हैलो दोस्तों, कैसे हो आप सब? तो दोस्तों मैं आसिफ हाजिर हूं आपके सामने एक नई सेक्स कहानी के साथ। पिछली कहानी आपने पढ़ी और अच्छा रिस्पान्स दिया। यह संभोग कहानी मेरी और एक बस में मिली अनजान भाभी के साथ की है। तो दोस्तों बिना आपका समय खराब करते हुए स्टोरी शुरू करता हूं।
यह कहानी थोड़े महीनों पहले की है, जब मैं भोपाल से पुणे जा रहा था अपनी जॉब के सिलसिले में। मेरी बस स्लीपर थी और रात का सफर था। दिन के करीब 3 बजे मेरी बस भोपाल से रवाना हुई। मैं अकेला था। मेरी सीट पर अभी तक कोई नहीं आया था।
बस शाम के 6 बजे इंदौर आ गई थी। इंदौर में बस रुकती है, और एक जवान भाभी बस में चढ़ती है। उनकी उम्र करीब 35-36 साल की होगी, पर दिखने में 25 की लग रही थी। दिखने में बहुत सुंदर और सेक्सी थी। सब लोग उनको ही देख रहे थे। शायद वो अकेली ही थी। उनके साथ कोई नहीं था।
वो धीरे-धीरे पीछे आती है, और मेरी सीट के पास खड़ी हो जाती है। मैं भी अंदर से थोड़ा खुश हो जाता हूं, कि इतना लंबा सफर एक हसीन खूबसूरत महिला के साथ निकलेगा। वो पास आ कर बोलती है-
भाभी: जी यहां मेरी भी सीट है, मेरा बेग ऊपर लेंगे?
मैं: ठीक है।
मैं उनका बेग ले लेता हूं, और वो मेरे बगल में बैठ जाती है। वो अपना फोन निकालती है पर्स में से, और किसी को काल करती है।
भाभी: हैलो, में बस में बैठ गई हूं, और बस यह से निकल गई है।
हम दोनों थोड़ी देर कुछ बातें नहीं करते है, अपना-अपना फोन चलाते है। ठंड का टाइम होता है तो अंधेरा जल्दी हो जाता है।
भाभी: आपके पास फोन का चार्जर है क्या? मैं अपना घर पर भूल गई।
मैं: अच्छा ठीक है, मैं देता हूं।
मैं अपना चार्जर निकाल कर दे देता हूं। अब भाभी ऐसे ही बैठी होती है, तो मैं भी फोन नहीं चलाता, और उनसे बात करने की हिम्मत करता हूं।
मैं: वैसे कहां जा रहे हो आप?
भाभी: मैं तो पुणे जा रही हूं, अपनी मम्मी के घर, और आप?
मैं: मैं भी पुणे ही जा रहा हूं अपनी जॉब के लिए।
भाभी: अच्छी बात है।
मैं: आप पुणे की है? फिर तो आपने पुणे पूरा देखा होगा? सब जानती होंगी पुणे के बारे में।
भाभी: मैं पुणे की नहीं हूं। पुणे के पास ही मेरा गांव है। पर हां, देखा है पुणे। मेरी पढ़ाई वहीं हुई है।
मैं: ओह अच्छा, वैसे मेरा नाम आसिफ है।
भाभी: जी मैं काव्या मिश्रा।
मैं: ओह नाइस।
भाभी: वैसे क्या जॉब करते है आप?
मैं: एक कंपनी में इंजीनियर हूं, और आप क्या करते हो?
भाभी: हाउसवाइफ हूं, और सिलाई का भी काम करती हूं।
मैं: जी हां। वैसे आपकी उम्र जान सकता हूं?
भाभी थोड़ा हंसी और बोली-
भाभी: आपको पता नहीं क्या औरतों की उम्र नहीं पूछते है?
मैं (मैं भी हंसा): पर आप तो औरत नहीं लग रही, कोई कुंवारी लड़की लग रही हो।
भाभी: अरे नहीं-नहीं, मैं तो शादी-शुदा औरत ही हूं।
मैं: अरे अच्छा-अच्छा।
भाभी: वैसे 36 की हूं मैं। दिखने से तो आप भी यंग ही लग रहे हो।
मैं: अरे आप तो 36 की लगती ही नहीं हो। 24-25 की लग रही हो।
भाभी: झूठ मत बोलिए, मैं तो 36 की ही हूं, और आप?
मैं: मैं तो दिखने में भी जवान हूं, और हूं भी जवान 24 साल का।
मैं: अच्छा वैसे यह लाइन कितनों औरतों को मार चुके हो?
मैं: अरे यह लाइन बस आप पर हर मारी है। इतनी सुंदर महिला आज ही मिली है।
भाभी: अरे अब ज्यादा मस्का मत लगाओ। मैं शादी-शुदा हूं।
मैं: मस्का नहीं लगा रहा, बस सच बोल रहा हूं।
भाभी: ठीक है, शुक्रिया तारीफ करने के लिए।
दोनों ऐसे ही बात करते है, और रात हो जाती है। बस एक होटल पर रुकती है। वहां दोनों साथ में खाना खाते है। अब हमारी थोड़ी दोस्ती हो गई थी।
भाभी: मैं अपने पति को काल करके आती हूं, रुकना।
मैं: हर चीज की जानकारी उनको देती हो क्या?
भाभी: अरे हां देनी पड़ती है। उनको फिक्र होती है। मैं आती हूं काल करके।
मैं: तो काव्या जी यहीं काल कर लो। मुझसे क्या शर्माना?
भाभी: शर्माने वाली बात नहीं है, ठीक है यही कर लेती हूं।
मैं: जी ठीक है।
भाभी काल करती है।
भाभी: हैलो जी, हम होटल पर रुके है खाना खाने, अपने खा लिया खाना?
दोनों थोड़ी बात करते है। फिर फोन रख देते है। हम साथ में खाना खाते है, और फिर बस में चले जाते है।
भाभी: तुम्हारी शादी हो गई या कुवारे हो अभी तक?
मैं: अभी इतनी जल्दी नहीं। अभी तो छोटा हूं।
भाभी: जॉब करते हो, खुद कमाते हो, और 24 साल के हो कर बोल रहे हो छोटा हूं अभी।
मैं: हां तो शादी के लिए छोटा हूं ना।
भाभी: अच्छा गर्लफ्रेंड तो पक्का होगी? दिखने में भी अच्छे हो तुम।
मैं: हां थी। ब्रेकअप हो गया। तो फिलहाल सिंगल ही हूं, कोई आप जैसी की तलाश में।
भाभी: मेरी जैसी की तलाश! इतना पसंद आ गई क्या मैं? (हस कर बोली)
मैं: पसंद तो नहीं आए, पर आप हो बहुत अच्छे दिखने में, भी और नेचर में भी।
भाभी: अच्छा अब इतनी भी अच्छी नहीं हूं मैं। वैसे भी तुमने जाना ही कहा है मुझे।
मैं: मैं तो जानने के तैयार हूं।
भाभी: अच्छा आसिफ अभी तुम मुझसे थोड़े छोटे हो मुझे जानने के लिए।
हम दोनों ऐसे ही बात करते रहे। रात गहरी होने लगती है, और ठंड भी तेज हो रही थी। भाभी अपना कंबल ओढ़ कर सो जाती है, मैं अपना फोन चलाता हूं। जैसे-जैसे रात बढ़ती है, ठंड भी तेज होती जाती है। मैं ऐसे ही बैठ कर फोन चलाता हूं। अब ठंड मेरे शरीर को चिपक रही थी, और मैं ठिठुरने लगता हूं।
भाभी: आसिफ क्या हुआ? इतना ठिठुर क्यूं रहे हो? कुछ ओढ़ने के लिए नहीं है क्या?
मैं: जी हां, कुछ नहीं है।
भाभी: तुम ऐसे ही ठिठुरते रहोगे तो बीमार हो जाओगे।
मैं: कुछ नहीं होगा मुझे तो।
भाभी: तुमको दिक्कत नहीं हो तो मेरे कंबल में आ जाओ।
मैं: आपको परेशानी होगी, आपको ठंड लगेगी।
भाभी: अरे नहीं, यह कंबल दो लोगों का ओढ़ने का है। तो सो जाएंगे दोनों।
मैं: नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूं।
भाभी: अरे आ जाओ चुप-चाप, देखो कैसे ठिठुर रहे हो तुम। ठंड में फालतू बीमार हो जाओगे।
मैं: आपको कोई समस्या नहीं है तो मैं आ जाता हूं।
भाभी: हां आ जाओ।
मैं भाभी के कंबल में आ जाता हूं, अंदर से उनका कंबल बहुत गरम था। मुझे भी अब थोड़ा अच्छा महसूस होता है। भाभी सो जाती है, पर मुझे नींद नहीं आती है। नींद में भाभी मुझसे चिपक जाती है, तो मुझे और ज्यादा गरम महसूस होने लगता है। भाभी की गांड मेरी तरफ थी, और उनको नींद लग जाती है
मैं थोड़ी हिम्मत करके अपना हाथ उनकी गांड पर रखता हूं। उनकी गांड बहुत ज्यादा मस्त और मखमली थी। धीरे-धीरे उनकी गांड दबाने लगा बड़े प्यार से। उनकी गर्मी से मेरा लंड खड़ा होने लग रहा था, तो मैं उनसे पूरा चिपक गया, और अपना लंड उनकी गांड से चिपका दिया। मैंने अपना खड़ा लंड उनकी गांड से चिपकाया। वो थोड़ा हिली-डुली।
फिर मैंने अपना हाथ हटा लिया, पर उनकी गांड से चिपका रहा। अब उनको गांड पर लंड महसूस होने लगा था। पर उन्होंने कुछ बोला नहीं।
इसके आगे इस भाभी सेक्स कहानी में क्या हुआ, ये आपको इसके अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक कि कहानी पर अपनी फीडबैक देने के लिए मुझे [email protected] पर मेल करें।
अगला भाग पढ़े:- अनजान भाभी के साथ बस से होटल तक का सफर-2