मेरा आप सभी प्रिय चूत-धारी और लंड-धारी पाठको को नमस्कार। आशा है कि आप मेरी पिछली कहानी पढ़ कर आनंद ले चुके हैं। अगर आपने नहीं पढ़ा तो जरूर पढ़िएगा। आप मुट्ठ मारे बिना रह नहीं पाएंगे।
सपना दिखने में गोरी-चिट्टी 5 फीट 7 इंच की भारी भरकम शरीर वाली लड़की है। जिसके फिगर की बात करूं तो 32-30-32 का होगा। पपीते के आकार की एक-दम टाईट चूचियां, पतली कमर, कद्दू जैसी गांड, और गठीला छरहरा बदन और गदराई जवानी जिसे देख अच्छे-अच्छे मुट्ठ मार देते थे।
गांव में तो बड़े बुजुर्ग भी सपना की चुदाई को लेकर बात करते थे, कि किस्मत वाला होगा वो जिससे ये साली चुदेगी। कोई-कोई अंकल बोलते थे कि अगर ये मुझे मिल जाए तो मैं आफिस की छुट्टी लेलूं और इसे जी भर कर चोदूं, और अपनी रानी बना कर रखूंगा। बहुत लोग बहुत कुछ कहते थे।
मैं बिना देर किए हुए अपनी कहानी पर आता हूं कि कैसे जयपुर से आने के बाद मैंने और सपना ने खेत में चुदाई की। मैं रमेश और सपना उस दिन जयपुर से घर के लिए निकले जब सपना एक-दम ठीक हो गयी। क्योंकि उस दिन तक सपना की हालत एक-दम सही थी, क्योंकि हमने उस दिन के बाद सेक्स नहीं किया था, और जिस तरह सेक्स के बाद पहले दिन वो लंगड़ा कर चल रही थी, वो सब ठीक हो चुका था।
हम तीनों ट्रेन पर बैठ गए, पर जहां पर हम तीनों बैठे थे उसके आस-पास कालेज के लड़के बैठे थे, और वो सब सपना को ऊपर से नीचे देख कर बाथरूम की तरफ गए। बाथरूम के बगल के केबिन में उनके तीन चार दोस्त और थे वो उनके पास जा कर बैठ गए। मुझे जोर का टॉयलेट लगा था, तो मैं भी बाथरूम चला गया।
मैं जब बाथरूम से बाहर आया, तो मैंने सुना वो आपस में बात करने लगे कि, “हमारे सामने एक खूबसूरत लड़की आकर बैठी है, और यार माल तो अच्छी है। बोलो तो बात करूं”? पर उनमें से एक ने बोला, “नहीं भाई रहने दे, फैमिली के साथ है”।
तभी उनमें से एक बोला, “भाई इसका फिगर देख कर नहीं लगता है। मुझे तो उसके चलने की स्टाईल से लगता है कि अभी हफ्ते पहले उसकी जबरदस्त चुदाई हुई है। और इन्हें देखकर लगता नहीं कि फैमिली के हैं। मुझे तो लगता है कि उन दोनो में से कोई ना कोई इसका बॉयफ्रेंड है। और दूसरा उसका दोस्त होगा”।
मुझे ये सब सुन कर गुस्सा आ रहा था। पर मैं ये सोच रहा था कि इनको कैसे पता चला कि हफ्ते पहले सपना की चुदाई हुई थी। मैं डरने लगा कहीं रात में ये सब दिक्कत ना करें तो मैंने टीटी से जाकर बात किया और 3rd AC में जाने को सोचा। तो टीटी बोला कि, “3rd AC में सीट नहीं है। 2nd AC में एक सीट है। उस पर जा सकते हो पेनल्टी देकर”। तो मैंने बताया हम तीन लोग थे। तो वो बोला, “तीनों का पेनाल्टी लगेगा”।
तो मैंने बहुत सोचा और मेरे मन में आया कि अगर यहीं रहेंगे तो वो सब सपना के साथ गलत कर सकते हैं। क्योंकि हम तीन थे और वो पांच थे। और बात रही अन्य यात्रियों की तो कोई साथ नहीं देता ये पता था मुझे। तो मैंने रमेश से पूरी बात बताई और रमेश हंसने लगा और बोला, “क्या भईया, आप क्यूं डर रहे है, मैं हूं ना”। मैंने बहुत समझाया पर वो हर बार बोल रहा था, “भैया मैं हूं ना, कोई दिक्कत नहीं”।
तो मैंने उसे समझाते हुए बोला, “अगर गलत हो गया कुछ, तो तुम भी सपना की चुदाई नहीं कर पाओगे, जो तुम्हे बाद में मौका मिलने वाला है”। इतना सुनते ही वो मेरी बात मान गया और बोला, “भैया आप जाइए सपना को लेकर, और अगर मेरे पास वो सब आए तो मैं बोल दूंगा कि वो दोनों उतर गए, और वो हमारे साथ थोड़ी ना थे”।
फिर अगला स्टेशन आने से पहले वो लोग आ गए। पर तब तक मैं और सपना स्लीपर कोच से होते हुए 2nd AC कोच तक आ गए थे। फिर स्टेशन आते ही हम दोनों उतर कर 2nd AC कोच में चले गए। बाद में मुझे रमेश ने फोन करके बताया, “वो सब आप दोनों को बहुत देर तक ढूंढ रहे थे, और मैंने बोल दिया वो उतर गए तो वो सब बौखला गए थे”।
जैसे-तैसे हम सब बच गए और 12 घंटे की यात्रा के बाद हम तीनों का स्टेशन आ गया और हम तीनों उतर गए। फिर रास्ते में रमेश मौका पा कर सपना को ट्रेन वाली बात बता दी। और वो बोला कि, “मैंने भैया से बोला कि बोगी चेंज कर लो”। तब उसे समझ आया कि आखिर हम बोगी क्यूं चेंज किए। फिर वो रमेश को थैंक्यू बोली तो उसने कुछ नहीं बोला। तो सपना बोली, “क्या हुआ”? तो रमेश बोला कि, “मुझे कुछ नहीं मिला। मैं तुम्हें बहुत पसन्द करता हूं”।
तो वो बोली कि, “अरे तुम भाई हो, फिर भी बहन को चोदना चाहते हो”? तो रमेश बोला कि, “क्या भैया तुम्हारे बड़े भाई नहीं हैं? मैं तो फिर भी चचेरा भाई हूं”। तो सपना ने बोला, “मुझे तुमसे ही चुदने का मन था, पर भैया बीच में आ गए। तो मैंने सोचा अगर इनसे नहीं चुदुंगी तो ये घर पर बता देंगे। और वैसे भी हम दोनों तो अब घर साथ रहेंगे, तो मौका मिलते ही हो जाएगा सब कुछ। पहले भैया चले जाएं तब”।
तो रमेश खुश हुआ और बोला, “ठीक है मेरी जान”, और सपना के कमर पर चुटकी काट लिया। पर सपना ने रमेश को टोपी पहना दी। सच बात तो ये थी कि उसने मुझे अपना दिल दे दिया था। क्योंकि वो पहली चुदाई भूली नहीं थी। और एक बात ये भी है अगर कोई लड़की जब पहली बार किसी लड़के से चुदती है, और उसे सुख की अनुभूति मिल जाती है, तो वो किसी और के तरफ नहीं देखती। बस उसी के साथ बिस्तर पर सोना चाहती है।
फिर हम घर पहुंचे, और फिर तीनों फ्रेश हुए और फिर खाना खाने बैठे। तभी मां ने बोला कि, “सपना तू कुछ बदल सी गयी है”। तो मैं रमेश और सपना एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे कि कहीं पता तो नहीं चल गया मां को, और मुझे और सपना को तो रमेश का डर था। पर रमेश ने बोला, “ऐसा क्यूं बड़ी मम्मी”?
तो मां ने बोला, “नहीं जो अब तक अपने बड़े भैया से डर-डर कर रहती थी, आज वो भैया के बगल में बैठ कर खाना खा रही है”। तो रमेश ने बोला कि, “अरे भईया ने सपना का बहुत ख्याल रखा था जयपुर में। इसलिए उसका डर खत्म हो गया”। मां ने पूंछा, “क्यूं सपना, अब भैया से डर नहीं लगता सच में एक हफ्ते में ही”? तो सपना ने बात बदलते हुए बोला, “नहीं मां, वो भैया चेहरे से मुझे हर दम गुस्से में ही लगते थे। पर जब वहां गयी तो पता चला भैया कितने अच्छे हैं”।
तो मां ने बोला, “आखिर बेटा किसका है”! तो सपना बोली कि, “आपका”। फिर मैंने बोला कि, “मां सपना भी बहुत नट-खट है”। तो मां बोली, “क्यूं क्या हुआ”? तो मैंने बोला कि, “इसने मुझे वहां पर तंग कर दिया था”। तो मां बोली, “क्यूं सपना, भैया को तंग करने गयी थी”? तो सपना बोली, “नहीं मां भैया भी तो मुझसे लड़ते थे”। रमेश मन ही मन सोच कर बोला कि, “हां इन दोनो का बचपना वहीं पर देखने को मिला। बहुत नटखट है सपना भी और भैया भी”। तभी मैंने बोला, “तुम भी कुछ नहीं हो, और शुरूआत तो तुम्हीं किए थे”।
इतना सुनते ही सब चुप हो गए, और खाना खा लिए। फिर शाम को मैं और सपना पास का खेत घूमने गए, और रास्ते में मैंने सुनसान देख कर सपना की गांड पर एक थप्पड़ मार कर चुटकी काट कर बोला कि, “क्या बोलती हो सपना, हो जाए एक राउंड”?
तो सपना बोली, “क्या भैया, आप भी वहां इतने दिन थी, तब तो एक ही बार किए, और अब यहां जब डर है तो करने को बोल रहे हो। आज ठीक नहीं है करना। पहले जगह अच्छी ढूंंढो जहां कोई आता-जाता ना हो। यहां तो लोग आते-जाते रहते है। अगर पकड़े गए तो बदनामी बहुत होगी, ऊपर से मार भी बहुत खाएंगे दोनों”।
फिर मैंने बोला, “क्यूं ना हम सिवान वाले खेत पर चुदाई का प्लान बनाएं? वहां अपना ट्यूबवेल भी है, और रूम भी, और घर से 10 किलोमीटर दूर भी है, और कोई आता जाता भी नहीं है”।
तो सपना बोली, “आइडिया तो अच्छा है, पर वहां पर किस बहाने से जाएंगे”? तो मैंने कुछ देर सोचा फिर बोला, “पहले मैं वहां का पोजीशन अभी देख आऊं, फिर शाम को बताता हूं”। तो वो बोली, “ठीक है, फिर चलिए घर चलते हैं”। तो मैंने बोला, “एक किस दो ना, कोई आ नहीं रहा अभी”। तो सपना बोली, “नहीं”। पर मैं जिद करके उसे बगल के खेत में लेकर गया जिसमें गन्ना था, और वहीं पर सपना को पकड़ कर मैंने तुरन्त किस कर लिया।
पर धीरे-धीरे मेरी चाहत बढ़ती गयी और मैं सपना के बूब्स को पकड़ कर मसलने लगा। फिर मैंने सोचा कि सपना को आज ही चोद दूं, बिना प्लान के चोदने में अलग ही मजा है। मैंने सपना को बोला, “चलो थोड़ा अन्दर चलते हैं, शायद कोई आ रहा है, और ऐसे अभी तुरन्त बाहर निकलेंगे तो उसको शक होगा”।
मेरी बात मान कर सपना मेरे साथ गन्ने के खेत में और अन्दर चली गयी। हम दोनों लगभग खेत के बीच में घुस चुके थे, और वो खेत करीब 2 एकड़ में था, तो आवाज बाहर आने का चांस ही नहीं था। तो मैंने सपना को फिर चूमना शुरू किया। मेरा मकसद सपना को चोदना था, इसलिए उसे मजबूर कर रहा था कि वो चुदने के लिए खुद बोले।
फिर मैंने किस करते हुए ही धीरे से सपना के कान में बोला, “क्या कहती हो जानू, हो जाए एक राउंड”? तो सपना बोली, “कल कर लेंगे ना”। पर उसकी आवाज में थोड़ी सी उत्तेजना मुझे लग गयी। मैंने सोचा काम बन गया था, थोड़ा और प्रयास करना था उसे मदहोश करने के लिए बस। बाकी तो पता ही था कि किस तरह से वो चुदवाती थी।
मैंने बोला, “कल भी कर लेंगे, पर आज कर लो अब। ऐसा मौका नहीं मिलेगा, जब हम दोनों खेत के बीचो-बीच में हों। तब तक सपना की आवाज बदल चुकी थी, और वो बोली, “तो जल्दी से चोद दो ना मेरे राजा, अब कितना तड़पाओगे”? मैं समझ गया था कि अब ये चुद कर ही मानेगी।
मैंने भी उसी सुर में बोला, “अरे मेरी रानी, तुम निकालो तो अपनी मच्छरदानी, मैं खोल दूंगा तुम्हारा दरवाजा। फिर चुदना तुम मुझसे चाहे थोड़ा चाहे ज्यादा”।
इतना ही मैंने कहा तो सपना बोली कि, “ऐसे ही जीन्स नीचे करके चोद दो ना”। तो मैंने बोला, “मजा नहीं आएगा, जब तक मेरा लंड तुम्हारे महकते अंगों की खुश्बू में खो नहीं जाता। तो बिना देर किए हुए निकालो जल्दी से”। सपना बोली, “ठीक है, आप ही निकाल दो”। मैंने तुरन्त सपना का जीन्स निकाल दिया, और जैसे ही सपना की कुर्ती निकालने लगा। तो सपना बोली, “ये रहने दो”।
तो मैंने बोला, “जब कर रही हो तो अच्छे से करो ना। अभी तुम्हारी चूचियों को भी तो चूसना है। अभी उन्हे जवान करना है”। और फिर सपना कुछ नहीं बोली, और वैसे ही रही। तो मैंने तुरन्त पीछे से उसकी कुर्ती निकाली और कुर्ती निकालते ही मैंने देखा उसने दो-दो ब्रा पहन रखी थी। उसकी चूचियां जो पपीते के आकार की थी, पहले से थोड़ा साईज में बदलाव लग रहा था, तो मुझे समझ आ गया ये सब उस चुदाई का और रोज रोमांस करने का नतीजा था। पर मुझे क्या, मुझे तो अच्छा लग रहा था। तो सपना बोली, “आज ज्यादा ना मसलना, नहीं तो चूचियां जल्दी बड़ी हो जाएंगी, तो शक होगा सबको”।
मैंने देखा उस दिन वो ब्लैक कलर की जो स्पोर्ट ब्रा मैंने जयपुर में दिलायी थी, वो वहीं ब्रा पहनी थी, और उसके ऊपर पिंक कलर की ब्रा भी पहनी थी। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, और फिर ब्लैक ब्रा का जब हुक मैंने खोला, तो उसकी चूचियां तुरन्त हवा में झूलने लगी, जैसे किसी पिंजरे से कोई पंछी आजाद हुआ हो।
मैंने हर दिन रात में ही रोमांस किया था तो उतने अच्छे से चूचियां मैंने देखी नहीं थी। पर आज जब मैंने उसकी चूचियों को ध्यान से देखा, तो हल्के भूरे टाईट निप्पल के चारो तरफ बहुत छोटे-छोटे दाने टाईप का दिख रहा था, जो सबको होता है। मैं ये नजारा देख कर पागल हो गया और खुद को रोक नहीं पाया। फिर तुरन्त लपक कर सपना की दाहिनी चूची को अपने मुंह में भर लिया और बायी चूची को एक हाथ से पकड़ कर मसलने लगा।
सपना बार-बार बोल रही थी कि, “भैया चूची मसलो मत”। पर मैं कहां मानने वाला था। मैं तो पागल हो गया था और खो भी गया था। तो एक मुंह में लेकर ऐसे पी रहा था जैसे कि सपना की चूचियों से दूध निकाल लूंगा, और जो मलाई भरी है चूचियों में पूरा पी लूंगा। पर सपना मुझे बार-बार मना कर रही थी। तो मैंने फिर बायी चूची को मुंह में भर लिया और दायी चूची को मसलने लगा। सपना भी अब खोने-खोने सी लगने लगी।
करीब 20 मिनट बाद मैंने फिर से सपना को किस किया, और अब सपना के मुंह से एक ही बात निकल रही थी, “मेरे राजा, चोद दो ना मुझे। मेरे राजा, तड़पाओ ना मेरे राजा, प्लीज मेरे राजा, चोदो आज अपनी बहन को मेरे बहनचोद भाई। अब ज्यादा मत तड़पाओ। मैं पागल हो रही हूं। और मेरी चूत बेताब है तुम्हारे मोटे लंड के लिए मेरे राजा। अब खोल दो मेरी चूत का दरवाजा”।
मैंने भी सोचा कि अब देर नहीं करना चाहिए क्योंकि शाम के 5 भी बज गए थे, और फरवरी के महीने में सर्दी भी होती है, तो शाम जल्दी हो जाती है। पर उस दिन धूप खिली थी तो अभी शाम ढलने में टाईम था।
मैंने तुरन्त गन्ने की सूखी पत्तियां जमीन पर तोड़ कर बिछा दी। उसके ऊपर सपना की कुर्ती और अपने कपड़े रख दिए, और सपना को इशारे में बोला, तो सपना उस पर लेट गयी, और फिर मैंने सपना का ब्रा अपने हाथ में उठा लिया। सपना बोली, “ये क्या करोगे”? तो मैंने कुछ नहीं बोला, और मैंने सपना के मुंह पर रख दिया। वो ये नहीं समझ पाई कि मैंने उसके मुंह पर क्यूं रखा। क्योंकि उसे नहीं पता था कि आज फिरसे उसकी बेरहमी से जबरदस्त चुदाई करने वाला था मैं”।
हालांकि मेरे मन में ये था कि आज इसकी चुदाई ऐसा कर दूं तांकि ये खुश हो जाए, ताकि मेरे जयपुर जाने के बाद ये किसी और लड़के की तरफ देखे भी ना चुदाई के लिए, बस मेरे आने का इंतजार करे, और इस तरह की चुदाई के लिए अगर वो रोने भी लगे तो भी नहीं छोड़ना चाहता था सपना को।
अब तक सपना की चूत भीग चुकी थी। मैंने भी अपने लंड को सपना के मुंह में रख दिया, और कुछ देर सपना के चूसने के बाद मैंने सटर-सटर फिसलने के लिए अपने लंड पर थोड़ा थूक लगा लिया, तांकि लंड आसानी से फटर-फटर सटर-सटर चटर-चटर की आवाज में अन्दर-बाहर हो।
मैंने फिर अपना लंड का टोपा सपना की चूत की फांको पर रगड़ना शुरू किया, और सपना की चूचियों को पीने लगा।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में।
अगला भाग पढ़े:- सपना की जवानी का मजा गन्ने के खेत में लिया-2