नमस्कार दोस्तों, मैं प्रितंका आ गई हूं, अपनी नई सेक्स कहानी के साथ। मेरी पिछली कहानियां पढ़ कर आप सब ने जो मुझे फीडबैक दी है, उसके लिए आपका शुक्रिया। मेरे बारे में तो आप सब जानते ही है। जो नहीं जानते, उनको मैं बता दूं, कि मैं पंजाब के लुधियाना शहर से हूं। मेरी उमर 23 साल है, और मेरा फिगर 34-29-36 है। रंग मेरा गोरा है, और लड़के मुझे चोदने के लिए पागल है। अब मैं अपनी कहानी पर आती हूं।
मेरी मम्मी के रिश्तेदारों के यहां किसी की शादी थी, तो उन्होंने हमारी पूरी फैमिली को बुलाया था। काफी देर हो चुकी थी मुझे किसी पार्टी पर गए, इसलिए मैं बहुत उत्सुक थी। मेरे छोटे भाई की परीक्षाएं चल रही थी, इसलिए वो नहीं जा सकता है। तो मैं, मम्मी, और पापा पार्टी के लिए गाड़ी में निकल गए।
मम्मी ने सलवार-सूट पहना था, पापा ने कुर्ता-पजामा, और मैंने मैरून रंग का लहंगा चोली पहना था। उसके साथ मैंने थोड़ा मेकअप किया था। अब मैं ऐसी लग रही थी कि मुझे देख कर किसी भी लड़के के मुंह में पानी आ जाए।
मेरा लहंगा पैरों तक लंबा था, और पतले कपड़े का था, तो उसके नीचे मेरी नंगी टांगें आराम से देखी जा सकती थी। मेरी चोली बिना बाजू की थी, और गला डीप था, जिससे मेरी गोरी बाजुएं, और क्लीवेज का नज़ारा बहुत सेक्सी लग रहा था। चोली और लहंगे के बीच मेरी कमर 5 इंच नंगी थी, जिसमें से मेरी कामुक कमर और नाभि दिख रहे थे। सीधे-सीधे बोलूं, तो मैं ऐसी लग रही थी, कि हवस भरे लड़कों का तो देख कर ही पानी निकल जाए।
फिर हम पार्टी में पहुंच गए। सारे लड़के और मर्द मुझे मुड़-मुड़ कर देखने लगे। उनके ऐसे देखने से मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। फिर रिश्तेदारों से मिलने के बाद हम सब एक टेबल पर बैठ गए। तभी मेरी नज़र एक लड़के पर पड़ी। वो लड़के ने काले रंग का सूट पहना था, और वो बहुत हैंडसम था।
उस लड़के ने मुझे कुछ इशारा किया। वो इतना हैंडसम था, कि मैं भी खुद को रोक नहीं पाई, और उसको देख कर मुस्कुराने लगी। ऐसे ही आंखों ही आंखों में हमारा नैन-मटक्का शुरू हो गया। फिर कुछ देर में उसने मुझे साइड में आने का इशारा किया। अब तक मेरी चूत में भी चुदाई की खुजली होने लगी थी, तो मैं नज़रें बचा कर उसके पीछे चली गई।
आप मैरिज पैलेस के आख़िर वाले कमरे के बाहर रुका, और दरवाजा खोल कर मुझे देखते हुए अंदर चला गया। मैं भी उसके पीछे अंदर चली गई। अंदर जाते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और हम दोनों किस्स करने लग गए। वो मुझे बड़ी शिद्दत से किस्स कर रहा था, और मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
किस्स करते हुए उसने मेरी चोली की स्ट्रैप को कंधे से नीचे खिसका दिया, और मेरी गर्दन और कंधे को चूमने लगा। मैं मदहोश होने लगी। तभी उसने मेरी चोली का हुक खोला, और उसको मेरे बदन से अलग कर दिया। उसके बाद उसने मुझे बाहों में भरा ही था, कि तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया।
वो गया, और जाके थोड़ा सा दरवाजा खोला। जब उसने पूछा कौन, तो सामने से दरवाजे पर धक्का लगा, जिससे वो पीछे हो गया, और दरवाजा पूरा खुल गया। मैं कमरे की साइड में बिना चोली के ब्रा और लहंगे में खड़ी थी। मैंने देखा, तो दरवाजे पर पापा खड़े थे।
पापा को देख कर मेरी गांड फट गई। मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करती? तभी उस लड़के ने पापा को पूछा-
लड़का: अरे कौन हो आप? ऐसे-कैसे रूम में घुसे चले आ रहे हो?
पापा बोले: बाप हूं मैं इसका।
ये सुनते ही वो लड़का जल्दी से कमरे के बाहर चला गया, और पापा ने दरवाजा बंद कर दिया। फिर पापा मेरे पास आए।
मैंने कहा: पापा मुझे माफ कर दीजिए, वो बस मैं…।
मैं बोलती भी क्या, कि ऐसे ही उस लड़के के साथ कमरे में आ गई? या गलती से आ गई बोलती?
तभी पापा बोले: कोई बात नहीं बेटा, जवानी में ऐसी गलतियां हो जाती है।
ये सुन कर मुझे लगा कि पापा कुछ नहीं कहेंगे मुझे, तो मैंने अपनी चोली उठाई, और उसको पहनने लगी।
लेकिन तभी पापा बोले: क्या कर रही हो?
मैं (कंफ्यूज होते हुए): पापा वो कपड़े पहन रही…।
पापा: इसकी जरूरत नहीं है। पहले जो काम करने आई थी, वो तो पूरा करो।
मुझे कुछ समझ नहीं आया, तो मैंने पूछा: पापा मैं समझी नहीं कुछ।
पापा: मैं समझाता हूं।
फिर ये बोल कर पापा मेरे करीब आए, और मुझे दीवार के साथ लगा कर मेरे होंठ चूसने लगे। मैं हैरान हो गई कि ये पापा क्या कर रहे थे। मैं उनको पीछे करने की कोशिश करने लगी, लेकिन उनकी पकड़ मजबूत थी। पापा मेरे होंठ चूसते जा रहे थे, और साथ में मेरा लहंगा उठा कर पैंटी के ऊपर से मेरी चूत रगड़ने लगे।
मैं तो पहले से गरम थी, तो मैं कितनी देर खुद को कंट्रोल करती, तो मैं भी उनका साथ देने लगी। तकरीबन 10 मिनट पापा मेरे होंठ चूसते रहे, और मेरी चूत रगड़ते रहे। मेरी चूत पानी-पानी हो चुकी थी।
फिर पापा ने मेरे होंठों को छोड़ा, और नीचे बैठ कर मेरे लहंगे में अपना सर डाल लिया। उन्होंने मेरी पैंटी नीचे की, और मेरी चूत में मुंह लगा कर चाटने लगे। वो इतनी अच्छे से मेरी चूत चूस रहे थे, कि मैं मिनटों में ही झड़ गई। पापा मेरी चूत का सारा पानी पी गए।
फिर पापा खड़े हुए, और अपना पजामा और अंडरवियर नीचे किया। अब मैं उनका काला मोटा लंड देख पा रही थी। उन्होंने मुझे खड़े-खड़े घुमाया, और मेरे हाथ सामने पड़ी टेबल पर रखवा कर मुझे घोड़ी बना लिया। फिर पीछे से मेरा लहंगा उठाया, तो मेरी नंगी गांड उनके सामने थी।
पहले तो उन्होंने मेरे नरम चूतड़ों को मसला, फिर लंड चूत के मुंह पर रख कर धपाक से अंदर पेल दिया। मेरी चीख निकली, लेकिन कोई मेरी चीख सुनने वाला नहीं था। फिर पापा घपाघप मुझे चोदने लगे। पहले-पहले तो उनके लंड की रगड़ से मेरी चूत में दर्द हुआ, लेकिन फिर मुझे मजा आने लगा। अब मैं आह आह करके अपने बाप से घोड़ी बन कर चुद रही थी।
15 मिनट पापा ने मुझे जम कर पेला, और फिर मुझे घुटनों के बल बिठा कर मेरे चेहरे पर अपना माल निकाल दिया। फिर वो तैयार हो कर मुझे नीचे आने को बोले, और खुद कपड़े पहन कर निकल लिए। चुदाई का मजा जो पापा ने दिया, मैं कभी भूल नहीं पाऊंगी।
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