भाभी को चोदा खेत में (Bhabhi ko choda khet mein)

दोस्तों मेरे मम्मी-पापा हरियाणा के एक गांव में रहते है। कभी-कभी जब मैं बैंगलोर से दिल्ली आता हूं, तो गांव भी चला जाता हूं। एक बार मेरा दिल्ली आना हुआ किसी काम से, तो मैं गांव भी चला गया।

गांव में मेरा पूरा परिवार ताऊ जी, चाचा जी और उनका परिवार गांव में रहता है। मेरे ताऊ जी का बेटा राकेश मुझसे बड़ा है, और उसकी शादी भी मुझसे पहले ही गई थी। रीना भाभी भी हमारे गांव के साथ वाले गांव से है। वो है तो थोड़ी सावली, लेकिन गजब के फिगर वाली है। उन्हें देख कर किसी भी मर्द का लंड सलामी देने लगता है।

मम्मी-पापा से मिलने का तो बहाना है, लेकिन मैं रीना भाभी को ही ताड़ने गांव आ जाता हूं। मेरा भी मन उन्हें चोदने का बहुत करता है। लेकिन कदम आगे बढ़ाने से डर लगता है, कि कहीं भाभी को बुरा ना लग जाए।

मैं गांव पहुंचा, सभी से मिला, लेकिन रीना भाभी दिखाई नहीं दी। मैंने पूछा आज भाभी दिखाई नहीं दे रही है। तो ताई जी ने बताया रीना खेतों पर गई है। मैं घरवालों से कुछ बहाना बना कर खेतों की तरफ निकल पड़ा। खेत पर ट्यूबवेल के साथ एक अच्छा बड़ा रूम भी बना हुआ है। मैं खेत पर पहुंचा तो भाभी दिखाई नहीं दी। फिर मैं रूम की तरफ गया तो देखा भाभी वहां सो रही थी।

मैं बोला: क्या बात है डियर भाभी अकेले ही सो रही हो?

वो जाग कर उठ गई और बोली: अरुण तुम यहां?

मैं बोला: भाभी तुमसे मिलने खेतों पर आना पड़ा। और सुनाओ, क्या कर रही हो अकेले?

वो बोली: काम से थक गई थी तो सो गई, और क्या गांड मरवा रही थी।

उनके मुंह से ये सुन कर मैं चौंक गया।

फिर मैं बोला: नहीं मरवा रही थी तो अभी मरवा लो।

वो बोली: तुम मारोगे क्या? तुम हमे क्यों चोदने लगे। तुम्हारे पास तो अपनी फुलझड़ी है रिया।

मैं बोला: वो फुलझड़ी है तो तुम भी तो बॉम्ब हो।

वो खुश हो गई।

फिर वो बोली: मेरी ऐसी किस्मत कहा है जो तेरे जैसी हैंडसम से चुद सकूं।

मैं बोला: आप बोलो तो अभी चोद दूं मेरी जान से प्यारी भाभी को।

वो बोली: अरुण मजा आ जायेगा यार, अगर ऐसा हो जाए तो।

ये सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। भाभी की नज़र पैंट के उपर से ही खड़े लंड पर पड़ गई। वो मुस्कुराने लगी।

वो बोली: तुम्हारा तो उफान मरने लगा है देवर जी।

मैं बोला: रीना डार्लिंग, आज ये तुमको छोड़ने वाला नहीं है। जल्दी से अपनी साड़ी उतार दो।

वो खड़ी होती उससे पहले मैंने रीना भाभी की साड़ी पकड़ ली, और उसे उतारने लगा। साड़ी उतार कर मैंने एक साइड फेंक दी।

वो बोली: गेट में कुंडी लगा आओ।

मैं बोला: यहां कोन आने वाला है।

वो बोली: क्या भरोसा तुम्हारी तरह चुप-चाप कोई आ जाए।

मैं गया और कुंडी लगा आया। फिर मैंने भाभी को पकड़ लिया और उनके बड़े-बड़े चूचे दबाने लगा। वो मस्त हो कर आहें भरने लगी, और पैंट के उपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया। उसने मेरी पैंट उतार दी, और अंडरवियर नीचे करके लंड को पकड़ लिया।

फिर वो बोली: यार देवर जी, क्या गजब का हथियार ले रखा हैं। तभी रिया इतनी खुश रहती है। आज इसे तो लेकर मजा ही आ जायेगा।

मैंने भाभी का पेटीकोट ऊपर कर लिया, और उनकी जांघो और चूत पर हाथ फेरने लगा। ऐसे करते ही वो सिसकारियां भरने लगी।

वो बोली: अरुण आज पेल कर सारी गरमी निकाल दो इसकी।

मैंने उन्हें लिटा लिया और उनकी चूत में उंगली डाल कर चोदने लगा। इतने में उन्होंने पानी छोड़ दिया। लग रहा था कई दिनों की प्यासी थी। वो मुझ से कड़ा लिपट गई। मैंने उन्हें अपने उपर ले लिया। वो मेरे निप्पल चूसने लगी, और अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी।

लंड को मजा भी आ रहा था, और उनकी चूत की झांटे चुभ भी रही थी। पर मजा इतना आ रहा था कि चुभन महसूस नहीं हो रही थी। तभी भाभी ने अपने हाथ से लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सेट कर लिया, और उपर बैठ गई। लंड पूरा सटाक से उनकी चूत में चला गया। वो मेरे उपर से ही मुझे चोदने लगी।

उन्हें चुदने की बहुत जल्दी थी। अब मैं उनके ऊपर आ गया, और मिशीनरी पोजिशन में आ गया, और जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी। हम दोनों पसीने-पसीने हो गए। पंद्रह मिनट में वो दो बार झड़ चुकी थी। लेकिन मेरा छूटने का नाम नहीं ले रहा था। उनकी चूत थोड़ी ढीली और गीली थी। लेकिन मजा बहुत आ रहा था। दस मिनिट बाद मेरा वीर्य निकल गया, और मैंने पूरा वीर्य उनकी चूत में ही छोड़ दिया।

हम पांच मिनट तक एक-दूसरे के उपर ही पड़े रहे। फिर हम अलग हुए। भाभी बहुत खुश थी।

वो बोली: यार तुमसे चुदाने की तमन्ना पता नहीं कब से थी। लेकिन वो आज पूरी हुई है।

उन्होंने अपनी साड़ी पहनी, और मैंने भी अपने कपड़े पहने, और हम ट्यूबवेल के पास आ कर बैठ गए, और बातें करने लगे।

मैं बोला: मेरी जान तुमने तो अपनी तमन्ना पूरी कर ली है। लेकिन मुझे अभी तसल्ली नहीं हुई है।

वो बोली: तो राजा बताओ तुम्हारी तसल्ली के लिए मुझे क्या करना है?

मैं बोला: अपने मुंह से चूस कर मेरा वीर्य निकालना है।

वो बोली: तो ठीक है, यहीं निकाल देती हूं।

उसने मेरे लंड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। लंड फिर टाइट होने लगा, और कुछ देर में खड़ा हो गया। भाभी ने मेरी पैंट की जिप खोल दी, और लंड को बाहर निकाल कर पहले चूमने और फिर चूसने लगी। दोस्तों वो पूरी तरह कुल्फी की तरह लंड को चूस रही थी। कभी पूरा बाहर निकालती, कभी पूरा अन्दर लेती। मैंने उनके सर को पकड़ कर लंड पर दबा लिया और कड़ा दबा दिया।

मेरा लंड पूरा उनके गले तक चला गया। वो तड़पने लगी, और उनकी आंखों से आंसू आ गए। मैंने थोड़ा ढीला छोड़ा तो उन्होंने बाहर निकाला और मुझे डांटने लगी।

वो: अबे मारेगा क्या?

मैं बोला: अब धीरे से करूंगा।

वो फिर चूसने में लग गई। अब वो और मजे लेकर चूस रही थी। मैंने उसके मुंह को चोदना स्टार्ट कर दिया। बीस मिनट बाद मैंने अपना पूरा वीर्य उसके मुंह में छोड़ दिया। वो मेरा पूरा वीर्य पी गई। मुझे मजा आ गया। अब शाम के चार बज गए थे, तो हम घर के लिए निकल पड़े, और रास्ते भर अपनी सेक्स की बातें करते रहे। इतने में ना जाने कब घर आ गया पता ही नहीं चला।

दूसरे दिन खेत में बाहर ही मैंने भाभी को जी भर कर चोदा। उस दिन भी मैंने उन्हें तीन बार चोदा अलग-अलग पोजिशन में, और उन्होंने जी भर के मेरे लंड को चूसा।

उसके बाद मैं निकल गया और बैंगलोर आ गया। अब भी उनकी बहुत याद आती है। मैं उनसे फोन पर बात कर लेता हूं। वो भी मुझे बहुत याद करती है। अब ना जाने कब गांव जाना होगा, और मैं उन्हें चोद पाऊंगा?

मैं कई बार बोलता हूं: आप ही बैंगलोर आ जाओ एक बार घूमने।

वो बोलती है: आयेंगे। वहां तुम्हारी बीवी है, मुझे कैसे चोदोगे?

मैं बोलता हूं: तुम आ तो जाओ एक बार। मेरे पास बहुत जुगाड़ है।

कुछ दिनों बाद भाभी और भैया बैंगलोर घूमने आए। मैंने भाभी को यहां भी चोदा। वो मैं आपको मेरी अगली कहानी में बताऊंगा। तो दोस्तों मेरी ये रियल स्टोरी आप को कैसी लगी बताना ज़रूर।