Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 40
जब धीरे धीरे सब ने अपने होश सम्हाले तब कैंप के मुख्याधिकारी ने एक के बाद एक सब का परिचय कराया। जस्सूजी का स्थान सभा के मंच पर था।
जब धीरे धीरे सब ने अपने होश सम्हाले तब कैंप के मुख्याधिकारी ने एक के बाद एक सब का परिचय कराया। जस्सूजी का स्थान सभा के मंच पर था।
कर्नल साहब (जस्सूजी) ने काफी समय पहले ही कैंप के मैनेजमेंट से दो कमरों का एक बड़ा फ्लैट टाइप सुईट बुक करा दिया था। जिसमे वो सब रुकने वाले थे।
जान बचाने की छटपटाहट के मारे सुनीता ने जस्सूजी के लण्ड को कस के पकड़ा और उसे पकड़ कर खुद को ऊपर आने की लिए खिंच कर हिलाने लगी।
कई बार सुनीता को बड़ा अफ़सोस होता था की उसने तैरना नहीं सीखा था। काफी समय से सुनीता के मन में यह एक प्रबल इच्छा थी की वह तैरना सीखे।
इस एपिसोड में पढ़िए कैसे ज्योति और सुनील के दो जिस्म एक हो गए, और उन दोनों ने इस सम्मलेन का खूब आनंद उठा या नहीं? इसके लिए पढ़िए और जानिए!
अपने आपको सम्हालते हुए ज्योति ने इधर उधर देखा। वह दोनों वाटर फॉल के दूसरी और जा चुके थे। वहाँ एक छोटा सा ताल था और चारों और पहाड़ ही पहाड़ थे।
ज्योतिजी और सुनीलजी झरने में कूद पड़े और तैरते हुए वाटर फॉल के निचे पहुँच कर उंचाइसे गिरते हुए पानी की बौछारों से भीगने लगे!
सुनील और जस्सूजी मर्दों को कपडे बदलने के रूम में चले गए। पर झरने के पास पहुँचते ही सुनीता जनाना कपडे बदलने के कमरे के बाहर रूक गयी और कुछ असमंजस में पड़ गयी।
जम्मू स्टेशन से कैंप की और टैक्सी चला कर ले जाते हुए पुरे रास्ते में सुनील को ऐसा लगा जैसे टैक्सी ड्राइवर “शोले” फिल्म की “धन्नो” की तरह बोले ही जा रहा था।
सुनीलजी उम्मीद कर रहे थे की उनकी पत्नी सुनीता उनके आने का इंतजार कर रही होगी। उन्होंने कम्बल मे आते ही सुनीता को अपनी बाहों में लिया और उसे चुम्बन करने लगे।
नीतू ने जब इशारा किया की कर्नल साहब सुनीलजी की बीबी सुनीताजी की चुदाई कर चुके थे और उसके कुछ देर बाद उसी वक्त सुनीताजी अपने पति से चुद रही थी!
नीतू की चूत यह सोच कर इतनी गीली हो रही थी की उसके लिए अब और इंतजार करना नामुमकिन सा लग रहा था। तभी उसे अचानक कुछ हलचल महसूस हुई।
सुनीता के पति सुनील ने उससे से वचन जो लिया था की दिन में ना सही पर रात को जरूर वह सुनीता को खाने मतलब सुनीता की लेने (मतलब सुनीता को चोदने) जरूर आएंगे।
दोनों जवाँ बदन एक दूसरे की कामवासना में झुलस रहे थे। नीतू कुमार के मुंह की लार चूस चूस कर अपने मुंह में लेती रही। और दोनों की जुबाने आपस में टकराने लगी!
नीतू के सोने के कुछ देर बाद नीतू के पति ब्रिगेडियर खन्ना नीतू को मिलने के लिए नीतू की बर्थ के पास पहुँचने वाले थे, तब सुनीता ने उन्हें देखा।
जैसे ही कुमार ने नीतू का हाथ थामा तो नीतू के पुरे बदन में एक बिजली सी करंट मार गयी। नीतू के रोंगटे खड़े हो गए। आगे कहानी पढ़िए और मजे लीजिये!
जस्सूजी अपने लम्बे कद के कारण थोड़ा सा पॉंव लंबा करने में कष्ट महसूस कर रहे थे। सुनीता ने जब यह देखा तो जस्सूजी के दोनों पाँव उठाकर अपनी गोद में ले लिए।
सुबह होते ही सब नहा धो कर फ्रेश होकर ट्रैन में ले जाने के लिए नाश्ता बगैरह बची खुची तैयारी होते ही सब कपडे पहन कर ट्रिप पर जाने के लिए तैयार होने लगे।
अनायास ही सुनीता अपने पति के लण्ड के साथ जस्सूजी के लण्ड की तुलना करने लगी। सुनीलजी का लण्ड काफी लंबा और मोटा था पर जस्सूजी के सामने शायद कुछ भी नही।
सुनीता ने जब जस्सूजी से यह वाक्य सुने तो वह गदगद हो गयी। सुनीता के हाथ में जस्सूजी का आधा तना हुआ लंड था जिसे वह प्यार से सेहला रही थी।