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सविता दीदी की जवानी के दीवाने-7

पिछला भाग पढ़े:- सविता दीदी की जवानी के दीवाने-6

आपने पिछली कहानी में पढ़ लिया होगा कि मैंने दीदी को स्टेशन पर रिसीव किया और वहीं पर एक लड़का दीदी को लाईन मारना चाह रहा था। वो दीदी को पटाने की कोशिश कर रहा था। फिर हम रूम पर आकर माॅल घूमने गए। आगे की कहानी सुनिए…

जब हम माॅल से घर आ रहे थे, तो सब अपनी-अपनी फोटो देख रहे थे रोहन के मोबाईल में।

तभी दीदी रोहन से बोली: मेरा जो स्लोमोशन वीडियो तुमने बनाया था, वो दिखाना।

तो तुरन्त रोहन ने कुछ डिलीट किया और दीदी को स्लोमोशन वाली वीडियो दिखायी।

तो दीदी बोली: वाह! बहुत अच्छी वीडियो है। इसे मेरे पास भेज देना।

पर तुरन्त मैंने कहा: लाओ मैं देखूं दीदी कौन सी वीडियो है।

तो मैंने भी देखा कि दीदी माॅल मे चल रही थी। उसका स्लोमोशन वीडियो रोहन ने बनाया था। पर मैंने तुरन्त रोहन की गैलरी में जाकर रिसाईकिल बिन जब चेक किया, तो मुझे असली वाली वीडियो मिली, जो रोहन ने चुपके से दीदी का वीडियो बनाया था। जिसमें दीदी सीढ़ियों से उतर रही थी।

सीढ़ी से उतरते समय दीदी की चूचियां ऐसे हिल रही थी, जैसे की कोई अपने लंड पर दीदी को बैठा कर उछाल रहा हो।

पर दीदी तेजी से उतर रही थी सीढ़ी से, तो दीदी की उछलती हुई चूचियां आ गयी थी वीडियो में, जिसे सिर्फ मैंने और रोहन ने देखा था। क्योंकि रोहन ने ही वीडियो बनाया था, और मैंने इसलिए देखा क्यूंकि मैंने रोहन को कुछ डिलीट करते हुए देख लिया था, जो कि मैंने बाद में उसके मोबाईल में देखा, और अपने पास वो वीडियो भेज कर उस वीडियो को रिसाइकिल बिन में से भी डिलीट कर दिया, तांकि रोहन फिर उस वीडियो को ना देख पाए। उसके बाद मैंने रोहन को मोबाईल लौटा दिया।

माॅल से लौट कर हम जब अपने फ्लैट पर आए, तो मैंने फिर से गौर किया कि रोहन और विजय की नज़र दीदी की मटकती गांड पर ही थी। दीदी जैसे-जैसे अपने कदम आगे बढ़ा कर फ्लैट की तरफ चल रही थी, वैसे-वैसे ही दीदी की कमर लचक रहे थी, और दीदी की हल्की उभरी हुई गांड दीदी की गदराई जवानी को दिखा रही थी। ये सब रोहन और विजय अच्छे से देख रहे थे। फिर कुछ देर में ही दीदी लिफ्ट में चढ़ने वाली थी।

पर तभी रोहन बोला: दीदी सीढ़ी से चलते हैं ना, थोड़ी एक्सरसाइज हो जाएगी। मैं और विजय तो तुरन्त समझ गये, पर दीदी नहीं समझी, और वो बोली-

दीदी: ठीक है सीढ़ी से ही चलते हैं।

और फिर जितने कदम दीदी सीढ़ी पर रख रही थी, उतनी‌ ही दीदी की गांड डोल रही थी, और चूचियां उछल रही थी। ये सब देख रोहन और विजय अपने लंड को मसलना चाहते थे, पर मेरी मौजूदगी में ये ना कर पाने की वजह से वो लंड मसल नहीं पाए। पर मैं उनके लंड के तम्बू को देख समझ चुका था, कि ये दोनों दीदी के लिए पागल हो रहे थे।

फिर मेरे दिमाग में उसी रात कुछ करने का मन किया तांकि दीदी फिरसे मुझसे चुद जाएं। पर मुझे डर था कि पता नहीं दीदी का मन था भी या नहीं चुदने का। डर की वजह से मैंने उस दिन कुछ करना सही नहीं समझा। पर रात को थोड़ी बहुत हरकत मैंने करने को सोचा। रात में जब दीदी गहरी नींद में सो गई, तो सोते वक्त मैं दीदी के पेट पर पहले अपने हाथ रख कर सो गया। पर जब दीदी कुछ नहीं बोली, तो मैं धीरे से अपने एक पैर को दीदी की जांघों पर रख कर सो गया।

पर जब मैंने दीदी की जांघ पर अपना पैर रखा तो मुझे लगा कि दीदी सच में कुछ ज्यादा ही हाॅट हो गई थी। क्यूंकि उनकी गठीली मोटी जांघ देख कर मुझे शक हो रहा था कि कहीं दीदी का कोई बॉयफ्रेंड तो नहीं था। क्योंकि दीदी कुछ ज्यादा ही जवान हो गयी थी, तो शक तो बनता ही था। पर मैंने सोचा ये सब बाद में देखेंगे, पहले मजे लेते हैं। और मैं अपने हाथ दीदी के बूब्स पर जैसे ही ले गया, दीदी तुरन्त जाग गयी।

दीदी: क्या कर रहे हो?

मैंने कुछ नहीं बोला और सोने का नाटक करने लगा। पर शायद दीदी समझ गयी थी कि मैं जाग रहा था। इसलिए वो दूसरी तरफ मुंह करके सो गयी तांकि मैं फिर से कोई हरकत करूं। पर मैंने करीब 20 मिनट तक कोई हरकत नहीं की। फिर जब मुझे लगा कि दीदी सो गई होंगी, तो मैं उनकी तरफ करवट लिया।

उनकी चौड़ी कमर और बड़ी गांड देख मुझसे रहा नहीं गया, और मैंने बिना डरे उनकी गांड को सहलाते हुए उन्हें पकड़ लिया, और मेरा हाथ अपने आप ही उनकी चूचियों पर चला गया। मैं उनसे चिपक कर लेट गया, पर दीदी ने कोई हरकत नहीं की। वो भी सोने का नाटक करने लगी, और ये देख मेरी हिम्मत बढ़ती गई। फिर तो और उनकी जवानी देख मुझसे और मेरे लंड से रहा नहीं गया।

तुरन्त मेरा लंड दीदी की गांड में चुभने लगा, जिससे दीदी थोड़ी बहुत हिली-डुली, पर वो अभी भी सोने का नाटक कर रही थी। पर उनके हिलने से मेरा लंड गांड की दरारों से होता हुआ गांड की छेद तक पहुंच चुका था। इससे मुझे समझ आ गया कि दीदी ने जान बूझ कर ये किया, तांकि मेरा लंड उनकी गांड की छेद तक पहुंच पाए, और मुझे अब हरी झंडी मिलती हुई नज़र आने लगी।

मैंने धीरे से दीदी की टी-शर्ट में अपना हाथ डाल दिया,‌ और उनके बूब्स पर अपना हाथ फेरने लगा।‌ फिर धीरे-धीरे मैंने उनकी जांघो को सहलाते हुए उनकी लैगी के अन्दर हाथ डाल दिया। जब मेरा हाथ दीदी की चूत पर गया, तो मुझे चूत भीगी-भीगी सी है ऐसा एहसास हुआ। तो मुझे समझ आ गया कि दीदी जाग रही थी‌।‌ फिर मैंने बिना देर किए तुरन्त दीदी की लैगी को हल्का सा नीचे किया, तो मुझे दीदी की गांड साफ-साफ दिखाई देने लगी।

मैंने बिना देर किए अपना लोअर और अंडरवियर एक साथ नीचे किये, और झट से अपने लंड को दीदी के गांड के बीच की दरारों में रख दिया। तो मुझे दीदी के जिस्म की गर्मी का एहसास मुझे होने लगा। फिर अपने आप ही मेरी कमर आगे-पीछे होने लगी, पर अभी मेरा लंड बस दीदी की गांड की दरारों पर ही रगड़ खा रहा था, क्यूंकि दीदी को भी पूरी तरह से गर्म करना मेरा ही काम था।

तभी मेरे लंड की रगड़ से दीदी की नींद खुल गयी। लेकिन ये सब बस दिखावा था, जबकि दीदी जाग रही थी। फिर अचानक दीदी झटके से उठी और बोली-

दीदी: ये क्या कर रहे हो?

मैं: कुछ नहीं दीदी, बस यूं ही नींद नहीं आ रही थी।

दीदी: नींद नहीं आ रहा थी तो ये सब क्या है? और मेरे कपड़े को क्यूं निकाले? और ये तुम्हारा लंड बाहर, मतलब क्या समझते हो अपने आप को, ये सब क्या है (चिल्लाते हुए दीदी पूछी)?

मैं: साॅरी दीदी मुझे लगा कि आप मेरे साथ कर सकती हो, पहले भी तो की थी।

दीदी: हां पर अभी नहीं करना ना। तब गलती हो गयी थी, पर अब नहीं करनी ना।

मैं: दीदी पहले तो आप मेरे लिए पागल थी। पर अब क्या हुआ?

दीदी: तब मैं अकेली थी और अब मेरा ब्वायफ्रेंड….. (कहते हुए चुप हो गयी)।

मैं: क्या आपका ब्वायफ्रेंड? कौन है वो?

दीदी: नहीं कोई नहीं।

मैं: दीदी प्लीज बताओ ना कौन है? वैसे मुझे लग ही गया था कि कोई तो होगा ही तभी इतनी हाॅट हो गयी हो आप। गांड तो देखो कितनी मखमली हो गयी है आपकी, और चूचियां देखो कितनी रसीली हो गई हैं पपीते जैसी।

मैं: दीदी बताओ ना कौन है वो? आपको मेरी कसम।

दीदी ना चाहते हुए भी मुझसे बोली: वो वीरू जो है ना तुम्हारे घर के पास का, वहीं।

मैं: क्या? वो वीरू, जिसने खेत में एक बार चोदा था आपको?

दीदी: हां वहीं।

फिर दीदी ने क्या-क्या बताया उसके बाद वो मैं दूसरी कहानी में लिखूंगा। पर दीदी के मुंह से इतना सुनते ही मेरा खून खौल गया। तो मैंने दीदी को बोला-

मैं: साली रंडी, उसके साथ घूमने में तुझे दिक्कत नहीं, और मुझसे चुदने में तुझे बहुत दिक्कत है।

ऐसा बोलते हुए मैं दीदी पर झपट पड़ा, और एक ही झपट्टे में मैं दीदी को अपने नीचे ले आया, और तुरन्त अपना लंड निकाल कर दीदी की चूत में पेल दिया।‌ दीदी उह्ह आहहहहहह करने लगी। मैंने दीदी के मुंह पर अपना मुंह रख दिया, और दीदी को जोर-जोर के झटके मारने लगा। कुछ 10-15 झटके मारने के बाद मैं धीरे हो गया, और दीदी का दर्द भी कम हुआ, तो वो भी मजे से चुदने लगी।

मैंने अपनी पोजीशन बदली और दीदी को अपने ऊपर आने को कहा, और फिर मैंने दीदी को उछालना शुरू किया। दीदी मेरे लंड पर उछलने लगी। पर उनकी चूचियां टी-शर्ट पहनने की वजह से मुझे नहीं दिख रही थी। तो मैंने तुरन्त दीदी की टी-शर्ट निकाल दी, और फिर मैंने ब्रा का हुक भी खोल दिया तो दीदी की चूचियां झट से आजाद हो गयी।

फिर मैंने दीदी को जब उछालना शुरू किया तो दीदी की चूचियां भी दीदी के साथ उछलने लगी। फिर मैंने दीदी को अपने ऊपर झुका लिया और दीदी की चूचियों को चूसते हुए अपनी कमर उठा-उठा कर दीदी को चोदने लगा। कुछ ही देर में पूरा कमरा फचर फचर फचफच फच फच की आवाज से गूंजने लगा।

फिर मैं झट से उठा और दीदी को कुतिया बना कर चोदना स्टार्ट किया, और उनके बालों को पकड़ कर जोर-जोर के झटके मारने लगा। कुछ ही देर में दीदी थकी-थकी सी लगने लगी। उनके चेहरे पर पसीने आ चुके थे तो दीदी बोली-

दीदी: गर्मी लग रही बहुत।

मैंने बोला: बाथरूम में चलें क्या?

तो दीदी ने कुछ नहीं बोला।‌ फिर मैंने उन्हे अपनी गोद में उठाया और दीदी को बाथरूम में ले जाकर के खड़ा कर दिया। मैं वहीं पर उन्हें घोड़ी बना कर धकाधक-धकाधक पेलने लगा। दीदी की चूत फटती जा रही थी और उनकी चुदाई मैं जोरों-शोरों से कर रहा था। मुझे दीदी की गांड बड़ी लग रही थी। पर चूत में लंड पेलने के बाद ऐसा नहीं लग रहा था कि दीदी कुछ दिनों से चुदी हो।

तो मैंने दीदी से पूछा: आप लास्ट बार कब चुदी हो?

दीदी बोली: उसी वक्त जब तुमने चोदा था।

मैं: तो वीरू ने नहीं चोदा?

दीदी: मैंने चोदने का मौका ही नहीं दिया उसे अभी तक। उसका वश चलता तो अब तक वो अपनी रंडी बना दिया होता। पर वो जब-जब अपने घर मुझे बुलाने का प्रयास किया, तो मैंने मना कर दिया।

मैं: क्या दीदी पहले बता दी होती आप तो मैं आप पर इतना गुस्सा नहीं करता।

और फिर मैं दीदी को प्यार से चोदने लगा। दीदी के पीठ को चूमने लगा और बोला:  दीदी अब हम दोनों रोज बाथरूम में मजे करेंगे।

फिर मैंने दो-तीन मिनट झटके और दिये, तब तक मैं और दीदी दोनो एक साथ झड़ गये।

उस रात हम दोनों ने दो तीन बार पलंग-तोड़ चुदाई की, और फिर हम सो गए। अब दीदी रोज बाथरूम का दरवाजा खोल कर नहाती और मैं अन्दर आ कर दीदी को पीछे से पकड़ लेता, और इस तरह हम रोज बाथरूम में रोमांस करते।

धन्यवाद।।

अगला भाग पढ़े:- सविता दीदी की जवानी के दीवाने-8

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