भाभी सेक्स कहानी अब आगे-
भाभी ने कहा: तेरे हाथ क्यों कांप रहे थे? पहली बार हुक लगा रहा था क्या?
मैंने कहा: हां तो क्या मैं रोज हुक लगता हूं क्या? क्या यार भाभी, कैसी बात करती हो।
भाभी कहने लगी: मुझे तो लगा था तू हैदराबाद में जॉब करता था, तो तेरी कोई गर्लफ्रेंड होगी तो शायद।
और कह कर भाभी चुप हो गयी।
मैंने कहा: क्या यार भाभी, कुछ भी। मतलब थी, पर उस लेवल तक नहीं पहुंच पाया मैं कि कुछ इस तरह का हो।
फिर मैंने भाभी वो बात बोल दी आशीष वाली: आपने आशीष के साथ बहुत बुरा किया पर?
भाभी कहने लगी: क्या किया बुरा? ठीक तो है वो।
मैंने कहा: आपने एक बच्चा किया आपका, और आशीष अब अकेला रह गया ना। उसके दोस्त के भाई-बहन है, वो तो उनके साथ खेल लेते है। पर बेचारा आशीष किसके साथ खेले?
भाभी ने कहा: इसमें मेरी क्या गलती? तुम्हारे भाई ने कभी सोचा ही नहीं दूसरे बच्चे के बारे में, तो मैं क्या करती?
मैंने कहा: तो आप ही कुछ कर लेती भाई के साथ (थोड़ा हसते हुए)।
भाभी भी हसने लगी और कहने लगी: चल भाग यहां से, और रेडी हो, शादी में जाना है।
मैंने फिर पूछा: बताओ ना आप ही कुछ कर लेती भाई के साथ।
भाभी ने गुस्से में कहा: तेरा भाई ना… (और चुप हो गयी)।
मैं: क्या मेरा भाई?
फिर भाभी ने कहा: कुछ नहीं।
मैंने फिर कहा: बोलो ना क्या हुआ?
भाभी ने कहा: तेरे भाई अब मेरे में इंटरेस्ट नहीं ले रहे है। देख मुझे, क्या कमी है मुझमें? अच्छी दिखती हूं। सुन्दर हूं। मेरी कमर भी अच्छी है। मेरी नाभि देख तू।
और भाभी ने मुझसे नाभि के दर्शन कराये।
मैंने नाभि देखी और कहा: हां सब ठीक ही तो है। फिर क्या हुआ?
भाभी: छोड़ जाने दे, मुझे बात नहीं करनी। हमें शादी में जाना है, फालतू की बात नहीं करते है। जाने दे।
मैं: कसम से भाभी अगर मेरी आप जैसी बीवी होती ना, तो बच्चों की लाइन लगा देता। इतना प्यार देता कि संभाल ही नहीं पाती।
भाभी: चल भाग बदमाश! बड़ा आया बच्चों की लाइन लगाने वाला।
मैं: सच में, बहुत प्यार करता अपनी बीवी को अगर आप जैसी होती तो। देखो खुद को क्या आंखें है, क्या बाल है, क्या कमर है, क्या गाल है, क्या हॉट…।
और मैं रुक गया।
भाभी कहने लगी: और क्या?
मैंने कहा: नहीं कुछ नहीं।
भाभी ने फिर कहा: बता ना, क्या?
और मैंने कहा: इतने अच्छे बूब्स है कि चूसने का मन करे, और बम देखो तो मन करे कि पकड़ कर निचोड़ दूं।
भाभी शर्माने लगी और कहने लगी: अच्छा इतना सोच रखा है अपनी बीवी के बारे में? लगता है उसे छोड़ोगे ही नहीं तुम तो।
मैंने कहा: सच बताऊं? इतनी हॉट अगर बीवी मिले तो कोई क्यों छोड़ेगा? दिन रत उसे ही प्यार करेगा ना।
भाभी और ज्यादा शरमाने लगी, और कहने लगी: चलो चलते है। तुम्हारे भैया तो तुम्हारे भैया है। क्या ही कर सकते है!
मेरे मुंह से एक-दम से निकला: आपके लिए तो मैं हूं ना। खूब मारूंगा आपकी।
भाभी मुड़ी और देखने लगी: क्या कहा तूने शिवम अभी?
मैंने कहा: कुछ भी तो नहीं।
भाभी, मैं, और आशीष शादी में चले गए, खाना खाए, दोस्तों से मिले, और भैया भी वहीं आ गए थे। पर तभी उनका अर्जेंट कॉल आया कि, “सत्यम तुम अभी ऑफिस आओ, तुम्हें कुछ काम के लिए थोड़ा बाहर ऑफिस की ब्रांच जाना पड़ेगा।”
भैया जल्दी में खाना खाए और मुझे और भाभी को बुला के कहा कि: मैं अभी ऑफिस जा रहा हूं। मेरे बॉस का कॉल आया था। कह रहे थे कुछ काम से बाहर जाना पड़ेगा। मैं जाकर देखता हूं अगर बहार जाना पढ़ा तो मैं बता दूंगा। तुम लोग खाना खाके घर चले जाना।
भैया चले गए। भाभी थोड़ा सा उदास सा फील करने लगी। फिर हमने भी खाना खाया, और घर जाने के लिए निकल गए। पर आशीष हमारे साथ नहीं आया। उसने कहा कि वो आज मेरी बहन के पास रुकेगा, उसकी सहेली के घर पर।
तो भाभी ने कहा: देखना इसका ध्यान रखना। ये रात में बहुत बार उठता है। उठ कर घर से बहार ना चले जाये। मैं और शिवम घर जा रहे है। हमारा खाना हो गया है, और मुझे नींद आ रही है, तो हम घर जा रहे है।
हम घर के लिए निकल गए और पैदल ही निकल गए। क्यूंकि शादी गांव में ही थी, तो थोड़ा खाना भी हजम हो जाता। हम घर की ओर निकल पड़े दोनों भाभी और मैं।मैंने भाभी की ओर देखा। उन्होंने लाल रंग कि साड़ी पहनी थी, और हम चले जा रहे थे। मैंने देखा भाभी कुछ उदास लग रही थी।
मैंने पूछा: क्या हुआ भाभी, उदास क्यों हो? भैया चले गए इसीलिए क्या?
भाभी ने कहा: हां, देख ना उनके लिये कितने अच्छे से तेयार होकर आई, और कुछ कहा ही नहीं शादी में। बुरा नहीं लगेगा क्या?
मैंने कहा: अरे भाभी आप भी ना! आप ही चमक रही थी पूरी शादी में। दुल्हन को भी कोई नहीं देख रहा था। सब आप को देख रहे थे। आप बहुत सुन्दर लग रही थी, और मैंने देखा था भैया भी आपको देख रहे थे।
भाभी ने कहा: तू नहीं देख रहा था क्या?
मैंने कहा: हां मैंने भी देखा। बहुत सुन्दर लग रही थी आप।
भाभी: तेरे कहने से क्या होता है? तेरे भैया ने तो कुछ कहा ही नहीं।
मैं: अरे उनको टाइम नहीं मिला कहने का। नहीं तो कहते कि क्या तबाही लग रही हो जान।
भाभी हसने लगी जोरों से और कहा: अच्छा तुझे केसे पता तेरे भैया क्या कहते?
मैंने कहा: मुझे सब पता है क्या कहते।
भाभी: अच्छा तो बता और क्या कहते?
मैं: कहते कि जान आज क्या कमाल लग रही हो! मन तो कर रहा है कि यहीं तुम्हें प्यार करना चालू कर दूं, और इतना प्यार करू कि तुम बर्दाश्त नहीं कर पाओ।
भाभी शरमाने लगी और पूछने लगी: और क्या कहते?
मैं: कहते कि अगर आज मौका मिले तो आशीष को दूसरा भाई या बहन दे देते है।
इतने में भाभी बोल पड़ी: देखो जी मुझे लड़का नहीं लड़की चाहिए। अगर दो तो अभी चलो घर, और शुरु हो जाओ।
मैं: अच्छा तो आपकी इच्छा है लड़की करने की?
भाभी अपना मुंह छिपाने लगी मुझसे।
मैं: चलो तो ये आज पूरा कर देते है ख्वाब आपका।
भाभी: ये बोलते तेरे भैया, हैना?
मैं: अरे ये तो मेरे मन की बात है, क्या बोलू मैं अब? (बहाने बनाते हुए) हां बिलकुल ऐसा ही कहते भैया, भाभी आपसे।
आगे की कहानी अगले पार्ट में।