नमस्कार दोस्तों, मैं Thor आपके लिए बाप बेटी की चुदाई कहानी लेके आया हूं। मेरी पिछली कहानियों को अपना प्यार देने के लिए बहुत धन्यवाद। उम्मीद है आपने सारी कहानियां पढ़ी होगी। इस कहानी में भी आपको मजा आएगा। ये कहानी मुझे दिल्ली की राशि गुप्ता ने भेजी है। चलिए कहानी शुरू करते है राशि गुप्ता की जुबानी।
मेरा नाम राशि गुप्ता है, और मैं दिल्ली की रहने वाली हूं। मेरी उमर 33 साल है, और मैं शादी-शुदा हूं। मेरी शादी 3 साल पहले ही हुई थी। इस शादी से मेरा एक लड़का भी है। जब मेरी शादी हुई थी, तब मैं दुबली-पतली थी, लेकिन शादी के बाद मेरे पति ने मुझे बहुत चोदा, जिससे मेरा फिगर बदलने लगा। फिर बच्चा होने से मेरा शरीर और भर गया। अब मेरा साइज 36-32-38। रंग मेरा गोरा है, और मैं ज्यादातर लेगिंग्स-कुर्ती, जींस-टीशर्ट ही पहनती हूं। इन कपड़ों में मेरा जिस्म उभर कर आता है, और लड़के और मर्द मुझे ताड़ते है।
देखिए लड़के और मर्द जब लड़कियों को ताड़ते है, तो लड़कियां मन ही मन खुश होती है। मुझे भी खुशी होती है, जब मेरी सेक्सी बॉडी लोगों को आकर्षित करती है। ये सभी लड़कियों के साथ होता है। लेकिन जब एक बाप ही अपनी बेटी को हवस भरी नज़र से देखे, और उसको चोदना चाहे। इस चीज को किस तरह से लेना चाहिए ये मुझे समझ नहीं आया। मेरे भी पापा ने मेरी चुदाई की है। चलिए बताऊं कैसे।
मेरे पापा में सगे पापा नहीं है। जब मैं छोटी थी, तो मेरे पापा की डेथ हो गई। फिर कुछ साल बाद मम्मी ने दूसरी शादी कर ली, और मुझे नए पापा मिल गए। मैं अपने नए पापा से कभी उतना करीब हो ही नहीं पाई, क्योंकि वो बहुत स्ट्रिक्ट थे। शादी के 6 महीने बाद मम्मी भी चल बसी। उसके बाद पापा से बहुत कम बात होने लगी।
एक दिन मैं किट्टी पार्टी पर बैठी हुई थी, और वहां दूसरी अमीर औरतों की बातों में आ कर मैं जुआ खेलने लगी। मेरे पास 10000 रुपए थे, जो मैं सारे हार गई। लेकिन उनको वापस जीतने के लिए मेरे सर पर 50000 का कर्ज चढ़ गया।
किट्टी कर नियम था कि पैसे उसी वक्त देने पड़ते है। अब मैं फंस गई थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं पैसे कैसे देती। पति से मांग नहीं सकती थी, क्योंकि वो इन चीजों के लिए मुझे पहले से मना करते है। एक-दो सहेलियों से मांगे तो उन्होंने कोई ना कोई बहाना बना दिया।
अब ले-दे कर मेरे पास पापा ही आखिरी ऑप्शन थे। तो मैंने उनको कॉल लगाया, और सारी बात बताई। उन्होंने मुझे 50000 देने की हामी तो भर दी, लेकिन ये भी कहां कि मैं उनको एक महीने में पैसे वापस कर दूं। जल्दी में मैंने उनकी शर्त मान ली। वैसे भी मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। फिर पापा ने पैसे भेज दिए, और मैंने वहां पेमेंट कर दिया।
फिर मैं वहां से आ गई। मैंने चैन की सांस ली, क्योंकि मैं बाल-बाल बची थी। फिर ऐसे ही कुछ दिन निकल गए। 15 दिन के बाद मुझे पापा का फोन आया। मैं भूल चुकी थी कि मैंने उनको पैसे देने थे। हाल-चाल पूछने के बाद पापा बोले-
पापा: बेटी वो पैसे इकट्ठे कर रही हो ना?
उनकी ये बात सुन कर मैं थोड़ी टेंशन में आ गई। मैंने उनको तो हां बोल दिया, लेकिन मेरे पास तो अभी तक एक फूटी कौड़ी नहीं थी। अब मैं जैसे-तैसे जहां से जितने पैसे बचते उनको संभालने लगी। करते-करते 10 दिन और बीत गए। अभी तक मेरे पास सिर्फ 5000 रुपए इकट्ठे हुए थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं पापा को क्या बोलूंगी। फिर मैंने सोचा कि उनसे रिक्वेस्ट करके और टाइम मांग लूंगी। लेकिन तभी मुझे याद आया कि वो कितने स्ट्रिक्ट है।
फिर ऐसे ही बाकी दिन भी निकल गए, और मेरे पास अभी तक 7000 रुपए ही थे। महीना पूरा होने पर पापा का फोन आया-
पापा: और बेटा कैसी हो?
मैं: ठीक हूं पापा?
पापा: पैसों का इंतेज़ाम हो गया?
मैं: पापा पैसे कम है। सिर्फ 7000 ही इकट्ठे हो पाए है। आप मुझे थोड़ा वक्त और दे दीजिए पापा प्लीज।
पापा: देखो बेटा जब मैंने तुम्हें पैसे दिए थे, तो ये कह कर दिए थे, कि एक महीने में वापस चाहिए। तुमने भी हां कहा था। ये पैसे मुझे भी चाहिए हो सकते है। चलो तुम्हारे पास नहीं है तो मैं दामाद जी को फोन लगा कर उनको बोल देता हूं, और उनसे अपने पैसे ले लेता हूं। तुम उनको धीरे-धीरे चुका देना।
पापा की ये बात सुन कर मेरी गांड फट गई। मैंने सोचा कि अगर मेरे पति को पता चल गया, तो वो मुझे बहुत डांटेंगे। अब मैं क्या करती कुछ समझ नहीं आ रहा था। उस वक्त बात को टालने के लिए मैंने पापा से कहा-
मैं: पापा कल तक का वक्त तो दे सकते है?
पापा: हां कल तक कि तो कोई बात नहीं है। तुम कल पैसे दे जाओगी ना?
मैं: हां पापा।
फिर हमारी बात खत्म हो गई, और मैं सोचने लगी कि अब क्या होगा। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पति को जुए वाली बात पता चले। मेरी पूरी रात टेंशन में ही निकल गई। फिर अगले दिन मैं पति से परमिशन लेके पापा के घर गई। मैंने ब्लैक लेगिंग्स और कुत्ती का सेट पहना था, और साथ में ब्लैक ही दुपट्टा था। मैं उसमें मस्त टोटा लग रही थी।
कैब करके मैं पापा के घर पहुंची। उन्होंने दरवाजा खोला, और मुझे देख कर मुस्कुराने लगे। फिर हम अंदर गए, और मैं बैठक में जा कर सोफे पर बैठ गई। पापा ने मेरा कोई हाल-चाल नहीं पूछा, और सीधे बोले-
पापा: पैसे लाई हो?
मैं: पापा वो इंतेज़ाम नहीं हो पाया। आप प्लीज 7000 रख लो, और मुझे थोड़ा और वक्त देदो।
पापा: बेटी सौदा-सौदा होता है। तुम्हारे पास पैसे नहीं थे, तो तुम यहां आई क्यों? अगर मैंने टाइम देना होता तो फोन पर ही मान जाता। चलो मैं तुम्हारे पति से मांग लेता हूं।
ये बोल कर पापा मेरे पति का नंबर मिलाने लगे। मैं जल्दी से उठी, और उनके घुटनों के पास जा कर, घुटनों पर हाथ रख कर बैठ गई।
फिर मैं बोली: नहीं पापा, प्लीज ऐसा ना करो। मेरा घर टूट जाएगा। आप कुछ और रास्ता निकालो। आप जो बोलोगे मैं करूंगी।
पापा: मुझसे चुदोगी?
ये सुन कर मैं हैरान हो गई।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। कहानी की फीडबैक [email protected] पर दे।