दोस्त के साथ मिल कर होली पर बहन को चोदा-3 (Dost ke sath mil kar holi par behan ko choda-3)

पिछला भाग पढ़े:- दोस्त के साथ मिल कर होली पर बहन को चोदा-2

पिछली कहानी में आपने पढ़ा होगा कि विनय ने कैसे सपना का फायदा उठाया और, जब विनय सपना को कस कर अपने बाहों में भींचना चाहा, तो सपना धक्के देकर भागना चाही। पर वो तुरन्त पेट के बल गिर गयी और तुरन्त विनय सपना पर झपटा और उसकी सलवार के नाड़े को खींच कर खोल दिया। इसके आगे क्या हुआ अब सुनिए….

सपना: नाड़ा खुल जाने की वजह से जब मैं उठना चाही, तो मेरी सलवार आधी खुल गयी और मेरी ब्लैक पैन्टी विनय को दिख गयी। तो विनय भूखे भेड़िए की तरह मुझ पर टूट पड़ा, और मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गया, और लिप किस किया। इस वजह से मेरी आवाज़ ही नहीं निकली, और कुछ ही देर में विनय की ये हरकत मुझको मदहोश करने लगी।

सपना: फिर मुझे पता ही नहीं चला कि कब विनय ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, और जब मैं थोड़ी मदहोशी से बाहर आई, तो मैंने देखा कि मेरे सारे कपड़े निकल चुके थे और विनय ने भी अपने सारे कपड़े निकाल कर बगल रख दिये थे। वो मेरी चूचियों को अपने मुंह में रख कर चूस रहा था। ये देख मैं शरमा गई, और जब मैंने विनय की आंखों मे देखा, तो फिर मैं अपनी नजरें उससे मिला ही नहीं पाई।

मैं: फिर क्या हुआ?

सपना: फिर जैसे ही मैं विनय से नजरें चुराई, तो वो मेरी आंखो से अपने आखों का दीदार कराने लगा, और मुझे नहीं पता कि क्या हुआ पर मुझे उससे प्यार होने लगा। फिर जो नहीं होना था वो सब कुछ होने लगा। मैं विनय का साथ देने लगी।

मैं: फिर क्या किया विनय ने?

सपना: उसके बाद विनय ने मुझे पूरी तरह से अपने काबू में कर लिया। मेरी चूचियों को खूब पिया, और मेरे पूरे जिस्म को खूब चूमा, और फिर वो मुझसे चिपक कर अपने जिस्म की गर्मी का मुझे एहसास कराया। उसके बाद वो मुझे अपने ऊपर लेकर लेट गया। कुछ देर बाद वो मुझे नीचे करके मेरे ऊपर लेट गया, और फिर हम दोनों एक-दूसरे के लिए पागल हो गए। ऐसे ही करके वो मुझे गर्म कर दिया।

सपना: फिर वो मेरी दोनो टांगों के बीच आकर बैठ गया। मैं उसके खड़े लंड को देख कर डर रही थी, पर वो मुझे चूमने लगा और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा। कुछ ही सेकेण्डों में उसने अपने लंड का टोपा मेरी चूत में डाल दिया। मैं छटपटाने लगी, तो वो मेरी चूचियों को मसलने लगा, और जब मेरा दर्द खत्म होने लगा, तो विनय ने दो-तीन झटके में ही मेरी चूत में पूरा लंड पेल दिया‌।

सपना: मैं चीख उठी, पर जैसे ही मेरी आंखो से आंसू निकले, तो विनय ने उन आंसुओं को पोंछ कर बोला, “जान ये मीठा दर्द है, अभी सब ठीक हो जाएगा”, और इतना कहते ही वो मुझे किस करने लगा, और मेरी चूचियों को मसलने लगा। कुछ ही देर में मेरा दर्द खत्म होने लगा। मेरे मुंह से उहआह उहआह की आवाजें निकलने लगी थी, और विनय अपना लंड सटासट-सटासट पेलने लगा।‌ वो मेरी चूत का कचूमड़ बनाने लगा।

सपना: वो मुझे डॉगी स्टाईल में चोदना चाहता था, तो उसने मेरे साथ थोड़ी देर रोमांस किया। फिर जैसे ही वो मुझे डाॅगी बना कर चोदने वाला था, आपने आकर पूरी चुदाई खराब कर दी।

सपना के मुंह से चुदाई खराब करने जैसा शब्द सुन कर मुझे बहुत अजीब सा लगा। तभी विनय भी मेरे पास आया और बोला-

विनय: भाई मैंने जिस लड़की को बस स्टैंड पर देखा था, वो कोई और नहीं सपना ही थी। पर इसे तेरे घर में देख कर मैं सोच में पड़ गया था। पर ये इतनी हाट है कि मुझसे रहा नहीं गया यार। भाई तुझे अपनी दोस्ती का वास्ता, एक बार माफ कर दे यार प्लीज। पर एक बार अब चोद लेने दे यार। मैंने भी तो अपनी गर्लफ्रेन्ड तुझसे चुदवाई थी। एक बार मान जा भाई।

कुछ देर सोचने के बाद मैंने उन दोनों को बोला: जैसी तुम दोनों की मर्जी। अगर एक-दूसरे को पसन्द हो तो फिर जो मन करे वो करो।

मेरे मुंह से इतना सुनते ही विनय ने तुरन्त सपना का हाथ पकड़ा और खेत में ही तुरन्त पटक दिया। सपना जैसे ही जमीन पर लेटी, विनय उसके ऊपर चढ़ गया, और तुरन्त सपना की चूचियों क साथ खेलने लगा, और होठों को चूसने लगा। फिर चूचियों को मसलने लगा। मुझसे ये देखा नहीं जा रहा था‌, तो मैंने बोला-

मैं: मैं बाहर चल रहा हूं, तुम दोनो जल्दी से कपड़े पहन कर आ जाओ।

इतना सुनते ही विनय मुझसे बोला: ठीक है भाई, तुम चलो, हम दोनों आते हैं कपड़े पहन‌ कर।

सपना भी बोली: भैया आप चलिए बाहर, हम दोनों आते हैं।

उनके मुंह से इतना सुनते ही मैं खेत से बाहर निकल आया।

मैंने कुछ 10 मिनट बाहर उन दोनों का इन्तजार किया, कि अब बाहर आएंगे, वो अब बाहर आएंगे। पर वो दोनों बाहर नहीं आए। तो मैं फिर से खेत के अन्दर गया। मैंने देखा कि वो दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए थे, और एक-दूसरे को चूम रहे थे। तब मुझे समझ आ गया कि ये दोनों करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी, चुसन-चुसाई के बाद एक दम गरम हो चुके थे।

सपना की चूचियों को विनय ने इतना चूस लिया था, कि वो एक दम लाल हो चुकी थी। जिस वजह से वो और भी आकर्षक लग रही थी। उसकी पपीते जैसी चूचियां लटक रही थी, और विनय उसको अभी भी मसल ही रहा था। फिर तुरन्त विनय ने सपना को इशारा किया, कि टांगे थोड़ी फैलाओ। फिर सपना ने अपने टांगे जैसे ही चौड़ी की, तुरन्त विनय उसके ऊपर लेट गया और अपने खड़े लंड को सपना की चूत में रगड़ने लगा। सपना की आहें बढ़ने लगी, क्योंकि वो पूरी तरह से गरम हो चुकी थी।

मैंने जब उनकी चुदाई की तलब देखी, तो मैं समझ गया कि ये दोनों रूकने वाले नहीं थे। तो मैंने सोचा कि करने देते हैं, और फिर मैंने चुप-चाप वहीं पर बैठ कर दोनों की चुदाई देखना ही सही समझा। पर सच बात तो ये है कि वो दोनों मेरे सामने शायद अच्छे से सेक्स ना कर पाते, इसलिए मैंने सोचा कि वो दोनों खुल कर चुदाई करें, और मैं उनकी ये घमासान चुदाई देख सकूं।

मैंने देखा जब सपना ने टांगे फैलाई तो विनय थोड़ा सा सपना के ऊपर झुक गया। सपना ने तुरन्त अपने हाथों से विनय को अपनी ओर खींच लिया, और गले लग गयी। इधर विनय अपने लंड को अपने हाथों से आजाद कर दिया तांकि वो अपनी मंजिल खुद ढूंढ ले। मैं भी ये सब देख कर गर्म हो रहा था, पर मैं रंग में भंग नहीं करना चाहता था, इसलिए चुप-चाप देख रहा था।

विनय के लंड की मंजिल सपना की चूत और गांड थी। तो विनय के लंड ने सपना की चूत के छेद को ढूंढना शुरू किया, और चूत के मुख पर आकर फुफकार मारने लगा। विनय समझ गया कि उसके लंड ने अपनी मंजिल ढूंढ ली थी, और वो उसी समय सपना को लिप किस किया, और अपनी कमर को हल्का सा उठा कर धक्का दिया। तो विनय का लंड सपना की चूत की फांको को चीरता हुआ अन्दर प्रवेश करने लगा।

विनय का लंड सपना की चूत में घुसते ही सपना तड़प उठी, और प्लीज आराम से धीरे-धीरे उफ्फ ओहहहह उहहहह… आहह… करने लगी। पर विनय ने सपना को अच्छे से दबोच लिया था, और अब वो सपना को किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाह रहा था। तो विनय ने सपना को जमीन पर ही दबा कर चोदना शुरू किया।

5-6 धक्के में ही विनय का 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड सपना की चूत को चीरता-फाड़ता अन्दर घुसता चला गया।

सपना की चूत फटने की वजह से वो जोर से चिल्लाने लगी। पर जैसे विनय ने सपना को ना छोड़ने की कसम खायी थी। और उसने तुरन्त सपना को फिर से किस करना शुरू कर दिया। पर इस बार विनय झटके मारे जा रहा था। विनय एक मिनट के लिए भी रूकना नहीं चाह रहा था, क्योंकि इतनी टाईट चूत और गदराई जवानी वाली कमसिन लड़की पहली बार चोद रहा था।

विनय का हर झटका सपना की चूत की गहराई को नाप रहा था, और उसमें गोते खा रहा था। पर कुछ ही देर में सपना की चूत की गर्मी विनय का लंड सहने में असफल रहा, और सपना ने अपने पैरों को सिकोड़ लिया। तभी विनय ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और तेज-तेज बोलने लगा-

विनय: मेरा होने वाला है, मेरा होने वाला है। मैं गया मेरी जान, मेरी छम्मक-छल्लो, तुमने मुझे जन्नत दिखा दी मेरी जानू, बेबी ओह बेबी, ओह यस ओह याह।

ये करते हुए विनय जल्दी-जल्दी दुगुनी स्पीड से धक्के मारने लगा, जिस वजह से सपना की चूचियां तेजी से ऊपर-नीचे होने लगी, और बाउंस करते-करते हिलोरे मारने लगी। दोनों चूचियां एक-दूसरे से टकरा रही थी।

विनय के तेज झटकों की वजह से चूत से फटर फटर  फुच्च फुच्च की आवाज आने लगी। जिस वजह से मैं समझ गया कि अब दोनों ही झड़ने वाले थे। क्योंकि सपना की चूत एक-दम से गीली हो चुकी थी, तभी ऐसी आवाज चूत से आ रही थी। सपना भी इस आवाज को सुन कर पागल सी हो रही थी, और वो भी मदहोश हो चुकी थी। वो विनय को उकसाने लगी थी-

सपना: ओह बेबी, फक मी।‌फक मी बेबी। डार्लिंग मेरी चूत फाड़ दो, मुझे खा जाओ।

ऐसे तेज-तेज बोलने लगी‌। तभी विनय की स्पीड मुझे बढ़ती दिखी। मैं समझ गया कि ये बस झड़ने ही वाला था। पर मैं नहीं चाहता था कि विनय सपना की चूत में झड़े, इसलिए मैं उनकी तरफ बढ़ा, और उन्हे रोकने ही वाला था। लेकिन जब तक मैं बोला कि विनय रूक जा, चूत में मत गिराना, तब तक विनय सपना के ऊपर लेट गया, और दोनों अब शान्त से हो गए थे।

दोनों के चेहरे पर अलग चमक थी जैसे कि इन दोनों ने वो सब कुछ कर लिया था, जिसके लिए दोनो वर्षों से बेताब थे। और मैं इनके पास जब पहुंचा तो देखा कि विनय एक दो हल्के-हल्के झटके और लगा दिया। शायद वीर्य निकलने के बाद जो एक दो झटके लगते हैं, वो विनय ने सपना को झटके मारे। दोनो एक-दूसरे की आंखों में देख कर मुस्कुरा रहे थे, और ऐसा लग रहा था जैसे कि दोनो एक-दूसरे से संतुष्ट थे।

कुछ देर बाद जब विनय और सपना ने मुझे देखा तो वो तुरन्त बोले कि, “भैया आप गए नहीं?”

तो मैंने बोला: मैंने बाहर बुलाया था तुम दोनों को, और तुम दोनो नहीं आए। तो मैं आ गया। और देखा कि तुम दोनों लगे हो। तो मैं चुप-चाप तुम दोनों की घमासान चुदाई देख रहा था।

वैसे विनय तू बहुत बेरहमी से चोदता है बे, और आराम से किया कर।

विनय: भाई तेरी बहन है ही इतनी गर्म कि इसकी गर्मी की वजह से मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और धक्कमपेल चोदा मैंने।

मैं: हां पेल लो पेल लो, जैसे कभी पेले ही नहीं हो।

सपना: अरे कोई बात नहीं भैया, अच्छा लग रहा है, मजा आ रहा है।

विनय: थैंक्यू डार्लिंग, मेरे पक्ष में बोलने के लिए।

मैं: वैसे विनय तुमने सपना की इतनी जोरदार चुदाई क्यूं की?

विनय: अरे भाई अभी तो मैंने कुछ नहीं किया। अभी तो बहुत कुछ करना है।

मैं: क्या, अब क्या करना है?

विनय: अभी देखते जाओ भाई, क्यूं सपना तैयार हो?

सपना (शरमाते हुए): जैसी आपकी और भैया की मर्जी।

मैं: क्या करोगे मुझे भी तो बताओ विनय?

विनय: अभी देख लेना भाई, कुछ इन्तजार कर लो।

आखिर विनय सपना के साथ क्या करना चाह रहा‌ था? जानने के लिए बने रहें अपने भाई राजू के साथ।

कमेंट करके जरूर बताएं कहानी कैसी लगी। धन्यवाद