Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 20
सुनीता जानती थी की उसमें उतनी हिम्मत नहीं थी की वह जस्सूजी को रोक सके। इसका कारण यह था की वह खुद भी जस्सूजी से चुदवाना चाहती थी।
सुनीता जानती थी की उसमें उतनी हिम्मत नहीं थी की वह जस्सूजी को रोक सके। इसका कारण यह था की वह खुद भी जस्सूजी से चुदवाना चाहती थी।
सुनील की पत्नी सुनीता की बात सुनकर जस्सूजी की पत्नी ज्योतिजी का मुंह छोटा हो गया। उनके मुंह पर लिखे निराशा और कुंठा के भाव सुनीता को साफ़ नजर आ रहे थे।
सुनीता फिर अपनी मूल पोजीशन में वापस आ गयी। ज्योतिजी सुनीता की टाँगों के बिच स्थित सुनीता की चूत पर हाथ फेर कर उसे सहलाने और दबाने लगीं।
जब मानिनियोँ का मन लाखों, मिन्नत मन्नत नहीं मानता है। तब कभी कभी कोई बिरला, रख जान हथेली ठानता है।। कहानी के 17वे एपिसोड का लुफ्त उठाइए!
ज्योति जी की बेबाक बातें सुनकर सुनीता की तो बोलती ही बंद हो गयी थी। सुनीता बेचारी चौड़ी, फूली हुई आँखों से ज्योति जी बातें सुन रही थी।
सुनीता गाउन पहने हुए थी। सो वह ऐसे ही कर्नल साहब की पत्नी ज्योति को मिलने के लिए चल पड़ी। सुबह के दस बजे होंगे। सब मर्द लोग अपने दफ्तर जा चुके थे।
जस्सूजी और उनकी पत्नी ज्योतिजी एक और और दूसरी और सुनीता और उसके पति सुनील जी। एक दूसरे को क्या क्या गुल खिलाते हैं? आगे पढ़िए।
उस दिन सुनील अपने ऑफिस के काम के सन्दर्भ में कहीं दो दिन के टूर गया हुआ था। कर्नल साहब और सुनील की पत्नी सुनीता परीक्षा की तैयारियों में लगे हुए थे।
हॉल में फिर वही उन्माद पूर्ण माहौल बन गया। सुनीता को यह करुणा और उन्माद भरे दृश्य के देख कर पता नहीं क्या महसूस हो रहा था।
कर्नल साहब और सुनीता और सुनील और ज्योति, दोनों जोड़े एक दुसरे के साथी के साथ उस अंधरे से भरे हॉल में एक दुसरे से आकर्षित होने लगे थे.
दोनों जोड़े सिनेमा हाल में पहोंच गए थे, पर पर सुनीता इस बात से हेरान थी की वो कर्नल साहब के साथ बेठी है और उसका पति ज्योति के साथ..!
जब सुनीता फिल्म फेस्टिवल में जाने के लिए छोटी स्कर्ट और पतला सा छोटा ब्लाउज पहन के बाहर आयी तो उसे देख कर सुनील की हवा ही निकल गयी।
सुनीता की पढ़ाई जोरो शोरों से चल रही थी। कर्नल साहब भी रात रात भर खुद पढ़ाई करते और दूसरे दिन आकर सुनील की पत्नी सुनीता को पढ़ाते।
अपने पति के मुह से कर्नल साहब और खुद के सम्बन्ध की एक बात सुन कर ही सुनीता के झनझना सा उठा. कहीं उसके पति कर्नल साहब से जल तो नहीं रहे?
सुनीता गणित सीखना चाहती थी, तभी उसे ज्योति से पता चलता है की कर्नल साहब गणित में काफी होशियार है, इस बात से सुनता का मन अन्दर से गुदगुदा उठता है!
सुनीता के पिता के देहांत के बाद वो बड़ी ही उदास रहने लगती है, फिर सुनील के कहने पर कर्नल साहब उसे समझाते है और उसके मुद ठीक कर देते है!
सुनील और उनकी पत्नी कर्नल साहब के बहोत कहने पर उनके घर जाते है, वहां पर सुनीता की कर्नल से तो सुनील की कर्नल पत्नी की पत्नी ज्योति से बात होती है।
कर्नल साहब और उनकी बीवी ज्योति का मिलन कैसे हुआ, और कैसे वो दो से एक हो गए, कहानी के इस तीसरे एपिसोड को पढ़िए और सब जानिए!
जसवंत सिंह (कर्नल साहब) अपने पडोसी सुनील की पत्नी सुनीता का गदरीला बदन देख कर सन हो जाते है, आगे क्या हुआ इस एपिसोड में जानिए..
जीवन की भूलभुलैया में कुछ ऐसे लम्हे आते हैं। जिन को हम कितना ही चाहें फिर भी न कभी भूल पाते हैं।। ऐसे ही लम्हे इस कहानी में आपको पढने को मिलेगे!