Drishyam, ek chudai ki kahani-14

एक इंसान के दिमाग का चुदाई देखने का फितूर जिंदगी की कहानी को कैसे और कितने मोड़ दे देता है। पढ़िए इस हिन्दी सेक्स कहानी में!

Drishyam, ek chudai ki kahani-13

तेरा भाई साला खुद ही तुझे चुदवाने के लिए बेचैन था। वही मुझे बुलाकर यहाँ ले आया है। वही वहाँ सीढ़ी के ऊपर खड़ा खड़ा रोशनदान में से आज तुझे चुदते हुए देख रहा है।

Drishyam, ek chudai ki kahani-12

कालिया ने अपना पाजामे का नाडा खोल दिया। अपनी निक्कर निकाल फेंक कालिया ने कालिया नाग के जैसे अपने लण्ड को सिम्मी के सामने प्रस्तुत किया।

Drishyam, ek chudai ki kahani-11

अर्जुन दीदी की तगड़ी चुदाई देखना चाहता था। उसे चुदाई देखने का नशा चढ़ गया था। अर्जुन को खुद चोदने की इतनी ललक नहीं होती थी!

Drishyam, ek chudai ki kahani-10

चाचा को चाची को चोदते हुए जबसे अर्जुन ने देख था तब से पता नहीं क्यों, उसके मन में चुदाई देखने का एक पागलपन सवार हो गया था।

Drishyam, ek chudai ki kahani-9

कालिया ने सिम्मी को फांसने का अब एक बड़ा ही शातिर प्लान बनाया। कालिया ने देखा की यह लोग डर या धमकी से ज्यादा प्यार से पसीज जाते हैं।

Drishyam, ek chudai ki kahani-8

चाचीजी की चूत को अच्छी तरह चाटने और चाचीजी को काफी गरम करने के बाद चाचाजी चाचीजी के ऊपर सवार हो गए और अपना लण्ड चाचीजी की चूत में घुसेड़ कर उन्हें चोदने लगे।

Drishyam, ek chudai ki kahani-7

कालिया अपनी मस्ती में था। उसको सिम्मी की परेशानी से ज्यादा उसके लण्ड में हो रही चरमराहट की चिंता थी। उसका लण्ड मारे उत्तेजना से फुला हुआ था।

Drishyam, ek chudai ki kahani-5

कालिया ने सिम्मी की ब्रा का हुक खोल दिया। उसे यह देख कर अच्छा लगा की सिम्मी ने उसे रोकने की कोशिश जरूर की पर??

Drishyam, ek chudai ki kahani-4

सिम्मी ने पहली बार किसी गैर मर्द से “चोदने” शब्द सूना था। सिम्मी की सखियाँ कई बार सिम्मी को औरत मर्द को चोदता है ऐसा सूना था।

Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 74

क्या खूब सुहाना सफर रहा क्या सुबह हुई क्या शाम ढली। धीरे धीरे किसी की औरत मैंने कैसे अपनी करली। जो फिरती थी मानिनी बन कर उसको मैंने पकड़ा कैसे? जाँ का भी दाँव लगा कर के बाँहों में उसे जकड़ा कैसे?

Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 73

अच्छी अच्छी मानिनीयाँ भी चुदवाने को बेताब हुई? पहले तो पति से ही चुदती थी, गैरों पर क्यों मोहताज हुई?” दवा जो वफ़ा का करते थे जो ढोल वफ़ा का पीटते थे। क्यों वह झुक कर डॉगी बन लण्ड लेने को सरताज हुई?

Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 72

क्या हाल हुआ क्या बात हुई? अच्छी अच्छी मानिनीयाँ भी चुदवाने को बेताब हुई? पहले तो पति से ही चुदती थी, गैरों पर क्यों मोहताज हुई?