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भाभी की चूत चोदी-1 (Bhabhi Ki Chut Chodi-1)

हैलो दोस्तों, मेरी नई सेक्स कहानी में आपका स्वागत है। जैसा कि आप सब को मेरा नाम पता है। मेरा नाम शिवम है। मैं 30 साल का हूं। मैं मध्य प्रदेश से हूं, और पहले भी desikahani.net पर अपनी कहानी आपके साथ सांझा कर चुका हूं।

आज मैं आपके लिए लेकर आया हूं अपनी भाभी की कहानी, जिसको मैंने गलती से प्रेग्नेंट कर दिया था उनकी चूत मारते हुए। यह कहानी जब की है, तब मेरी उम्र 26 साल थी। तब मैं जॉब छोड़ कर, घर आ कर खेत संभालने लगा था।

मेरी भाभी का नाम है मधु, जिनकी उम्र 38 साल है। मेरी भाभी की शादी को लगभग 12 साल हो चुके है, और उनका सिर्फ एक बच्चा है। एक बच्चे के बाद मेरे भाई ने कभी दूसरे बच्चे के बारे में नहीं सोचा, क्यूंकि उसे बच्चा एक ही चाहिए था। मेरी भाभी का एक ही लड़का है, जिसकी उम्र 8 साल है। चलिए तो कहानी पर आते है।

मेरी भाभी दिखने में अभी भी किसी पटाखे से कम नहीं लगती है। उनका फिगर, उनके दूध, उनकी भरी हुई गांड, उनके लाल सॉफ्ट होंठ, उनकी आँखें, कोई भी देखे तो बिना लंड खुजाए रह ना पाए। भाभी का फिगर आज भी गजब का है, जिसका साइज़ लगभग 36″ दूध, 38″ कमर और 40″ की गांड है, जो देख कर ही मज़ा आ जाये।

जब मैं अपनी जॉब छोड़ कर अपने घर आया, तो मेरे घर वाले कुछ दुखी थे, कि मैंने जॉब क्यों छोड़ दी थी। अच्छा था जॉब और सैलरी भी अच्छी थी, क्यूंकि मैं हैदराबाद में सॉफ्टवेर इंजिनियर की जॉब करता था। सभी ने सवाल किये, क्यों छोड़ आये नौकरी। तो मैंने कहा-

मैं: मुझे थोड़ा टाइम चाहिए, मैं दूसरी कम्पनी देख रहा हूं। तब तक में जॉब छोड़ कर खेत संभल लूंगा। फिर वापस कोई नयी कंपनी देख लूंगा।

घर आकर मैं खुश था क्यूंकि मैं बहुत समय से बाहर जॉब कर रहा था। एक दिन की बात है, जब मैं घर में अपने भतीजे के साथ खेल रहा था, तो भाभी झाड़ू लगाते हुए आई और कहा-

भाभी: जाओ आशीष, जाकर पढ़ाई करो। चाचा थक गए होंगे, बहुत देर से मस्ती कर रहे हो।

मैंने कहा: नहीं भाभी रहने दो। थोड़ी देर बाद कर लेगा वो होम वर्क। अभी हम खेत पर जायेंगे घूमने।

भाभी ने कहा: ठीक है, पर टाइम पर घर लौट आना दोनों। आज घर के पड़ोस में शादी है। वह खाना खाने जाना है।

मैंने कहा: ठीक है, हम टाइम पे आ जायेंगे दोनों।

इतना कह कर भाभी मुड़ कर जाने लगी, तो मेरी नज़र भाभी कि गांड पर पड़ी। मैं तो देख कर ही खुश हो गया कि क्या चीज मिली थी भाई को, कि बस एक बच्चा करके ही रुक गया। में होता तो इसकी चोद-चोद कर रोज अपना पानी इसकी चूत में निकालता, और गांड मार कर अपनी रानी बनाता। इतना सोच कर मैं और आशीष खेत की और निकल गए।

खेत पर जाते हुए मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही बात चल रही थी, कि भाभी की क्या गांड थी। कितने अच्छे दूध थे मेरी भाभी के। काश मुझे मिली होती तो आज आशीष मेरा बेटा होता, और साथ में 2-3 लड़का-लड़की मैं पैदा कर लेता भाभी के साथ। रोजाना चोदता मधु को।

हम खेत पर पहुंच गए, और आशीष हमारे खेत की रखवाली करने वाले नौकर के साथ खेलने लगा। तभी मुझे कुछ सूझा। मैंने आशीष को अपने पास बुलाया, और उससे पूछा-

मैं: आशीष आपको खेलना बहुत पसंद है ना?

तो उसने कहा: हां चाचा, मुझे खेलना बहुत पसंद है। पर मम्मी खेलने ही नहीं देती। मेरे दोस्त के भाई और बहन भी है, वह तो उनके साथ खेल लेते है। मैं किसके साथ खेलूं?

मैंने आशीष से कहा: क्या आपको भी भाई या बहन चाहिए खेलने के लिए?

आशीष ने कहा: हां चाचा, मुझे भी चाहिए भाई या बहन। पर मम्मी लाती ही नहीं मेरे लिए भाई या बहन जिसके साथ मैं खेल सकूं।

मैंने कहा: ठीक है, फिर मैं आपकी मम्मी से कहूंगा कि आपको भाई या बहन लाकर दे, जिसके साथ आप खेलो और मस्ती करो।

और फिर हम साथ-साथ घर आ गए और अपने हाथ पैर धोने लगे। फिर शादी में जाने के लिए तेयार होने लगे। मेरी मां और बाबू जी उस समय घर पर नहीं थे। वो तीर्थ यात्रा पर गए थे हमारे गांव के कुछ लोगों के साथ। और भैया सुबह को अपने काम पर चले जाते हैं। मेरी एक बहन भी है, तो वो अपनी सहेली के साथ रहती थी ज्यादातर हमारे गाव में ही।

घर पर दिन में मैं, मेरी भाभी, और आशीष ही रहते थे। हम शादी में जाने के लिए तेयार होने लगे। मैं जल्दी तेयार हो गया। फिर मैं सीधे भाभी के रूम की तरफ जाने लगा आशीष को देखने, कि तैयार हुआ या नहीं। पर जो देखा, उसे देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए। मैंने भाभी को तेयार होते देखा, वो भी पेटीकोट पहनते हुए। मेरी सांस ही रुक गयी कि क्या माल थी मेरी भाभी। छी है भाई! इतना अच्छा माल है तुम्हारे पास, और तुम बस एक ही बच्चे पर रुक गए? ये मेरी होती तो अब तक इसके 2-3 बच्चे का बाप बन गया होता।

मैं थोड़ा वहीं खड़ा रहा, और भाभी को देखता रहा। क्या लग रही थी वो। पेटीकोट पहनते हुए नाभि दिख रही थी एक-दम गहरी सी। मन कर रह था जाकर पकड़ लूं और चूम लूं, और बोल दूं आज आशीष को बहन देंगे। पर कंट्रोल किया, और देख कर अपने रूम में आया। फिर सोच कर अपना लंड हिलाना चालू कर दिया।

मेरा लंड भाभी की यादों से इतना मोटा और लम्बा हो गया, मानो लोहे की रॉड हो, और बस भाभी आ जाये चुद जाये मुझसे। मेरा इतना जोर से पानी निकला की रूम की दीवार तक मेरे पानी से भीग गयी। मैं थोड़ा रिलैक्स फील करने लगा। पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था।

मैंने उससे कहा: अब क्या भाभी कि चूत में घुस के ही मानेगा?

इतना कड़क हो चूका था मेरा लंड। तभी भाभी की आवाज आयी कि शिवम तैयार हो गए क्या?

मैंने भी जवाब दिया: हां हो गया। आप तैयार हो गयी क्या?

भाभी ने कहा: हां बस हो ही रही हूं। पर थोड़ा सा यहां आना।

मैं भाभी के बुलाने पर गया। उनके कमरे में गया तो देखा कि उनके ब्लाउज का पीछे का हुक कुछ उलझ गया था। तो उन्होंने मुझसे कहा-

भाभी: देखो तो मेरे ब्लाउज का हुक कहा अटक गया?

मैं भाभी की और बढ़ा, और ब्लाउज का हुक खोलने लगा, तो मेरी उंगलियां उनकी पीठ को लगी, जिस पर ठंडे पानी की बूंद लगी थी। मेरा लंड खड़ा होने लगा। भाभी टेबल के सहारे खड़ी थी, उस पर हाथ रख कर। आप समझ जाये कि कैसे खड़ी थी, हाथ सीधे टेबल पे, और पीछे से ब्लाउज का हुक मेरे हाथ में। और मेरा लंड खड़ा होता जा रहा था, और सीधे भाभी की गांड में छू रहा था, और उनको फील भी हो रहा था। भाभी ने कुछ नहीं बोला, और मैंने उनका हुक लगा दिया।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। कहानी की फीडबैक ज़रूर दें।

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