पिछला भाग पढ़े:- अनजान भाभी के साथ बस से होटल तक का सफर-2
दोस्तों भाभी सेक्स कहानी का अगला पार्ट शुरू कर रहा हूं।
सुबह हो जाती है। भाभी और मैं एक-दूसरे की बाहों में थे, और उनके पति का काल आता है। दोनों की नींद खुल जाती है। भाभी काल अटेन्ड करती है।
भाभी: गुड मॉर्निंग जान (मुझे किस करते हुए बोलती है)।
मैं: सेक्सी मॉर्निंग बेब।
वो दोनों बात करे थोड़ी देर। फिर बस सुबह एक रेस्टोरेंट पर रुकती है चाय-नाश्ते के लिए। हम दोनों फ्रेश हो कर चाय-नाश्ता करते है। फिर वापिस बस में बैठ जाते है।
भाभी: कल रात को तो तुमने अपनी जुबान से ही मेरा पानी निकाल दिया।
मैं: भाभी अभी रूम पर तो चलो, चीखे निकलना बाकी है आपकी।
भाभी: हां जरूर, तुम्हारी बाहों में चीखना है मुझे।
दोनों बस में बैठ कर बाते करते है, और 9 बजे हम पुणे पहुंच जाते है। फिर कैब बुक करके हम होटल में पहुंच जाते है। जैसे ही दोनों अंदर आए, मैंने दरवाजा बंद किया, और मैंने भाभी को पकड़ लिया पीछे से। फिर उनको दीवार से चिपका कर उनकी नशीली आँखों में देखने लगा। धीरे-धीरे गले पर किस करने लगा।
भाभी: आए, इतनी भी क्या जल्दी है? आते ही शुरू हो गए।
मैं: अब आपको देख कर कंट्रोल नहीं हो रहा मेरी सेक्सी डॉल।
भाभी: आए, आज दिन भर तुम्हारे ही साथ हूं। इस बंद कमरे में जो करना है वो कर लेना।
होंठों पर किस करते-करते मैंने उनकी साड़ी का पल्लू हटा दिया, और गले, होंठ, और क्लीवेज को चूमने लगा। भाभी भी पूरे मूड में थी, और भरपूर मेरा साथ दे रही थी। मैं अपना हाथ उनकी लचीली कमर पर ले गया, और अपनी तरफ उनको पूरा खींच लिया।
फिर मैं उनके होंठों का रसपान करने लगा। किस करते हुए हम दोनों की आँखें बंद थी, पर दोनों मजे से एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे। उन्होंने मुझे धक्का दिया, और मुझे बिस्तर पर फेक दिया। फिर अपनी साड़ी निकाल फेंकी, और मेरे ऊपर चढ़ के मुझे चूमने लगी। उन्होंने मुझे चूमा, चूसा, और काटने लगी। मैं हर जगह अपने दोनों हाथ उनकी गांड पर ले जा कर प्यार से दबाने लगा।
मेरी शर्ट के बटन खोल कर वो मेरे सीने को चूमने लगी। मैं उनकी कमर पकड़ के मसलने लगा। मैंने उनके ब्लाउस की डोरी खोल दी। हम दोनों एक-दूसरे में मगन थे। मैं उनको बिस्तर पर लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया। फिर उनका ब्लाउस ब्रा निकाल फेंके। अब उनके नंगे बड़े गोल बूब्स मेरी आँखों के सामने थे।
मैं: रात को ठीक से देख नहीं पाया था यह बड़े-बड़े तरबूज।
भाभी: तो अब देख लो, और एक बार और चख लो वापिस मेरे राजा।
मैं उनके बूब्स पर टूट पड़ा। दोनों चूचे मसल-मसल कर दबाने लगा। भाभी अब पूरे जोश में सिसकियां ले रही थी ‘अहह उहह ऐसे ही करो आसिफ’। मैं उनके बड़े बूब्स मुंह में लेकर चूसने लगा। मेरा सर उन्होंने अपने बूब्स में दबा लिया। मैं पूरे जोश में बूब्स चूसने लगा। अब भाभी जोर-जोर से सिसकियां ले रही थी, बिना किसी डर के।
फिर मैं थोड़ा नीचे आया उनका, और पेट चूमने लगा। उनकी नाभी में मैं जुबान डाल कर चाटने लगा। उनका पेटीकोट भी निकाल दिया। वो पूरी नंगी मेरे सामने लेटी हुई थी। उनको मैंने ऊपर से नीचे तक निहारा।
भाभी: ऐसे क्या देख रहा है?
मैं: कल रात को ठीक से इस खूबसूरत बला को देख नहीं पाया था। अब वहीं कर रहा हू।
भाभी: देख लेना आराम से। पर अब मुझे तेरे लंड की सवारी करनी है।
मैं: हां मेरी रानी।
मैं खुद भी पूरा नंगा हो गया, और उनकी चूत के पास अपना मुंह ले गया। मैं उनकी चूत की महक लेने लगा, और चूत को आस-पास चाटने लगा। भाभी की सिसकियां अब मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैं अपनी जुबान से उनको मजा दे रहा था। उनकी चूत पानी छोड़ चुकी थी, और मैंने एक भी बूंद वेस्ट नहीं होने दी।
भाभी: अहह मेरे आसिफ, क्या जादू करता है तू? मजा आ गया!
मैं: अभी तो मजे की शुरुवात है।
मैं बिना देरी किए उनको बिस्तर के किनारे लाता हूं। फिर मैं नीचे खड़ा हो कर उनकी चिकनी चूत पर लंड सेट करता हूं। दोनों को चुदाई की इतनी जल्दी थी कि कंडोम का ध्यान भी नहीं था। मैं अपना लंड चूत पर सेट करता हूं, और एक धक्का देता हूं। उनकी रोजाना चुदाई की वजह से चूत ज्यादा टाइट नहीं थी, तो लंड जाने लगा। पर भाभी को दर्द हो रहा था, क्योंकि उनके पति से मोटा और बड़ा लंड था मेरा। भाभी का चेहरा लाल होने लगा था। मैंने 4-5 झटके जोर-जोर से मारे, और लंड अपनी जगह बना चुका था।
भाभी: साले मस्त लंड है तेरा और चोदना भी अच्छे से आता है तुझे।
मैं: तुम जैसी को नीचे ले चुका हूं।
धीरे-धीरे मैं भाभी की चुदाई करने लगा। उनके बूब्स और मंगलसूत्र हवा में उछल रहे थे। मैं उनके बूब्स पकड़ के मसलने लगा। उनके दोनों हाथ पकड़ के अपनी स्पीड तेज कर दी, अब उनको ज्यादा मजा आने लगा।
भाभी: अहह, ऐसे ही चोद, मजा आ रहा है।
मैं अपनी स्पीड धीरे-धीरे तेज करता गया। उनकी सिसकियां गालियों में बदलने लगी। उनको किस करते हुए मैं अपनी कमर हिला कर उनको चोदने लगा।
भाभी: हां साले कुत्ते, ऐसे ही चोदता रह। एसी चुदाई की भूखी हूं।
मैंने उनके बूब्स पे थप्पड़ मारे, और उनको जोर-जोर से चोदने लगा।
मैं: हां साली कुतिया, ऐसी चुदाई सिर्फ मैं ही करूंगा।
ऐसे ही दोनों चुदाई करते रहे। हम दोनों पसीने में भीग चुके थे। इतने में उनका फोन बजता है। एक बार तो हम दोनों ध्यान नहीं देते। फिर वापिस आता है तो भाभी देखती है उनके पति का काल था। मैं उनकी चुदाई जारी रखता हूं, और वो फोन उठा लेती है।
भाभी: अहह जान, बोलो क्या हुआ?
उनका पति: काव्या पहुंच गई पुणे?
भाभी: जी हां, मैं अपनी दोस्त के साथ, उफ्फ आराम से!
उनका पति: यह कैसी आवाज निकाल रही हो?
भाभी: जी कुछ नहीं, वो तो एसे ही। मैं बाद में करती हूं आपको काल।
भाभी फोन कट कर देती है: साले रुक तो जाता, मेरे पति का फोन था!
अब उनको उठाया और उनको कुतिया बना लिया। फिर उनकी गांड पर थप्पड़ मारे, और लाल कर दी। पीछे से मैं उनकी चूत चोदने लगा। मेरी जांघें और उनके कूल्हे टकरा रहे थे, और पूरे रूम में भाभी की सिसकियां गूंज रही थी। मैंने उनके बाल पकड़ कर खींचे और बोला-
मैं: साली कुतिया है तू मेरी आज से रंडी!
फ़च फ़च अहह उम्म उफ्फ की आवाज़े रूम से आ रही थी। ऐसे ही उनको कुतिया बना कर चोदा। भाभी इतने में 2 बार झड़ चुकी थी। उनके पानी से लंड और चिकना हो गया। आराम से लंड अंदर-बाहर होने लगा। मैं भी थक चुका था उनको चोद-चोद कर, और मैं भी झड़ने वाला था।
मैं: भाभी मेरा होने वाला है। किधर निकालूं?
भाभी: चूत छोड़ कर कही भी निकाल ले। कंडोम नहीं पहना है तूने।
मैं खड़ा हो कर उनके मुंह के सामने आ गया, और उनके मुंह में लंड डाल दिया।भाभी लंड चूसने लगी। मैंने आँखें बंद कर ली, और मजे लेने लगा। इतने में मेरा सारा माल निकाल गया। वो पूरा माल निगल गई, और लंड चाट कर साफ कर दिया। हम दोनों लेट गए एक-दूसरे की बाहों में।
भाभी: मजा आ गया इतनी मस्त चुदाई के बाद।
मैं: हां भाभी, मजा तो आना ही था।
अपना एक हाथ मैंने उनके बूब्स पर रखा, और प्यार से दबाने लगा। ऐसे ही दोनों थक कर सो गए। पूरे दिन हमने चुदाई ही करी। शाम को भाभी चली गई, और अपना नंबर दे गई। उसके बाद जभी मन होता है चुदाई का, तो एसे ही दोनों पुणे का प्लान बना लेते है।
शुक्रिया यहां तक पूरी सेक्स कहानी पढ़ने के लिए। अपना अनुभव जरूर सांझा करें। मेरी ईमेल आइडी khanabdulasif01@gmail.com है।