गंभीरता से ले-लेती थी. मगर एक शादी मे कैसे उसकी चुदाई हुई सुनिये उसी की जुबानी..
सुनीता ने अपने पति को झाड़ तो दिया पर उनकी बातें सुनकर वह बहुत गरम हो गयी थी। उसकी चूत में से रस चू ने लगा था। पर वह जस्सूजी से तो चुदवा नहीं सकती थी!
दोनों कमरे पूरी तरह प्रकाशित थे। सुनील ज्योति और जस्सूजी को अच्छी तरह प्यार करते हुए देख सकते थे। जस्सूजी ने ज्योति के कानों में कुछ कहा।