नमस्कार दोस्तों, मैं आप सब का Thor, आप सब के लिए लंड का पानी निकाल देने वाली एक और सेक्स कहानी लेके आया हूं। उम्मीद हैं आप लोग मेरी बाकी सेक्स कहानियां पढ़ कर भी मजा कर रहे होंगे। ये कहानी जयपुर के अरविंद, और उसकी भाभी आरज़ू की चुदाई की है। तो चलिए शुरू करते है कहानी अरविंद के शब्दों में-
नमस्कार दोस्तों मैं अरविंद जयपुर का रहने वाला हूं। मेरी उमर 24 साल है, और मैं एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट की जॉब करता हूं। मैं दिखने में अच्छा हूं, और बॉडी भी फिट है। लंड मेरा 6 इंच का है, जो किसी भी चूत की प्यास को बुझा सकता है। अब मैं आपको अपने परिवार के बारे में बता देता हूं।
मेरे परिवार में मम्मी-पापा, भैया-भाभी, और मैं हूं। मैं अपने घर में सबसे छोटा हूं। मेरे भैया भी एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते है। भैया की शादी 3 महीने पहले ही हुई है। अब आते है भाभी पर।
भाभी का नाम आरज़ू है। वो इतनी खूबसूरत है, कि उनको पा कर किसी भी सारी आरज़ू पूरी हो जाए। भैया मुझसे 5 साल बड़े है, और भाभी 2 साल। जब मैंने पहली बार भाभी को देखा, तो सोचा काश मुझे भी ऐसी ही लड़की मिले। दोस्तों जो भी लोग यहां कहते है कि मैंने पहले गलत नज़र से नहीं देखा, लेकिन बाद में देखने लगा, वो सब झूठ बोलते है।
देखिए चूत ऐसी चीज है जिसके लिए लंड हमेशा तैयार रहता है, फिर वो किसी की भी हो। हां रिश्तों का लिहाज करके खुद को कंट्रोल जरूर कर लेते है सब। लेकिन अंदर ही अंदर हर सेक्सी औरत को देख कर उसको चोदने का मन करता है। भाभी को देख कर मेरा भी ऐसा ही कुछ हाल था।
मेरी भाभी का रंग गोरा, और फिगर साइज 36-38-36 है। उनको देख कर कोई भी मर्द खुद पर काबू खो सकता है। भैया की शादी के बाद मैंने भाभी के बारे में सोच कर बहुत बार मुठ मारी। लेकिन मैंने भाभी को कभी भी इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि मैं उनके बारे में ऐसा सोचता था।
हाल ही में गुज़रे दिसंबर महीने में घर वालों ने भैया-भाभी को कहीं घूम कर आने को कहा। ले-दे कर श्रीनगर जाने का प्लान बना, और ट्रेन की टिकटें बुक करवा ली गई। भैया ने मेरी भी टिकट बुक करवा दी, ताकि मैं भी घूम आऊं। मैं बहुत खुश हो गया।
श्रीनगर जाने के 2 दिन पहले भैया को ऑफिस के किसी काम से पंजाब जाना पड़ा। तो उन्होंने कहा कि मैं भाभी को लेके श्रीनगर पहुंचूं, और वो अगले दिन सीधे पंजाब से वहां आ जाएंगे। फिर मैं और भाभी दोनों निकल पड़े। लंबा सफर तय करने के बाद हम दोनों श्रीनगर पहुंचे। वहां बहुत ठंड थी, और बर्फ पड़ी हुई थी। हमने होटल में कमरे बुक करवा रखे थे, और वहां जा कर सारा समान सेट कर दिया।
हम सुबह के वक्त पहुंचे थे, और भैया अगले दिन रात को आने वाले थे। तो मैंने सोचा कि तब तक मैं भाभी के साथ घूम लेता हूं। फिर मैंने भाभी को तैयार होने को कहा, और मैं भी अपने कमरे में जाके तैयार हो गया।
भाभी ने एक हल्के आसमानी रंग की जींस पहनी थी, और साथ में काले रंग की जैकेट। साथ में सर पर काले रंग की टोपी पहनी थी। इन कपड़ों में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। भाभी की टाइट जींस में उनकी जांघें और गांड कमाल की लग रही थी। लेकिन मैं तो बस उनको देखने का मजा ले सकता था। और मैं उसी में खुश भी था।
फिर हम घूमने निकले, और शाम तक घूमते रहे। शाम को बारिश का मौसम बन गया, तो हम जल्दी-जल्दी होटल वापस आ गए। बारिश बहुत तेज होने लगी, जिससे ठंड बढ़ने लगी। बिजली भी जोर की कड़क रही थी। अब दूसरी लड़कियों की तरह भाभी भी बिजली कड़कने से डरती है, तो उन्होंने मुझे उनके ही कमरे में रुकने को कहा। मुझे और क्या चाहिए था। मैंने उनकी बात झट से मान ली।
जब काफी देर तक इंतेज़ार करने के बाद भी मौसम नहीं ठीक हुआ, तो उन्होंने कहां की मैं वहीं सो जाऊं। मैं फिर जल्दी से अपने कपड़े बदल कर वापस उनके कमरे में आ गया। अब हम एक ही बेड पर सोने वाले थे। भाभी ने सफेद रंग का नाइट सूट पहना था, वो होता है ना फर वाला जो खास लड़कियों के लिए होता है, वहीं वाला पहना था उन्होंने। उसमें वो बहुत क्यूट और सेक्सी लग रही थी।
फिर हम सो गए। 2-3 घंटे बाद मेरी नींद खुली। मुझे बहुत ठंड लग रही थी। मैंने देखा कि भाभी ने सारी रजाई खुद ले रखी थी, और मेरे ऊपर कुछ भी नहीं था। फिर मैंने रजाई खींचने के लिए जब साइड से उठाई, तो मैंने देखा भाभी का पजामा नीचे हुआ पड़ा था, और उनकी पैंटी में उनकी सेक्सी गांड नज़र आ रही थी।
ये देख कर मेरी नींद खुल गई, और लंड खड़ा हो गया। मैंने सोचा कि इससे अच्छा मौका मुझे दोबारा नहीं मिलने वाला। ये सोच कर मैं भाभी के करीब गया, और उनके पीछे चिपक कर रजाई ओढ़ ली। क्या गरम जिस्म था भाभी का। फिर मैंने अपना पजामा और अंडरवियर दोनों उतार दिए, और अपने लंड को भाभी की पैंटी के ऊपर से गांड पर रगड़ने लगा।
जब भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई, तो मैंने धीरे से उनका ढीला पजामा नीचे घुटनों तक कर दिया। अब मेरी जांघें भाभी की जांघों से चिपकी हुई थी। बड़ी तगड़ी फीलिंग आ रही थी। फिर मैं अपना हाथ आगे लेके गया और भाभी की चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। कुछ सेकंड्स में ही भाभी का हाथ पीछे आया, और उन्होंने हाथ मेरे लंड पर रख दिया। मेरी तो गांड फट गई कि अब मैं मारा गया। तभी भाभी बोली-
भाभी: कार्तिक करो ना।
कार्तिक मेरे भैया का नाम है। मैं समझ गया कि भाभी मुझे भैया समझ रही थी नींद में। बस फिर क्या था, मैंने भाभी की पैंटी नीचे की, और चूत सहलाने लगा। उनकी चूत गीली हो चुकी थी। भाभी आँखें बंद किए हुए आह आह करने लगी। अब मेरा हाथ भाभी की चूत रगड़ रहा था, और मेरा लंड भाभी की गांड से चिपका था, जिसको भाभी सहला रही थी।
फिर भाभी ने टेढ़े लेटे हुए ही अपनी टांग ऊपर उठाई, और मेरे लंड को चूत पर सेट करने लगी। मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। फिर जैसे ही मेरा टोपा चूत के मुंह पर अटका, मैंने धक्का लगा कर लंड अंदर घुसा दिया। भाभी की आह निकली, और मैं तो मानो जन्नत में पहुंच गया।
अब मैंने एक हाथ से भाभी की टांग को सहारा देते हुए उनको चोदना शुरू किया। भाभी आह आह करती गई, और मैं धक्कों की स्पीड तेज़ करता गया। थोड़ी ही देर में चप-चप की आवाजें आने लगी। मैं समझ गया भाभी की चूत पानी छोड़ चुकी थी। फिर मैंने दूसरा हाथ भाभी की शर्ट में डाल लिया, और उनके बूब को दबाने लगा। तभी भाभी सीधी हुई, और उन्होंने मेरी तरफ देखा।
वो मेरी तरफ देख कर शॉक हो गई, और बोली-
भाभी: अरविंद, तू यहां क्या कर रहा है?
मैं: भाभी आप ही ने तो कहा करने को।
भाभी: लेकिन मैं तो समझ रही थी कि कार्तिक आह आह।
मैं लगातार धक्के मार रहा था, जिससे उनको मजा आ रहा था।
भाभी: अरविंद ये गलत हो रहा है। अगर तुम्हारे भैया को पता चल गया तो?
मैं: किसी को कुछ पता नहीं चलेगा भाभी, आप बस होने दो इसको।
भाभी चुप हो गई, और मैं अब उनके ऊपर आ गया। मैंने उनका शर्ट ऊपर करके उनके बूब्स बाहर निकाल लिये, और बूब्स चूसते हुए उनको चोदने लगा। हम बीच-बीच में एक-दूसरे के होंठ भी चूस रहे थे।
आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं उनके अंदर ही झड़ गया। उस रात हमने 2 बार और चुदाई की। फिर अगले दिन भैया के आने के बाद हम इस सब से अंजान बन गए।
दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी? मेरी कहानी श्रृंखला Ghar Ki Randiyan को भी जरूर पढ़ें, और बाकी कहानियां भी पढ़े। अपनी फीडबैक मुझे gulati.gulati555@gmail.com पर दें।