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सविता दीदी की जवानी के दीवाने-6 (Savita didi ki jawani ke deewane-6)

पिछला भाग पढ़े:- सविता दीदी की जवानी के दीवाने-5

आपने पिछली कहानी में पढ़ लिया होगा कि कैसे एक पड़ोस के लड़के ने मुझे और सविता दीदी को चुदाई करते हुए खेत के पास के ट्यूबवेल पर पकड़ा, और फिर उसने भी दीदी को खूब बजाया। अब मैं बिना देर किए हुए आगे की कहानी पर आता हूं।

वो सब चुदाई का वक्त बीते हुए 2 साल हो चुके थे, और मैं मौसी के घर इस दौरान गया नहीं, तो मेरी और सविता दीदी की मुलाकात हुई नहीं थी। मुझे ये अंदाजा भी नहीं था कि दीदी का फिगर जबरदस्त हो चुका होगा। और मुझे ये भी नहीं पता था कि फिर से मैं दीदी की चुदाई कर भी पाऊंगा या नहीं। देर हो सकती है, पर जब किस्मत में लिखी है चुदाई तो कैसे भी करके मौका मिल ही जाता है। अब सीधे कहानी पर आता हूं।

दरअसल जब मैं ग्रेजुएशन दिल्ली युनिवर्सिटी से कर रहा था, तो एक दिन फोन की घंटी बजती है और मेरी सविता दीदी ने फोन पर मुझसे बात की। हाल-चाल हुआ, पर दीदी ने मुझे नहीं बताया कि मैं दिल्ली आ रही हूं। पर एक दो दिनों में एग्जाम के सिलसिले में दीदी पटना से दिल्ली आने वाली थी।

फिर मौसी ने मुझे फोन करके बोला कि तेरी दीदी आ रही दिल्ली, तो स्टेशन पर चले जाना। मौसी के बातें सुन कर मैं तो खुशी से उछल पड़ा था, क्योंकि मैं दीदी की जवानी का दीवाना हो चुका था, जब से मैंने पहली बार दीदी की चुदाई की थी। मैंने सोच लिया था कि यहां पर जब दीदी आएंगी तो मैं धमाल मचा दूंगा, और दीदी के हर छेद में अपना लंड घुसा कर दीदी के छेद को खोद दूंगा। रात में फिर यही सब सोचते-सोचते सो गया।

फिर दूसरे दिन जब सुबह हुई और मैं उठा तो मैंने अपने दोस्तों से बोला: मैं स्टेशन जा रहा हूं दीदी आ रही हैं।

तो मेरा दोस्त बोला: भाई मैं भी चलता हूं दीदी को लेने।

मैंने सोचा कि मेरे लिए ही सही रहेगा सामान ज्यादा नहीं ढोना पड़ेगा। तो मैं अपने दो दोस्तों के साथ दीदी को लेने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचा।

ट्रेन आने में कुछ देर बाकी थी, तो मैंने सोचा क्यूं ना तब तक इधर-उधर आंखें सेंक ली जाए। तभी रोहन और विजय दोनों चाय सुट्टा मारने के लिए स्टेशन के पास ही एक दुकान पर चले गए।

मैं भी लड़कियां ताड़ने लगा, क्यूंकि दीदी के आने के बाद तो वैसे भी कुछ दिन सूखा पड़ा रहेगा। फिर करीब 45 मिनट बाद सम्पर्क क्रान्ति के आने का संकेत हो गया, तो मैं प्लेटफार्म पर आकर दीदी के निकलने का इन्तजार करने लगा। कुछ ही देर में ब्लैक कुर्ती और ब्लू जींस पहने सविता दीदी 3rd एसी कोच से बाहर निकली, एक हाथ में एक ट्राली बैग लिए, और दूसरे हाथ में फोन से काल करते हुए। तभी मुझे वो सामने देखती हैं और फोन कट कर देती हैं।

मैं उनके पास दौड़ कर आया और उन्हें गुड मार्निंग दीदी बोला, और फिर हम दोनों क्या बात किए सुनिए-

मैं: सफर कैसा रहा दीदी?

सविता दीदी: अच्छा रहा‌।

तभी एक लड़का उनके पीछे ही जो ट्रेन से उतरा था, आकर बोला-

लड़का: आपने अपना नाम नहीं बताया?

दीदी: क्यूं, क्या करोगे नाम जान कर?

लड़का: कुछ नहीं, आप मुझे अच्छी लगी, आपसे दोस्ती करनी थी मुझे।

दीदी: नहीं मुझे किसी से दोस्ती नहीं करनी।

लड़का: गुस्सा क्यूं कर रही हो? ट्रेन में तो हंस-हंस कर बातें कर रही थी, और बातें भी अच्छे से कर रही थी।

मैं खड़े होकर उन दोनों की बातें सुन रहा था। तभी दीदी उस लड़के को बोली-

दीदी उस लड़के को: जा भाई तू अपना काम कर।

लड़का थोड़ी ऊंची आवाज में: हां तो कर ही रहा हूं, तू चुप कर साली।

इतना सब देख मैं बीच में आया और बोला: हां जी क्या हुआ?

और मेरे इतना बोलते ही अगल-बगल लोग इकट्ठा होने लगे।

लड़का: कुछ नहीं, तू कौन है?

मैं: भाई हूं इसका, और क्या तू बड़ी देर से बकबक बकबक किए जा रहा?

तभी मेरे दोनों दोस्त लोग रोहन और विजय भी आ गए जो साथ में स्टेशन आने के बाद सुट्टा मारने गए थे। जब वो लड़का हम तीन दोस्तों को देखा तो वो तुरन्त बिना बहस किए वहां से निकलना सही समझा, और वहां से कुछ ही देर में वो आंखों से ओझल हो गया।

फिर दीदी और मैं अपने 1 BHK फ्लैट में आ गए,‌ और रोहन और विजय अपने फ्लैट में चले गए जो कि मेरे फ्लैट से सटा हुआ ही था। अगर बात करूं तो मेरे फ्लैट की आवाज उसके फ्लैट तक चली जाती थी अगर आवाज़ थोड़ी तेज़ हो।

मैंने देखा कि दीदी अभी भी चुप ही थी, कुछ बोल नहीं रही थी। तो मैंने चुप्पी तोड़ते हुए दीदी से पूंछा-

मैं: वो ऐसा क्यू बोल रहा था? ट्रेन में कोई दिक्कत हुई थी क्या?

तो दीदी बोली: कुछ नहीं भाई, वो सामने वाली सीट पर बैठा था, और वो मुझे ही देखे जा रहा था। फिर उसने मुझसे बात करनी चाही तो मैंने भी हां बोल दी। फिर इधर-उधर की बातें करते-करते दोनों लोग एक-दूसरे से थोड़ा बहुत घुल-मिल गए, और फिर मैं थोड़ी बहुत मुस्कुरा देती थी। उसकी बातों को सुन कर तो उसे पता नहीं क्या महसूस होने लगा, बस इतनी ही बात थी।

फिर मैंने दीदी को बोला: आप टेंशन ना लो किसी बात की। आप फ्रेश होकर नहा लीजिए, तब तक मैं खाने कि इंतजाम करता हूं।

मेरे इतना कहते ही दीदी फ्रेश होने चली गई, और फिर कुछ देर बाद फिर बाहर निकली, और मुझसे बोली-

दीदी: शैम्पू चाहिए, बाल धोने है।

तो मैंने बताया: वहीं बगल में रखा है।

और फिर वो कपड़े लेकर नहाने चली गई। जैसे ही दीदी बाथरूम में नहाने को गई, तभी रोहन और विजय आ गए। वो बैठ के दोनों मुझसे बातें करने लगे। तभी बाथरूम का दरवाजा खुला तो दोनों की नज़र बाथरूम के दरवाजे पर गयी। तभी दीदी बाथरूम से तौलिया लपेटे हुए बाहर निकली।

क्योंकि दीदी को ये अंदाजा नहीं था कि मेरे अलावा मेरे फ्रेंड भी थे हाल में, ये नजारा देख हम तीनों की नज़र दीदी के जिस्म पर टिक गयी। क्योंकि जो तौलिया दीदी ने पहन रखा था, वो दीदी की चूचियों को छुपा रहा था, और दीदी के घुटनों से थोड़ा ऊपर तक था। जिस वजह से दीदी की गोरी-गोरी मांसल जांघे साफ नज़र आ रही थी।

दीदी की जांघों के देख कर अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो कितनी मस्त गदराई हुई माल हैं, और उनके गोरे बदन को देख ऐसा ही लग रहा था, कि दीदी की चूत गुलाबी जरूर होगी। खैर ये तो मेरे मन में चल रहा था। पर रोहन और विजय के मन में क्या चल रहा था, मुझे इसका अंदाजा तो नहीं था। पर उनकी नज़र दीदी के ऊपर से तब तक नहीं हटी, जब तक दीदी रूम में चली नहीं गई। जब रूम का दरवाजा बन्द हो गया, तब रोहन और विजय एक-दूसरे को देखते हुए आंखो ही आंखों में कुछ बात कर रहे थे।

फिर कुछ देर बाद मुस्कुरा कर बोले: राजू भाई, आज चलो कहीं घूम आते हैं।

मैं चुप था पर तभी फिर दोनों एक साथ बोले: चलो भाई जल्दी से तैयार हो जाओ, चलो कहीं लंच पर चलते हैं।

तो मैंने बोला: नहीं यार, यहीं पर बना ले रहा हूं।

पर वो दोनों एक साथ बोले: अरे यार राजू, आज दीदी पहली बार आई हैं, तो कहीं  चलते हैं ना, वैसे घूम भी लेंगे।

पर मुझे क्या पता था कि इन दोनों के मन में क्या चल रहा था।

तभी दीदी रूम में से सफेद कुर्ती और ब्लैक लैगी पहन कर निकली, जिसमें वो कतई जहर दिख रही थी। उन्हें देख कर तो मेरा मन कर रहा था कि उन्हे पटक कर चोद दूं, पर रोहन और विजय के साथ होने की वजह से ऐसा नहीं कर सकता था। क्योंकि उन्हें पता चल जाता कि मैं अपनी मौसेरी दीदी को चोदता था।

फिर मैंने देखा रोहन और विजय एक टक दीदी को देखे जा रहे थे। मैंने देखा दीदी के बाल भीगे होने की वजह से कुर्ती का ऊपरी हिस्सा भीग चुका था। जिससे दीदी ने जो अन्दर ब्लैक ब्रा पहन रखी थी, वो साफ नज़र आ रही थी। और शायद ये चीज रोहन और विजय ने भी नोटिस कर ली थी। फिर कुछ देर हम बैठे रहे और फिर मैंने चाय बनायी तो हम चारों ने पी।

तभी रोहन दीदी से बोलता है: तैयार हो जाइए दीदी, कहीं लंच पर चलते हैं।

दीदी मेरा चेहरा देखने लगी तो मैंने भी हां बोल दिया। तो दीदी पीछे मुड़ कर तैयार होने के लिए रूम की तरफ जाने लगी। मैंने नोटिस किया रोहन और विजय दोनों दीदी के पिछवाड़े को देख रहे थे। आखिर देखते भी क्यूं ना, क्योंकि उनकी गांड तो मैंने और पड़ोस के लड़के ने जम कर चोद ही दी थी दो साल पहले। तो कहीं ना कहीं से उनकी गांड पर असर तो आया ही था। जिस वजह से उनकी गांड कद्दू हो चुकी थी।

वो दोनों दीदी को घूरे ही जा रहे थे, तभी दीदी रूम में जाकर रूम लाॅक कर लेती हैं, और फिर 10 मिनट बाद जींस और टाॅप पहन कर बाहर निकलती हैं। भाई साहब क्या माल लग रही थी। तभी दीदी को देख रोहन और विजय की आंखे बड़ी हो गयी और मुंह खुला का खुला रह गया। क्योंकि उनकी जवानी साफ झलक रही थी और उनका हर अंग थिरक रहा था।

फिर मैंने बोला: चलो चलते हैं।

फिर हम चारों रोहन की कार से जामा मस्जिद की तरफ निकल गए, और वहां की प्रसिद्ध चिकन बिरयानी की दुकान जहां पर हजारों लोग आते हैं, पर जाकर हम चारों ने चिकन खाया। फिर इधर-उधर घूमे, और फिर शाम के वक्त जामा मस्जिद फिर आए और वहां घूमे। फिर इधर-उधर मैंने और दीदी ने साथ फोटो क्लिक किए।

रोहन और विजय भी दीदी के साथ में फोटो खिंचाना चाहते थे पर वो मेरे सामने बोल नहीं पा रहे थे। फिर मैंने बोला कि आओ एक ग्रुप फोटो हो जाए। मेरे बगल विजय और दीदी के बगल रोहन खड़ा हुआ। फोटो खींचते समय रोहन का चेहरा आधा ही आ रहा था, तो उसे थोड़ा पास आने को मैंने बोला। तो जैसे ही वो दीदी से सट कर खड़ा हुआ, तो मैंने कैमरे में ही देख लिया कि दीदी को कुछ अटपटा सा लगा, पर दीदी ने उस वक्त कुछ नहीं बोला।

फिर हम घूम कर फ्लैट पर जब आने लगे तो रोहन एक शीशे में से दीदी को घूर रहा था और विजय दूसरे शीशे में से, और ये बात दीदी ने नोटिस की थी। और मैंने तो पहले ही दीदी को चोदने को सोच लिया था। मतलब एक फूल तीन माली, जानने के लिए बने रहें कि आखिर कौन सा माली मेरी फूल सी दीदी को पहले तोड़ेगा? और कौन उन्हें पटा कर पहले चोदेगा, या फिर चोद पाएगा भी या नहीं। जानने के लिए बने रहें अपने भाई राजू के साथ। कमेंट करके, अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।

धन्यवाद!

अगला भाग पढ़े:- सविता दीदी की जवानी के दीवाने-7

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