Bhatija Bna Pati – Part 2
अब मैं कब तक सब्र करता। आग से पास आकर घी पिघल ही जाता है। सो उसके चुम्बन ने मेरे शरीर में कामवासना जगा दी और मैं भी उसे चूमने लगा। उसके मम्मे दबाने लगा।
अब मैं कब तक सब्र करता। आग से पास आकर घी पिघल ही जाता है। सो उसके चुम्बन ने मेरे शरीर में कामवासना जगा दी और मैं भी उसे चूमने लगा। उसके मम्मे दबाने लगा।
तो आपकी जिज्ञासा को शांत करते हुए आपका अपना दोस्त दीप पंजाबी एक नई मज़ेदार हिन्दी सेक्स कहानी लेकर फेर हाज़िर है। लेकिन उस से भी पहले आप सब दोस्तों से एक छोटी सी नराजगी भी है के आप लोगो के मेल पहले से थोड़े कम आ रहे है।
एक साल के भीतर ही मेरा उनसे तलाक़ हो गया। घर वालो ने दुबारा शादी करने का सोचा पर मेरा दिल नही माना और मेने नौकरी करने की ठान ली। इस लिए आपके पास उस दिन नौकरी के लिये आई थी।
ये हिन्दी सेक्सी कहानी शुरू होती है कोलकाता के मिस्टर सुनील गुलाटी के परिवार से जिसमे खुद सुनील, उसकी पत्नी स्वाति गुलाटी और उसका छोटा भाई विवेक गुलाटी रहता है।
किराना स्टोर होने की वजह से लोग अक्सर मेरे पास आते थे, पर फोन करने उन्हें गाँव से बाहर दूसरे गांव जाना पड़ता था। लोगो की मुश्किल को देखते हुए मेने दुकान के साथ वाले कमरे में एक पीसीओ खोल लिया।
ये हिन्दी सेक्सी कहानी करीब 5 साल पुरानी है जब मेने पढ़ाई खत्म करके काम ढूँढना शुरु किया, हमारा गांव शहर से 10 किलोमीटर दूर है और जरा सी चीज़ लेने भी शहर जाना पड़ता है, तो सोचा क्यों न गांव वालो की मुश्किल को आसान कर दिया जाये।
इधर मेरे सास ससुर मुझे ही कोसते रहते और बोलते,” पहले नई नई आई अपना बच्चा खा गयी, अब अपने सुहाग को ही निगल गयी। कैसी डायन हमारे पल्ले पड़ गयी। दिन भर ऐसी सेंकडो दिल जलाने वाली बाते करते और् मैं चुप चाप सुनती रहती।
अपनी हिन्दी सेक्स कहानी के बारे में थोडा बतादूं के इस बार अपनी इस कहानी में जो नायिका का रोल प्ले कर रही है वो एक प्राइमरी स्कूल की टीचर है, उनका नाम श्वेता अग्रवाल है।
उस दिन से आशा के मन में उस रोहित के प्रति नफरत सी हो गयी। उसने घर में तो किसी को कुछ नही बताया पर अब जहाँ भी रोहित मिलता, उससे किनारा कर लेती। पहले कई बार रोहित के साथ बाज़ार भी चली जाती थी।
ये बात आज से 7 साल पहले की है। जब मध्यप्रदेश के दो अलग अलग गांवो के राहुल और उसकी बुआ का लड़का रोहित दोनों एक ही क्लास में पढते थे। अब दोनों का परिचय भी करवा दूं।
अगले दिन मेने घर से अपना टिफन पैक कराया और उसके साथ उसकी बाइक पे बैठ के चला गया। पूरा दिन काम किया और शाम को घर आ गए। इस तरह कई दिन चलता रहा।
कुछ महीने पहले की बात है के कालज में किसी वजह से एक हफ्ते की छुट्टी थी। इधर घर पे रहकर बोर हो रहा था तो गांव वाले घर से फोन आया के पापा के मामा के बेटे की शादी है और जो के इसी शहर में है।
फिर धीरे धीरे उसके स्वभाव को देखते हुए हम एक दूजे से डब्ल मतलब वाला मज़ाक भी करने लगे। मेने बातो बातो में यह नोट किया मुझमें इंटरेस्ट ले रही है।
कहानी शुरू होती है साल 2009 की गर्मियों के दिनों से , जब मैं पढ़ाई से फ्री होकर काम काज की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। तो हमारे गांव से बाहर छोटी सी नहर निकलती है। उसकी दूसरी साइड एक नर्सरी का काम चल रहा था।